जब सिंधिया बागी हुए, भाजपा ने पायलट को तभी कश्मीर के उपराज्यपाल का पद ऑफर किया था, लेकिन तब वे नहीं माने

जब मार्च में मध्यप्रदेश कांग्रेस में बगावत हुई थी, उसी वक्त भाजपा ने सचिन पायलट से भी संपर्क किया था। दरअसल, उनकी मौजूदा बगावत को भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपामें शामिल होने से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा पायलट को अपने पाले में करने की अब तक तीन बार कोशिश कर चुकी है, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

1. भाजपा की पहली कोशिश: पायलट को कश्मीर का ऑफर दिया
जब सिंधिया बगावत कर कांग्रेस से अलग हुए थे, तभी भाजपा ने पायलट से संपर्क किया था। सूत्रों ने भास्कर को बताया कि भाजपाने पायलट को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल पद का ऑफर दिया था। इसके पीछे सोच यह थी कि पायलट वहां के पूर्व सीएमफारुक अब्दुल्ला के दामाद हैं, इसलिए वे वहां स्थिति को संभाल लेंगे। सूत्र बताते हैं कि तब पायलट ने राजस्थान छोड़ने से इनकार कर दिया था।

2. भाजपा की दूसरी कोशिश: राज्यसभा चुनाव
पायलट के कश्मीर का ऑफर ठुकराने के बाद भी भाजपा लगातार कोशिश करती रही। राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा नेपायलट को अपने पाले में करने की कोशिश की थी, लेकिन तब भी बात नहीं बन पाई थी। पायलट ठीक-ठाक संख्याबल नहीं जुटा पाए थे।

3. भाजपा की तीसरी कोशिश: इस बार भी जफर इस्लाम का कनेक्शन
सूत्रों के मुताबिक, रविवार दोपहर ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपने पुराने साथी सचिन पायलट से दिल्ली में मुलाकात हुई। इसके बाद भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम ने पायलट से संपर्क किया। इस चर्चा के बाद जफर इस्लाम ने लगातार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपडेट दिया। जफर इस्लाम वही नेता हैं, जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी।

मार्च में सिंधिया भाजपामें शामिल हुए थे
11 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा जॉइन की थी। उनके साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और बहुमत परीक्षण से पहले ही सीएम कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। इस तरह प्रदेश में भाजपाकी फिर से सरकार बनी। भाजपा ने सिंधिया को अपने कोटे से राज्यसभा भेज दिया।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट। सिंधिया मार्च में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। पायलट ने अभी पार्टी नहीं छोड़ी है।