जरूरत की खबर- आयुष विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी:नकली सरकारी वेबसाइट को कैसे पहचानें, हमेशा ये 7 पॉइंट्स जरूर चेक करें

बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं के साथ बड़ी ठगी का मामला सामने आया है। स्कैमर्स ने ‘ई-औषधि एमपी पोर्टल’ के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर 2,972 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया, जो पूरी तरह फर्जी निकला। इस भर्ती का विज्ञापन 7 मार्च को वेबसाइट पर डाला गया था। इसके जरिए 15,000 से अधिक युवाओं से 500-500 रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस वसूलकर करीब 75 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी की गई। इसका खुलासा तब हुआ, जब एक महीने बाद आयुष विभाग ने कहा कि ऐसा कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। यह पहली बार नहीं है, जब बेरोजगार युवाओं को इस तरह का झांसा दिया गया हो। इससे पहले भी कई बार फर्जी सरकारी वेबसाइट्स और नौकरी के नाम पर स्कैम सामने आ चुके हैं। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि फेक सरकारी वेबसाइट के स्कैम से कैसे बचें। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर सवाल- स्कैमर्स ने नौकरी का झांसा देकर युवाओं को कैसे अपने जाल में फंसाया?
जवाब- स्कैमर्स ने सरकारी पोर्टल की तरह दिखने वाली फर्जी वेबसाइट बनाई, जिसका इंटरफेस, नाम और URL असली ‘ई-औषधि’ साइट से काफी मिलता-जुलता था। इससे भ्रमित होकर हजारों युवाओं ने आवेदन कर दिया और फीस भर दी। सवाल- ऐसे स्कैम में कौन-सी टेक्नोलॉजी या तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं?
जवाब- आजकल साइबर ठग कई स्मार्ट टेक्नोलॉजी और ट्रिक्स का इस्तेमाल करते हैं। सबसे पहले वे असली सरकारी वेबसाइट जैसा दिखने वाला फेक पोर्टल बनाते हैं, जिसमें नाम, लोगो, रंग और डिजाइन सब कुछ हूबहू कॉपी किया जाता है। इसके बाद सोशल मीडिया, यूट्यूब, वॉट्सएप ग्रुप्स और सस्ते ऑनलाइन विज्ञापनों के जरिए इस फर्जी वेबसाइट का प्रचार करते हैं। कई बार ये स्कैमर गूगल सर्च में अपनी साइट को ऊपर लाने के लिए SEO टेक्निक्स का भी इस्तेमाल करते हैं, जिससे लोग भ्रमित होकर फर्स्ट लिंक पर क्लिक कर दें। कई बार वेबसाइट में फर्जी हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी दिए होते हैं, ताकि भरोसा बनाया जा सके। कुल मिलाकर ये स्कैम ‘विश्वास पैदा करके ठगने’ की साइबर प्लानिंग होती है, जिसमें टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल किया जाता है। सवाल- फर्जी सरकारी वेबसाइट की पहचान कैसे कर सकते हैं?
जवाब- फर्जी सरकारी वेबसाइट की पहचान करने के लिए सबसे पहले उसके डोमेन (Domain) नाम को ध्यान से देखना चाहिए। डोमेन एक ऐसा नाम होता है, जिससे लोग आपकी वेबसाइट को इंटरनेट पर आसानी से ढूंढ सकते हैं।आमतौर पर असली सरकारी वेबसाइट का पता .gov.in या .nic.in से खत्म होता है। अगर वेबसाइट किसी और डोमेन जैसे .com, .org, या सिर्फ .in पर हो तो वह संदिग्ध हो सकती है। इसके अलावा वेबसाइट में “https://” जरूर होना चाहिए, जिससे पता चलता है कि साइट सिक्योर है। कुछ अन्य तरीकों से भी आप फेक सरकारी वेबसाइट की पहचान कर सकते हैं। सवाल- क्या स्कैमर्स सरकारी डोमेन की नकल कर सकते हैं?
