गर्मी में चिलचिलाती धूप व तेज लू से बचने के लिए लोग तरह-तरह के कोल्ड ड्रिंक्स पीते हैं। कई बार तो गर्मी से इंस्टेंट राहत पाने के लिए लोग बर्फ भी चबाते हैं। इससे ओरल ड्राईनेस से राहत मिलती है और हाइड्रेशन में भी मदद मिलती है। हालांकि कभी-कभार बर्फ चबाना तो ठीक है, लेकिन अगर अक्सर इसकी क्रेविंग होती है तो ये एक खास हेल्थ कंडीशन का संकेत हो सकता है। इसे मेडिकल टर्म में ‘पैगोफेजिया’ (Pagophagia) कहा जाता है। यह ईटिंग डिसऑर्डर का एक रेयर फॉर्म है, जिसे पिका (PICA) भी कहते हैं। ये वैसी स्थिति है, जैसे किसी को चॉक या मिट्टी खाने का मन करता है। पिका बच्चों और गर्भवती महिलाओं में आम है, लेकिन यह किसी को भी हो सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, आमतौर पर पैगोफेजिया आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया या किसी मेंटल प्रॉब्लम से जुड़ा होता है। ऐसे में इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम आइस क्रेविंग के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. पूनम तिवारी, सीनियर डाइटीशियन, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ सवाल- क्या बर्फ खाना सुरक्षित है? जवाब- गर्मी के मौसम में कभी-कभार बर्फ चबाना आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। यह शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। कोल्ड ड्रिंक में थोड़ी मात्रा में बर्फ के टुकड़े डालकर उसे चूसना ताजगी देने वाला हो सकता है। हालांकि अक्सर बर्फ चबाने से दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचता है। अगर किसी को अक्सर बर्फ खाने की क्रेविंग होती है तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। सवाल- बर्फ खाने की तलब क्यों होती है? जवाब- आइस क्रेविंग कई कारणों से हो सकती है। ऑनलाइन डेटाबेस ‘साइंस डायरेक्ट’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, शरीर में आयरन की कमी होने पर कुछ लोगों को बर्फ खाने की क्रेविंग हो सकती है। हालांकि यह अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों होता है। प्रेग्नेंसी, पीरियड और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं में आयरन की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उन्हें बर्फ खाने की तलब लग सकती है। वहीं कुछ लोग तनाव कम करने के लिए बर्फ खाते हैं। इससे उन्हें सुकून मिलता है। इसके अलावा शरीर में पानी की कमी होने पर भी बर्फ खाने की इच्छा हो सकती है। इसके और भी कई कारण हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- ज्यादा बर्फ खाने से किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं? जवाब- यह इस बात पर निर्भर करता है कि बर्फ कितनी बार खाते हैं और इसका कारण क्या है। हालांकि थोड़ी मात्रा में बर्फ खाना आमतौर पर खतरनाक नहीं होता है। लेकिन बहुत ज्यादा बर्फ खाने से दांतों के इनेमल खराब हो सकते हैं और सेंसिटिविटी हो सकती है। इसके अलावा और भी कई प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ जाता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- आइए, ऊपर दिए पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। पाचन संबंधी समस्याएं बहुत ज्यादा बर्फ खाने से पेट का तापमान अचानक से गिर सकता है। ऐसे में जिनकी पाचन क्रिया कमजोर होती है, इससे उन्हें हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है। इसके अलावा हमारे शरीर में भोजन पचाने के लिए कुछ खास एंजाइम काम करते हैं। ठंडी चीजें इन एंजाइम की कार्यक्षमता को थोड़ा धीमा कर सकती हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। डेंटल या ओरल हेल्थ इश्यू बर्फ बहुत कठोर होती है और लगातार चबाने से दांतों की बाहरी परत, जिसे इनेमल कहते हैं, वह घिस सकती है। इससे दांतों में छोटी-छोटी दरारें आ सकती हैं, वे टूट भी सकते हैं। इनेमल कमजोर होने से दांत ठंडे या गर्म चीजों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो सकते हैं। इसके अलावा जबड़े में दर्द भी हो सकता है। पोषक तत्वों की कमी बर्फ में पानी के सिवाय कोई न्यूट्रिशन नहीं होता है। ऐसे में अधिक मात्रा में बर्फ खाने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। पैगोफेजिया से जुड़ी समस्याएं बर्फ के सीधे तौर पर आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाने की संभावना कम होती है। लेकिन पैगोफेजिया से पीड़ित व्यक्ति अन्य नॉन-फूड आइटम्स का भी सेवन कर सकते हैं, जो इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं। कुछ मामलों में पैगोफेजिया स्ट्रेस, एंग्जाइटी या ओबेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) जैसी मेंटल कंडीशन से जुड़ा हो सकता है। एनीमिया से संबंधित समस्याएं अगर आइस क्रेविंग एनीमिया के कारण है और उसका इलाज न किया जाए तो एनीमिया से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। जैसेकि- सवाल- क्या बर्फ का गोला खाना भी सेहत के लिए नुकसानदायक है? जवाब- कुछ लोग गर्मी में हर रोज बर्फ का गोला खाना पसंद करते हैं। इससे कुछ देर के लिए ताजगी जरूर महसूस होती है। लेकिन लंबे समय में यह नुकसानदायक हो सकती है। दरअसल बर्फ का गोला बनाने के लिए उसमें फ्लेवर्ड शुगर सिरप मिलाया जाता है, जो सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए फ्लेवर्ड आइस को सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए। इससे वजन और ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। सवाल- आइस क्रेविंग का पता कैसे लगाया जाता है? जवाब- आइस क्रेविंग की असल वजह का पता लगाने के लिए डॉक्टर आमतौर पर फिजिकल टेस्ट के साथ-साथ ब्लड टेस्ट भी कराते हैं। अगर ब्लड टेस्ट में कोई कमी पाई जाती है तो उसका इलाज आइस क्रेविंग को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं अगर ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट सामान्य है तो डॉक्टर आइस क्रेविंग के अन्य संभावित कारण जैसे साइकोलॉजिकल फैक्टर पर विचार कर सकते हैं। सवाल- आइस क्रेविंग का इलाज कैसे किया जाता है? जवाब- आइस क्रेविंग का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। अगर ये आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया के कारण है तो डॉक्टर आमतौर पर आयरन सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। इसी तरह अन्य पोषक तत्वों की कमी के लिए डॉक्टर उसके सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर आइस क्रेविंग स्ट्रेस, एंग्जाइटी या ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) जैसी मेंटल कंडीशन से जुड़ी है तो इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) मददगार हो सकती है। अगर आइस क्रेविंग पिका के कारण है तो इसके लिए साइकोथेरेपी या CBT दी जाती है। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली आइस क्रेविंग अक्सर डिलीवरी के बाद अपने आप ठीक हो जाती है। सवाल- आइस क्रेविंग से कैसे बचा जा सकता है? जवाब- डॉ. पूनम तिवारी बताती हैं कि इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसेकि- ……………… जरूरत की खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- फ्रिज के ठंडे पानी से बचें: डॉक्टर से जानें 5 बड़े नुकसान, किन लोगों के लिए ज्यादा नुकसानदायक ठंडा पानी चिलचिलाती धूप और उमस भरी इस गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडे पानी का सहारा लेते हैं। ज्यादातर लोग फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं या गिलास में बर्फ डालकर खुद को ताजगी का एहसास कराते हैं। ठंडा पानी भले ही पलभर की ठंडक दो देता है, लेकिन लंबे समय तक बर्फ का पानी पीना शरीर के लिए नुकसानदायक है। पूरी खबर पढ़िए…