भाजपा में फरवरी तक संगठन स्तर पर बड़ा फेरबदल होने वाला है। नए साल में जनवरी के आखिरी या फरवरी के पहले हफ्ते में पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। इसके अलावा 15 जनवरी तक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। संगठन चुनाव को लेकर रविवार को दिल्ली में पार्टी की बैठक हुई। बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा राष्ट्रीय महासचिव और संगठन चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी भी मौजूद रहे। इसके अलावा राज्यों से प्रदेश अध्यक्ष, संगठन मंत्री और चुनाव अधिकारी शामिल हुए। बैठक में संगठनात्मक चुनाव और सदस्यता अभियान को लेकर चर्चा हुई। लोकसभा-विधानसभा चुनाव के चलते बढ़ा नड्डा का कार्यकाल
जेपी नड्डा को जून, 2019 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी, 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। इस लिहाज से नड्डा का कार्यकाल 2023 में खत्म हो चुका है। तब लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। भाजपा के संविधान के मुताबिक कोई व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल तक लगातार अध्यक्ष रह सकता है। हालांकि, नड्डा के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाने के बाद उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की संभावना खत्म हो चुकी है। इसकी वजह भाजपा का एक व्यक्ति-एक पद नियम है। पद के लिए आयु सीमा तय की, युवाओं को अहमियत
पार्टी संगठन में युवाओं को महत्व देने के लिए पहले ही आयु सीमा तय कर चुकी है। इसके लिए जिलों के भीतर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्ष की आयु 35 से 45 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। वहीं, जिलाध्यक्ष की आयु 45 से 60 वर्ष के बीच होगी। जिलाध्यक्ष के लिए संगठन में 7 से 8 साल तक काम करने का अनुभव भी जरूरी किया गया है। इनका चुनाव 15 जनवरी तक पूरा कराए जाने का लक्ष्य है। लगातार दो बार मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष रह चुके व्यक्ति को तीसरी बार मौका नहीं मिलेगा। साथ ही तय हुआ है कि संगठन के किसी पद काम कर रहे व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। अक्टूबर में नियुक्त हुए थे चुनाव अधिकारी
भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के एलान के दिन (15 अक्टूबर) ही पार्टी के आंतरिक चुनावों के लिए अधिकारी नियुक्त किए थे। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तेलंगाना से राज्यसभा सांसद डॉ. के लक्ष्मण को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाया था। लक्ष्मण 2020 से OBC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी इनके नाम की चर्चा थी, लेकिन राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाए जाने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया था। इसके अलावा नरेश बंसल, रेखा वर्मा, संबित पात्रा को राष्ट्रीय सह चुनाव अधिकारी बनाया गया था। पार्टी के सभी राष्ट्रीय महासचिवों और दूसरे पदाधिकारियों को अलग-अलग राज्यों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। ———————————————–
जेपी नड्डा को जून, 2019 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी, 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। इस लिहाज से नड्डा का कार्यकाल 2023 में खत्म हो चुका है। तब लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। भाजपा के संविधान के मुताबिक कोई व्यक्ति अधिकतम दो कार्यकाल तक लगातार अध्यक्ष रह सकता है। हालांकि, नड्डा के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाने के बाद उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की संभावना खत्म हो चुकी है। इसकी वजह भाजपा का एक व्यक्ति-एक पद नियम है। पद के लिए आयु सीमा तय की, युवाओं को अहमियत
पार्टी संगठन में युवाओं को महत्व देने के लिए पहले ही आयु सीमा तय कर चुकी है। इसके लिए जिलों के भीतर बनाए जाने वाले मंडल अध्यक्ष की आयु 35 से 45 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। वहीं, जिलाध्यक्ष की आयु 45 से 60 वर्ष के बीच होगी। जिलाध्यक्ष के लिए संगठन में 7 से 8 साल तक काम करने का अनुभव भी जरूरी किया गया है। इनका चुनाव 15 जनवरी तक पूरा कराए जाने का लक्ष्य है। लगातार दो बार मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष रह चुके व्यक्ति को तीसरी बार मौका नहीं मिलेगा। साथ ही तय हुआ है कि संगठन के किसी पद काम कर रहे व्यक्ति को ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। अक्टूबर में नियुक्त हुए थे चुनाव अधिकारी
भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के एलान के दिन (15 अक्टूबर) ही पार्टी के आंतरिक चुनावों के लिए अधिकारी नियुक्त किए थे। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तेलंगाना से राज्यसभा सांसद डॉ. के लक्ष्मण को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाया था। लक्ष्मण 2020 से OBC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी इनके नाम की चर्चा थी, लेकिन राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी बनाए जाने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया था। इसके अलावा नरेश बंसल, रेखा वर्मा, संबित पात्रा को राष्ट्रीय सह चुनाव अधिकारी बनाया गया था। पार्टी के सभी राष्ट्रीय महासचिवों और दूसरे पदाधिकारियों को अलग-अलग राज्यों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। ———————————————–