सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर बहस जारी है। अब दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म ‘छपाक’ में नजर आए विक्रांत मैसी ने आपबीती सुनाई है। उनकी मानें तो उन्हें एक जूरी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था। लेकिन अवॉर्ड शो में उन्हें बुलाया तक नहीं गया था।
एक इंटरव्यू में विक्रांत ने कहा- मुझे याद है कि एक पॉपुलर अवॉर्ड फंक्शन में मुझे बेस्ट एक्टर के जूरी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था। लेकिन मुझे इवेंट में नहीं बुलाया गया था। क्या मुझे इसके लिए हर्ट होना चाहिए? नहीं। यह मेरे लिए मायने नहीं रखता, क्योंकि सिस्टम ही ऐसा है।
नेपोटिज्म हर जगह है
नेपोटिज्म पर चर्चा करते हुए विक्रांत ने कहा- नेपोटिज्म हर जगह है। किसी को कुछ मौके मिल सकते हैं, लेकिन आपको खुद को साबित करना होगा। कई इनसाइडर्स ऐसे हैं, जिन्हें कुछ फ्लॉप फिल्में देने के बाद फिल्मों के ऑफर नहीं मिलते। जिंदगी च्वॉइस के बारे में है।
मुझे परम्परा को तोड़कर फिल्मों में नजर आने की उम्मीद थी। इसलिए मैंने अच्छी फिल्मों को चुना और टैलेंटेड मेकर्स के साथ काम किया। फिर भले ही रोल छोटे क्यों न हों। आउटसाइडर होने की वजह से आपको कोई गाइड करने वाला नहीं होता। इसलिए आपको अपने दिमाग से ही चलना होता है। आपके पास कोई दूसरा मौका नहीं होता।
टीवी एक्टर होने की वजह से मारा गया था ताना
विक्रांत की मानें तो टीवी एक्टर होने की वजह से उन्हें ताना मारा गया था। वे कहते हैं- जब आप शुरुआत करते हैं तो मांगने वाले होते हैं। सिलेक्शन करने वाले नहीं बन सकते। टीवी एक्टर्स को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। मुझे कहा गया था कि टीवी एक्टर्स का फिल्मों में कुछ नहीं होगा।
‘लुटेरा’ के ऑडिशन में हो गए थे रिजेक्ट
विक्रांत ने आगे बताया- मैंने जब फिल्म ‘लुटेरा’ के लिए ऑडिशन दिया था तो मुझे रिजेक्ट कर दिया गया था। लेकिन बाद में जिस एक्टर को कास्ट किया गया था, वह काम नहीं कर सका। इसलिए शूटिंग से 20 दिन पहले मेकर्स ने मुझे बुला लिया। तो यह सब किस्मत की बात है। मेरी कोशिश रंग लाई।
बॉलीवुड करियर आपके अवसरों, सिलेक्शन और टैलेंट के साथ-साथ किस्मत का खेल भी है। यह कहने की बजाय की मौका नहीं मिलता, सभी को चुनौतियों को अवसरों में बदलना चाहिए। मैं सभी मेकर्स का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझमें पोटेंशियल देखा और पर्याप्त रोल दिए।