चीन को सबक सिखाने के लिए एशिया से आयात कम करेगा भारत; मोबाइल, लैपटॉप, एसी जैसे प्रोडक्ट का स्टैंडर्ड लेवल बढ़ाएगा

देश भर में चल रही चीन विरोधी भावना के बीच सरकार ने एक और नया कदम उठाने का फैसला लिया है। दो सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत दक्षिण पूर्व एशिया से ट्रेड पार्टनर को मुख्य रूप से चीनी सामानों को देश में आयात रोकने के उपायों पर विचार कर रहा है। यह बीजिंग के साथ चल रहे तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम है।

मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि भारत आयात की गुणवत्ता मानकों को बढ़ाने, मात्रा प्रतिबंध लगाने, मेंडेट स्ट्रिंजेंट डिस्क्लोजर नॉर्म्स को लागू करने और कई एशियाई देशों से आने वाले सामानों की बंदरगाहों पर अधिक बार जांच शुरू करने की योजना बना रहा है।

मोबाइल, लैपटॉप, टीवी को किया जाएगा टारगेट
सूत्रों के मुताबिक, सरकार के इस कदम से मुख्य रूप से बेस मेटल, लैपटॉप, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, फर्नीचर, चमड़े के सामान, खिलौने, रबर, कपड़े, एयर कंडीशनर और टीवी के साथ कई अन्य आइटम के आयात को टारगेट किया जाएगा।

पिछले सप्ताह, भारत की टेड मिनिस्ट्री ने एक विशेष लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आयातकों की आवश्यकता से टीवी के इनबाउंड शिपमेंट को प्रतिबंधित करने के लिए एक नोटिस जारी किया था।

इस कदम से मुख्य रूप से मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और सिंगापुर को नुकसान होने की आशंका है। एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN) के सदस्यों के साथ भारत ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (ATA) किया है। भारत, दक्षिण कोरिया से होने वाले हैवी ट्रेड फ्लो को लेकर भी चिंतित है।

गुणवत्ता मानकों को बढ़ाने पर फोकस
दो अधिकारियों में से एक ने कहा, “कर्तव्यों का पालन करने का एक सीमित प्रभाव पड़ता है। अब हम गुणवत्ता मानकों को बढ़ाना चाहते हैं। कस्टम्स पहले की तुलना में अधिक सतर्क होगा।” हालांकि, भारत के व्यापार मंत्रालय से इस पर ईमेल के जरिए जवाब मांगा गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया है।

अधिकारी ने कहा कि सरकार 20% से 40% के मौजूदा स्तर से उन देशों से आयात होने वाले उत्पादों के लिए मूल्य-वृद्धि की आवश्यकता को बढ़ाने पर भी चर्चा करेगी। इसके अलावा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को भी जोड़ा जा सकता है।

भारत और चीन के बीच लंबे समय से संबंधों में खटास रही है, लेकिन इसी सा जून में दोनों देशों की सीम पर हुए विवाद में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद से लगातार देश में चीन प्रोडक्ट का जमकर विरोध हो रहा है।

बीते साल 6.5 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ
चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भी है। उसने मार्च 2019 को समाप्त हुए फाइनेंशियल ईयर में 87 बिलियन डॉलर (6.5 लाख करोड़ रुपए) का व्यापार किया था।

थाई और मलेशियाई अधिकारियों ने कहा कि उन्हें नॉन-टैरिफ बैरियर को बढ़ाने या सामानों के री-रूटिंग के मुद्दे पर कोई ऑफिशियल कम्युनिकेशन नहीं मिला है।

थाईलैंड के व्यापार मंत्रालय ने रॉयटर्स को दिए एक बयान में कहा कि ASEAN संधि की समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि इसके टैरिफ लिबरलाइजेशन और ऑरिजिन नियमों के संदर्भ में अधिक उदार बनाया जा सके।

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यह बीजिंग के साथ चल रहे तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम है