कासगंज दंगे में जान गंवाने वाले ABVP कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की मौत के मामले में 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। लखनऊ NIA कोर्ट के जस्टिस विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने गुरुवार को 28 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इस फैसले के खिलाफ दोषियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। गुरुवार को मामले में दोषी सलीम कोर्ट में पेश नहीं हुआ था। उसने शुक्रवार को कोर्ट पहुंचकर सरेंडर किया। कासगंज में 26 जनवरी 2018 को चंदन गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। चंदन मोदी-योगी का कट्टर समर्थक था। उसकी मौत के बाद कासगंज में हालात इतने खराब हो गए थे कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करना पड़ा था। करीब एक हफ्ते तक दंगा हुआ था। अब पढ़िए, 26 जनवरी, 2018 को क्या हुआ था….
सुबह 9 बजे कासगंज में विश्व हिंदू परिषद, ABVP और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता करीब 100 बाइकों पर तिरंगा और भगवा झंडा लेकर निकले। चंदन गुप्ता भी इसी भीड़ में शामिल था। प्रशासन ने यात्रा निकालने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ये लोग नहीं माने। छोटी-छोटी गलियों वाले कासगंज कोतवाली इलाके में घुस गए। ये लोग मुस्लिम आबादी वाले बड्डू नगर की एक गली से गुजरने की जिद करने लगे। वहां स्थानीय लोग पहले से गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम कर रहे थे। तभी नारेबाजी शुरू हो गई। माहौल बिगड़ा और दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। एक गोली चली, जो सीधे चंदन को लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो बच नहीं पाया। मौत की खबर फैलते ही कासगंज शहर में दंगा शुरू हो गया। हालात बिगड़ने की आशंका से बाजार बंद करा दिए गए। तत्कालीन सांसद राजवीर सिंह और IG मौके पर पहुंचे। प्रदर्शन के बीच दोपहर 2 बजे आरोपियों पर कार्रवाई का भरोसा मिलने पर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। शाम 7 बजे पोस्टमॉर्टम के बाद चंदन का शव घर पहुंचा। इसके बाद शहर में तनाव फैलने लगा। पूरे शहर में PAC और फोर्स तैनात कर दी गई। लखनऊ से अफसर और मंत्री अपडेट लेते रहे। रात 12 बजे केस दर्ज कर 30 लोगों को आरोपी बनाया गया। मुख्य आरोपी तीन भाई सलीम, वसीम और नसीम को बनाया गया। 27 जनवरी- सुबह 8.30 पर चंदन का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। परिवार आरोपियों पर कार्रवाई के लिए अड़ गया। करीब 10 बजे राजवीर सिंह ने परिवार की बात CM योगी से करवाई। इसके बाद वे अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए। अंतिम संस्कार से लौट रहे कुछ लोगों ने सुबह 11.30 बजे पुरानी चुंगी इलाके में खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की। 12.30 बजे कासगंज के बारहद्वारी इलाके में कुछ दुकानों में आग लगा दी गई। प्रशासन ने शहर में RAF तैनात की। शहर में कर्फ्यू लगाया गया। 28 जनवरी तक इंटरनेट बंद कर दिया गया। शाम तक एक बंद मकान, एक दुकान और कुछ वाहनों को उपद्रवियों ने जला दिया। दिसंबर 2018 में चार्जशीट दाखिल, 2019 में ट्रायल शुरू हुआ
इस मामले में दिसंबर, 2018 में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। 2019 में ट्रायल शुरू हुआ। 24 जनवरी, 2019 को चंदन की बहन कीर्ति को लोकमित्र के पद पर जॉइनिंग दी गई। 5 जुलाई, 2019 को कीर्ति को पद से हटा दिया गया। 2020 में दो मुख्य आरोपी वसीम और नसीम जमानत पर जेल से बाहर आ गए। परिवार की CM से अपील के बाद नवंबर 2021 में केस लखनऊ की NIA कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। तब से सुनवाई चल रही थी। गुरुवार को NIA कोर्ट ने 30 में से 28 आरोपियों को दोषी करार दिया। आरोपी नसरुद्दीन और असीम कुरैशी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था। कोर्ट ने 28 आरोपियों को IPC की धारा 147, 148, 307/149, 302/149, 341, 336, 504, 506 के तहत दोषी ठहराया था। इसमें अजीजुद्दीन , मुनाजिर , आसिफ, असलम , शबाब, साकिब, आमिर रफी, सलीम, वसीम, नसीम, बबलू,अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ, निशु, वासिफ, इमरान ,शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, शाकिर, जाहिद शामिल हैं। इसमें से 1 अजीजुद्दीन की मौत हो चुकी है। जबकि मुनाजिर रफी जेल में बंद है। मां ने फांसी की सजा मांग की थी चंदन के पिता सुशील गुप्ता प्राइवेट अस्पताल में मैनेजर हैं। मां संगीता गृहिणी हैं। भाई विवेक गुप्ता सरकारी राशन की दुकान चलाते हैं। गुरुवार को दैनिक भास्कर से मां संगीता ने फांसी की सजा की मांग की थी। —————————- ये खबर भी पढ़ें सांसद बर्क को हाईकोर्ट से झटका, FIR रद्द नहीं होगी:गिरफ्तारी पर रोक लगाई, कहा- संभल हिंसा की जांच में सहयोग करें संभल हिंसा में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि संभल हिंसा की जांच जारी रहेगी। जांच में सांसद पुलिस का सहयोग करें। हालांकि, कोर्ट ने सांसद बर्क की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। (पूरी खबर पढ़ें)
