चीन विरोधी कंटेंट रोकने पर फंसी यूसी वेब, कोर्ट ने अलीबाबा और इसके फाउंडर जैक मा को नोटिस भेजा

चीन के अलीबाबा ग्रुप की कंपनी यूसी वेब के एक पूर्व कर्मचारी ने कंपनी पर गलत तरीके से नौकरी से निकालने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। कोर्ट ने अलीबाबा और इसके फाउंडर जैक मा को नोटिस जारी किया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व कर्मचारी का आरोप है कि सेंसरशिप और फेक न्यूज का विरोध करने पर कंपनी ने उसे नौकरी से निकाला है।

यूसी वेब पर हाल ही में सरकार ने बैन लगाया था

लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगा दिया था। इसमें अलीबाबा ग्रुप के यूसी न्यूज और यूसी ब्राउजर ऐप भी शामिल थे। बैन के अलावा भारत सरकार ने सभी प्रभावित कंपनियों से विदेशी सरकारों के लिए या उनके इशारों पर कंटेंट को सेंसर करने को लेकर भी जवाब मांगा है। इस बैन पर चीन ने विरोध जताया है।

चीन विरोधी कंटेंट को सेंसर करती थी कंपनी

अलीबाबा ग्रुप की कंपनी यूसी वेब के पूर्व कर्मचारी पुष्पेंद्र सिंह परमार ने 20 जुलाई को मुकदमा दाखिल कर आरोप लगाया कि कंपनी चीन विरोधी कंटेंट को सेंसर करने के लिए संवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करती थी। परमार ने आरोप लगाया है कि इसके ऐप यूसी ब्राउजर और यूसी न्यूज सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल मचाने के लिए फेक न्यूज फैलाते हैं। इस मामले में गुरुग्राम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की सिविल जज सोनिया शिवखंड ने अलीबाबा, इसके फाउंडर जैक मा और दर्जन भर लोगों को समन जारी कर 29 जुलाई तक खुद या वकील के जरिए पेश होने के लिए कहा है। समन में जज ने कंपनी और उसके अधिकारियों को 30 दिन के भीतर लिखित जवाब देने को भी कहा है।

यूसी वेब में एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर रह चुके हैं परमार

पुष्पेंद्र सिंह परमार यूसी वेब के गुरुग्राम ऑफिस में अक्टूबर 2017 तक एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर काम कर चुके हैं। परमार ने कंपनी से क्षतिपूर्ति के रूप में 2,68,000 डॉलर की रकम मांगी है। उधर, यूसी इंडिया ने एक बयान में कहा है कि भारतीय बाजार और स्थानीय कर्मचारियों के कल्याण के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता अटूट है और उसकी नीतियां स्थानीय नियमों के अनुरूप हैं। हालांकि, कंपनी ने ताजा मामले को कोई भी टिप्पणी नहीं की है।

वापसी की कोशिशों को लग सकता है झटका

भारत सरकार की ओर से बैन लगाए जाने के बाद यूसी वेब लगातार वापसी के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन ताजा आरोपों के बाद कंपनी के वापसी के प्रयासों को झटका लग सकता है। सेंसर टावर के डाटा के मुताबिक, बैन से पहले यूसी ब्राउजर के भारत में 689 मिलियन डाउनलोड थे। जबकि यूसी न्यूज के 79.8 मिलियन डाउनलोड थे।

मुकदमे की खास बातें

  • पुष्पेंद्र सिंह परमार ने 200 पेज की याचिका में यूसी न्यूज की कुछ पोस्ट की क्लिप भी लगाई हैं। इन क्लिप में दिखाई गई खबरों को परमार ने फर्जी बताया है।
  • 2017 के एक पोस्ट का शीर्षक है ‘आज मध्यरात्रि से 2,000 रुपये के नोट बैन हो जाएंगे।’ वहीं, 2018 के एक पोस्ट की हेडलाइन में कहा गया है कि ‘अभी-अभी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया है।’ कंपनी चीन विरोधी कंटेंट को सेंसर करने के लिए “India-China border” और “Sino-India war” जैसे की-वर्ड का इस्तेमाल करती थी।
  • परमार ने चीन विरोधी कंटेंट को सेंसर करने के लिए कंपनी की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले संवेदनशील शब्दों की सूची भी पेश की है।

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गुरुग्राम की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने समन में सभी से 29 जुलाई तक व्यक्तिगत या वकील के माध्यम से पेश होने के लिए कहा है।