जो लोग अपने जीवन से संतुष्ट नहीं रहते हैं, उनका मन हमेशा अशांत रहता है। ऐसी स्थिति में मानसिक तनाव बढ़ता है और व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता है। इसका परिणाम ये मिलता है कि परेशानियां और अधिक बढ़ जाती हैं। जीवन में सुख और शांति चाहते हैं तो हमें सबसे पहले संतुष्टि का भाव लाना होगा। इस संबंध में एक लोक कथा भी प्रचलित है। कथा का सार यह है कि हमें हर परिस्थिति में संतुष्ट और प्रसन्न रहना चाहिए। जानिए ये कथा…
कथा के अनुसार किसी गांव में एक गरीब व्यक्ति दिनभर भगवान की भक्ति करते रहता था, लेकिन वह अपने जीवन से संतुष्ट नहीं था। जो चीजें उसके पास नहीं थीं, उसके लिए वह दुखी रहता था। एक दिन उसके गांव में एक विद्वान संत पहुंचे। वह गरीब भी संत से मिलने पहुंचा और अपनी सभी परेशानियां बता दीं।
संत ने उस गरीब को एक मंत्र बताया और कहा कि रोज इस मंत्र का जाप करना। संत की बताई विधि से गरीब व्यक्ति मंत्र जाप करने लगा। कुछ ही दिनों के बाद भगवान उसकी भक्ति से प्रसन्न हो गए और उसके सामने प्रकट हुए।
भगवान ने भक्त से कहा कि हम तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हैं, वर मांगो, तुम्हारी हर इच्छा पूरी होगी। गरीब व्यक्ति भगवान को देखकर हैरान था। वह समझ नहीं सका कि वर में क्या मांगा जाए। उसने भगवान से कहा कि अभी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है, कृपया आप कल फिर प्रकट हों। भगवान ने कहा कि ठीक है और वे अंतर्ध्यान हो गए।
अब गरीब व्यक्ति बहुत चिंतित हो गया। उसने सोचा कि मेरे पास रहने के लिए घर नहीं है, घर मांग लेता हूं। कुछ देर बाद उसने सोचा कि मुझे बहुत सारी जमीन-जायदाद मांग लेनी चाहिए। कुछ देर बाद सोचा कि मुझे किसी राज्य का राजा बनने का वर मांगना चाहिए। पूरी रात वह ऐसे विचारों की वजह से सो नहीं सका।
सुबह हो गई, लेकिन गरीब व्यक्ति ये तय नहीं कर पाया कि उसे वर में क्या मांगना चाहिए। भगवान फिर से उसके सामने प्रकट हुए। भक्त ने कहा कि प्रभु मुझे सिर्फ यही वर दें कि मेरा मन आपकी भक्ति में लगा रहे। मैं हर हाल में संतुष्ट रहना चाहता हूं।
भगवान ने कहा कि तुम अपने से धन-संपत्ति भी मांग सकते हो। गरीब व्यक्ति ने कहा कि प्रभु अभी मेरे पास कुछ भी नहीं है, लेकिन धन आने के संकेत मात्र से मेरी नींद उड़ गई। मानसिक तनाव बढ़ने लगा। मुझे ऐसा धन नहीं चाहिए, जिससे मेरी सुख-शांति खत्म हो जाए।
भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा तुम जैसा चाहते हो, वैसा ही होगा। इस कथा की सीख यह है कि जो लोग सुख-शांति चाहते हैं, उन्हें हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए। अगर असंतुष्टि रहेगी तो अशांति बनी रहेगी और हम कभी भी सुखी नहीं हो सकते हैं।