सुबह 9 बजे कासगंज में विश्व हिंदू परिषद, ABVP और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता करीब 100 बाइकों पर तिरंगा और भगवा झंडा लेकर निकले। चंदन गुप्ता भी इसी भीड़ में शामिल था। प्रशासन ने यात्रा निकालने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ये लोग नहीं माने। छोटी-छोटी गलियों वाले कासगंज कोतवाली इलाके में घुस गए। ये लोग मुस्लिम आबादी वाले बड्डू नगर की एक गली से गुजरने की जिद करने लगे। वहां स्थानीय लोग पहले से गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम कर रहे थे। तभी नारेबाजी शुरू हो गई। माहौल बिगड़ा और दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। एक गोली चली, जो सीधे चंदन को लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो बच नहीं पाया। मौत की खबर फैलते ही कासगंज शहर में दंगा शुरू हो गया। हालात बिगड़ने की आशंका से बाजार बंद करा दिए गए। तत्कालीन सांसद राजवीर सिंह और IG मौके पर पहुंचे। प्रदर्शन के बीच दोपहर 2 बजे आरोपियों पर कार्रवाई का भरोसा मिलने पर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। शाम 7 बजे पोस्टमॉर्टम के बाद चंदन का शव घर पहुंचा। इसके बाद शहर में तनाव फैलने लगा। पूरे शहर में PAC और फोर्स तैनात कर दी गई। लखनऊ से अफसर और मंत्री अपडेट लेते रहे। रात 12 बजे केस दर्ज कर 30 लोगों को आरोपी बनाया गया। मुख्य आरोपी तीन भाई सलीम, वसीम और नसीम को बनाया गया। 27 जनवरी- सुबह 8.30 पर चंदन का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। परिवार आरोपियों पर कार्रवाई के लिए अड़ गया। करीब 10 बजे राजवीर सिंह ने परिवार की बात CM योगी से करवाई। इसके बाद वे अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए। अंतिम संस्कार से लौट रहे कुछ लोगों ने सुबह 11.30 बजे पुरानी चुंगी इलाके में खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की। 12.30 बजे कासगंज के बारहद्वारी इलाके में कुछ दुकानों में आग लगा दी गई। प्रशासन ने शहर में RAF तैनात की। शहर में कर्फ्यू लगाया गया। 28 जनवरी तक इंटरनेट बंद कर दिया गया। शाम तक एक बंद मकान, एक दुकान और कुछ वाहनों को उपद्रवियों ने जला दिया। दिसंबर 2018 में चार्जशीट दाखिल, 2019 में ट्रायल शुरू हुआ
इस मामले में दिसंबर, 2018 में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। 2019 में ट्रायल शुरू हुआ। 24 जनवरी, 2019 को चंदन की बहन कीर्ति को लोकमित्र के पद पर जॉइनिंग दी गई। 5 जुलाई, 2019 को कीर्ति को पद से हटा दिया गया। 2020 में दो मुख्य आरोपी वसीम और नसीम जमानत पर जेल से बाहर आ गए। परिवार की CM से अपील के बाद नवंबर 2021 में केस लखनऊ की NIA कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। तब से सुनवाई चल रही थी। गुरुवार को NIA कोर्ट ने 30 में से 28 आरोपियों को दोषी करार दिया। आरोपी नसरुद्दीन और असीम कुरैशी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था। कोर्ट ने 28 आरोपियों को IPC की धारा 147, 148, 307/149, 302/149, 341, 336, 504, 506 के तहत दोषी ठहराया था। इसमें अजीजुद्दीन , मुनाजिर , आसिफ, असलम , शबाब, साकिब, आमिर रफी, सलीम, वसीम, नसीम, बबलू,अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ, निशु, वासिफ, इमरान ,शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, शाकिर, जाहिद शामिल हैं। इसमें से 1 अजीजुद्दीन की मौत हो चुकी है। जबकि मुनाजिर रफी जेल में बंद है। मां ने फांसी की सजा मांग की थी चंदन के पिता सुशील गुप्ता प्राइवेट अस्पताल में मैनेजर हैं। मां संगीता गृहिणी हैं। भाई विवेक गुप्ता सरकारी राशन की दुकान चलाते हैं। गुरुवार को दैनिक भास्कर से मां संगीता ने फांसी की सजा की मांग की थी। —————————- ये खबर भी पढ़ें सांसद बर्क को हाईकोर्ट से झटका, FIR रद्द नहीं होगी:गिरफ्तारी पर रोक लगाई, कहा- संभल हिंसा की जांच में सहयोग करें संभल हिंसा में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि संभल हिंसा की जांच जारी रहेगी। जांच में सांसद पुलिस का सहयोग करें। हालांकि, कोर्ट ने सांसद बर्क की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। (पूरी खबर पढ़ें)