भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल पंचांग भेद की वजह से 11 और 12 अगस्त को तिथि है। अधिकतर लोग श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी बाल गोपाल की मूर्ति अपने घर के मंदिर में रखते हैं। जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है।
पहली बात
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जन्माष्टमी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सबसे पहले गणेशजी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद श्रीकृष्ण की पूजा की व्यवस्था करें।
दूसरी बात
पूजा में आचमन कराएं यानी पूजा से पहले हाथों को जल से धोना। बाल गोपाल की पूजा में पहले खुद हाथ साफ जल से धोएं, इसके बाद श्रीकृष्ण के हाथों के लिए जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए सुंगधित फूलों वाले जल का उपयोग करें।
तीसरी बात
बाल गोपाल को सुगंधित फूलों वाले जल से स्नान कराएं। भगवान को पीतांबरधारी कहा जाता है, इसीलिए उन्हें पीले वस्त्र चढ़ाना चाहिए। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। श्रृंगार करें।
चौथी बात
बाल गोपाल के साथ ही गौमाता की मूर्ति भी रखनी चाहिए। श्रीकृष्ण को गौमाता विशेष प्रिय हैं, इसीलिए जन्माष्टमी पर गौमाता की पूजा भी करें। किसी गौशाला में धन या हरी घास का दान करें।
पांचवीं बात
श्रीकृष्ण की पूजा में आसन बहुत जरूरी है। श्रीकृष्ण के लिए सुंदर आसन का उपयोग करें। इसका रंग चमकीला, जैसे लाल, पीला, नारंगी हो तो ज्यादा शुभ रहता है।
छठी बात
दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर पंचामृत बनाएं। किसी शुद्ध बर्तन में भरकर भगवान को भोग लगाएं। ध्यान रखें श्रीकृष्ण को तुलसी के बिना भोग नहीं लगाना चाहिए।
सातवीं बात
पूजा में भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जाप करते रहना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें।
आठवीं बात
पूजन में श्रीकृष्ण को दूर्वा, कुमकुम, चावल, अबीर, सुगंधित फूल और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए।
नवीं बात
श्रीकृष्ण की पूजा में जो भोग लगाया जाता है, उसमें ताजे फल, मिठाइयां, लड्डू, मिश्री, खीर, तुलसी के पत्ते और फल शामिल करना चाहिए।
दसवीं बात
बाल गोपाल की पूजा में गाय के दूध से बने घी का उपयोग करना चाहिए। दीपक के लिए भी इसी घी का उपयोग करेंगे तो ज्यादा शुभ रहता है।