जवाब- सरकारी डोमेन जैसे .gov.in या .nic.in की नकल करना लगभग असंभव है क्योंकि इन्हें केवल सरकारी संस्थाओं को ही अलॉट किया जाता है। यह एक सख्त वेरिफिकेशन प्रोसेस के तहत जारी किए जाते हैं। स्कैमर्स आमतौर पर .com, .org, या .in जैसे पब्लिक डोमेन्स का इस्तेमाल करते हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन आसानी से और कम कीमत में हो जाता है। उदाहरण के तौर पर इस केस में फर्जी वेबसाइट (https://e-aushadhimp.co.in) का URL था। यह देखने में असली से मिलता-जुलता लगता है, लेकिन वास्तव में ये .co.in डोमेन पूरी तरह फर्जी है। इसलिए किसी भी वेबसाइट को खोलने से पहले उसका डोमेन नेम ध्यान से देखें। सवाल- क्या कोई सरकारी पोर्टल है, जहां वेबसाइट की वैधता चेक की जा सकती है?
जवाब- अगर आपको किसी वेबसाइट की वैधता (authenticity) पर शक है तो उसकी पुष्टि के लिए कुछ सरकारी पोर्टल और तरीके मौजूद हैं। इनकी मदद से सरकारी पोर्टल और टूल्स की वैधता जांच जा सकती है। CERT-In
इस वेबसाइट (https://www.cert-in.org.in) से आप फेक वेबसाइट्स की रिपोर्ट कर सकते हैं और साइबर अलर्ट भी देख सकते हैं। Whois Lookup Tools
यह ऐसे ऑनलाइन टूल्स या सर्विस होती हैं, जो बताते हैं कि वेबसाइट का डोमेन कब रजिस्टर हुआ है, किसके नाम पर है और कहां से ऑपरेट हो रही है। यह जानकारी इन टूल्स से मिल जाती है। आमतौर पर असली सरकारी वेबसाइट NIC या किसी सरकारी एजेंसी के नाम पर रजिस्टर्ड होती है। उदाहरण के लिए inregistry.in, whois.domaintools.com)। NIC
अगर कोई वेबसाइट .gov.in या .nic.in पर नहीं है, तो आप NIC (National Informatics Centre) से वेरिफाई कर सकते हैं। इसके अलावा अगर वेबसाइट किसी मंत्रालय या विभाग से जुड़ी है तो उसकी ऑफिशियल वेबसाइट या सोशल मीडिया हैंडल पर जाकर उस भर्ती या सूचना की पुष्टि जरूर करें। सवाल- अगर किसी ने गलती से फेक वेबसाइट पर सेंसिटिव जानकारी दे दी है तो उसे तुरंत क्या करना चाहिए?
जवाब- ऐसी स्थिति में तुरंत कुछ जरूरी कदम उठाएं। जैसेकि- सवाल- क्या भारत में ऐसे स्कैम के लिए कोई खास कानून है? जवाब- भारत में फेक वेबसाइट, साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन स्कैम से जुड़े मामलों को कंट्रोल करने के लिए भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय डिजिटल कानून, 2000 में प्रावधान मौजूद हैं। अगर कोई व्यक्ति धोखे से किसी की संपत्ति, पैसा या सेंसिटिव जानकारी हासिल करता है (जैसे फर्जी वेबसाइट बनाकर) तो यह धोखाधड़ी माना जाएगा। उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 316 और फर्जी वेबसाइट या डॉक्यूमेंट बनाकर लोगों को भ्रमित करने पर धारा 336 और 338 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा आईटी एक्ट, 2000 के तरह किसी को धोखा देने के लिए फर्जी वेबसाइट, ईमेल या आईडी का इस्तेमाल करने पर धारा 66C और 66D के तरह कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। ………………………… साइबर क्राइम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… जरूरत की खबर- पासपोर्ट बनवाने के नाम पर फ्रॉड:सरकार ने जारी की एडवाइजरी, जानें सही तरीका विदेश मंत्रालय की तरफ से एक एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि गूगल पर कई फेक वेबसाइट्स हैं, जो यूजर्स से जल्दी अपॉइंटमेंट और पासपोर्ट बनवाने के बदले मोटा पैसा वसूल रही हैं। पूरी खबर पढ़िए…