वास्तु शास्त्र में सभी दिशा महत्वपूर्ण होती हैं। दक्षिण पश्चिम दिशा को नैऋत्य कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी राहु देव हैं। इस दिशा को घर की सभी दिशाओं से भारी व ऊंचा रखा जाना चाहिए। काशी के ज्योतिषाचार्य और वास्तु के जानकार पं. गणेश मिश्रा का कहना है कि जीवन में उच्च सफलता पाना है तो इस दिशा का दोषमुक्त होना अनिवार्य है। अगर आपके घर के सदस्यों के बीच अक्सर मनमुटाव रहते हैं तो यह दिशा जरूर देखना चाहिए। आपको अपने कौशल का उचित परिणाम नहीं मिल रहा है तो यह आपके नैऋत्य में दोष होने का संकेत हो सकता है।
- घर के मुखिया का शयनकक्ष इसी दिशा में होना चाहिए। यहां पर किचन और टॉयलेट नहीं रखना चाहिए। अगर किसी कारण से आप उनको वहां से कहीं और नहीं रख सकते तो किसी अनुभवी वास्तु शास्त्री से सलाह लेना जरूरी है।
- अपनी मर्जी से बिना कोई उपाय किए अगर यहां टॉयलेट हटाया जाता है तो भयंकर नुकसान हो सकता है। नैऋत्य के उपाय करने से धीरे-धीरे पूरे घर का वास्तु अनुकूल करने के रस्ते मिलने लगते हैं। धन-धान्य, सुख शांति की कमी नहीं होती।
नैऋत्य कोण से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- नैऋत्य कोण में कुआं हो या जलस्त्रोत हो तो गृह स्वामी का मानसिक तनाव बढ़ता है।
- नैऋत्य कोण में रसोई घर होने से पति-पत्नि के बीच में झगड़े होते हैं।
- नैऋत्य कोण में दोष होने के कारण दुश्मनों के कारण परेशानी होती है और कोर्ट- कचहरी संबंधी परेशानियां लगी रहती है।
- घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में कुआं, बोरवेल या जमीन में बनी पानी की टंकी (होद) बना हो तो बड़ा वास्तुदोष होता है।