डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण करने के बाद से लगातार कई बड़े फैसले ले रहे हैं। उन्होंने पड़ोसी देशों कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन पर भी 10% टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा ट्रम्प ने BRICS देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। अमेरिकी बाजार में बिकने वाले कई सारे प्रोडक्ट्स दूसरे देशों से आते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स को डर है कि दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने के फैसलों से अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है। दरअसल अमेरिका में स्नीकर्स, टी-शर्ट्स, ज्यादातर दवाएं, गहने, बीयर और अन्य घरेलू सामान BRICS देशों, मेक्सिको और कनाडा जैसे देशों से ही आते हैं। हालांकि ट्रम्प प्रशासन के मुताबिक, सभी देशों से सभी तरह के प्रोडक्ट्स और सर्विस पर टैरिफ में एक जैसी बढ़ोतरी नहीं होगी। ट्रम्प ने 10% से लेकर 100% तक टैरिफ बढ़ाने की बात कही है। कुछ रिपोर्ट्स में इसे सिर्फ धमकी बताया गया है, लेकिन ट्रम्प ने ऐसी रिपोर्ट्स का खंडन किया है। हालात से निपटने की रणनीति बना रही अमेरिकी कंपनियां PWC कंज्यूमर मार्केट लीडर अली फुरमैन ने कहा कि टैरिफ अब कंपनियों के बीच चर्चा का मुख्य विषय बन गया है। हालांकि अभी ट्रम्प की नीतियां पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन कंपनियों ने हर तरह के हालात से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें दाम बढ़ने के बाद बिक्री बढ़ाने की रणनीति शामिल है। कोलंबिया बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर ब्रेट हाउस ने कहा कि लगभग हर कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ सकते हैं। कनाडा से इंपोर्ट पेट्रोलियम पर टैरिफ से अमेरिका में सब कुछ महंगा हो सकता है। टैरिफ का प्रभाव व्यापक हो सकता है। यह हर घर और बिजनेस पर असर डाल सकता है। 33% अमेरिकी चीन पर 60% टैक्स के पक्ष में PWC के सर्वे रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 45% अमेरिकी चीन पर 10 फीसदी टैरिफ का समर्थन करते हैं। करीब एक 33% अमेरिकी चीन पर 20% टैरिफ के लिए तैयार हैं। लगभग इतने ही अमेरिकी चीनी प्रोडक्ट्स के आयात पर 60% टैरिफ लगाने के पक्ष में हैं। इसका मतलब है कि अमेरिकियों के बीच चीन को लेकर खास तल्खी है। ट्रम्प इस पब्लिक सेंटीमेंट का फायदा उठा सकते हैं। ट्रम्प का मानना है कि टैरिफ से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार बढ़ेंगे। लेकिन इससे रिटेल कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिसे वे ग्राहकों पर डाल सकते हैं। ‘नेशनल रिटेल फेडरेशन एंड कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन’ ने चेताया है कि टैरिफ आखिरकार अमेरिकी बिजनेस और ग्राहकों का ही खर्च बढ़ाएगी। 67% अमेरिकियों को महंगाई बढ़ने की चिंता PWC के एक सर्वे में शामिल 67% अमेरिकियों का मानना है कि कंपनियां बढ़ी हुई टैरिफ का बोझ ग्राहकों पर डालेंगी। एवोकाडो से लेकर बच्चों के खिलौने, चॉकलेट, कपड़े, गहने और कारों तक के दाम दाम डेढ़ गुना तक बढ़ सकते हैं। ऐसे में ट्रम्प अचानक कोई बड़ा फैसला करेंगे, इसकी आशंका कम है। भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिका में टैरिफ बढ़ने और दूसरे देशों के प्रोफेशनल्स के लिए हालात मुश्किल होने का अंदाजा पहले से था। इसीलिए उन्होंने अमेरिका में ही अधिक स्थानीय कर्मचारी नियुक्त किए हैं। रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक, इंफोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियों ने अमेरिकी हायरिंग तेज कर दी है। इन दोनों कंपनियां 25 हजार से ज्यादा अमेरिकी स्टाफ नियुक्त चुकी हैं। भारत में आईटी कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था नैस्कॉम के मुताबिक, जैसे-जैसे अमेरिकी नीतियों में बदलाव आएगा भारतीय आईटी कंपनियों को हेल्थ केयर सर्विस, रिटेल और बैंकिंग सेक्टर में बदलाव के लिए पहले से तैयार रहना होगा। ————————————————- यह खबर भी पढ़ें… अमेरिका में जन्मजात नागरिकता कानून खत्म:अवैध प्रवासियों की एंट्री बंद, थर्ड जेंडर की मान्यता खत्म; ट्रम्प ने बाइडेन के 78 फैसलों को पलटा डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार, 20 जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही देश से लेकर विदेश तक अमेरिकी नीतियों में कई बड़े बदलाव लाने की बात कही। यह खबर भी पढ़ें…