जरूरत की खबर- गर्मी में बच्चों में बढ़ता डायरिया:इन शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज, डॉक्टर से जानें बचाव के 7 तरीके

मई का महीना आधे से ज्यादा बीत चुका है। हर बीतते दिन के साथ तापमान में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। ऐसे में भीषण गर्मी और लू के कारण छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन, डायरिया, उल्टी-दस्त और बुखार जैसी स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ने लगती हैं। अस्पतालों में इन समस्याओं से पीड़ित बच्चों की संख्या में भी इजाफा होने लगता है। यह स्थिति खासकर कमजोर और कुपोषित बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। अगर डायरिया या डिहाइड्रेशन के लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए जरूरी है कि गर्मी के इस मौसम में बच्चों की सेहत पर खास ध्यान दिया जाए और किसी भी लक्षण को हल्के में न लिया जाए। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि गर्मी में बच्चों को किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अंशु शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ, मथुरा सवाल- डायरिया क्या है? जवाब- यह एक पेट की बीमारी है, जिसमें बार-बार पतला या पानी जैसा दस्त (मल) होने लगता है। यह तब होता है, जब पेट सही से खाना नहीं पचा पाता या किसी तरह का इन्फेक्शन हो जाता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है। डायरिया में शरीर से पानी और नमक (सोडियम) तेजी से निकल जाता है, जिससे बच्चा सुस्त और डिहाइड्रेट हो सकता है। सवाल- हर साल डायरिया से कितने बच्चों की मौत होती है? जवाब- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, डायरिया से हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के करीब 4.43 लाख और 5-9 वर्ष की उम्र के लगभग 50 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत होती है। इसलिए इसके लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। नीचे दिए ग्राफिक में डायरिया के लक्षण देख सकते हैं। सवाल- बच्चों में डायरिया का खतरा ज्यादा क्यों होता है? जवाब- बच्चों का शरीर पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसलिए उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। अक्सर बच्चे बिना हाथ धोए खाना खा लेते हैं या गंदे खिलौने और अन्य सामान मुंह में डाल लेते हैं। इससे बैक्टीरिया और वायरस उनके पेट में चले जाते हैं, जिससे डायरिया हो सकता है। गर्मी के मौसम में इन्फेक्शन फैलने का खतरा और बढ़ जाता है, इसलिए यह समस्या आम हो जाती है। इसके मुख्य कारण ग्राफिक से समझिए- सवाल- गर्मी में नवजात शिशुओं की देखभाल में कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब- डॉ. अंशु शर्मा बताती हैं कि नवजात शिशु का शरीर बहुत नाजुक होता है। तापमान में हल्का-सा बदलाव भी उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उनकी देखभाल में बेहद सावधानी की जरूरत होती है। इसलिए नीचे दी गई कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। केवल मां का दूध पिलाएं 6 महीने तक के शिशु को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। यही उसका खाना, पानी और दवा है। शिशु के लिए चुनें हवादार कमरा जन्म से करीब 6 महीने तक उसे सीधी धूप, गर्म कमरे या भीड़भाड़ वाली जगहों पर न ले जाएं। एसी या कूलर की हवा सीधे न लगने दें, लेकिन कमरे को ठंडा रखें। हल्के और सूती कपड़े पहनाएं बच्चे को ढीले, हल्के रंग के कॉटन कपड़े पहनाएं। अगर बच्चे के कपड़े बार-बार कपड़े गीले हों तो उन्हें तुरंत बदलें। डायपर की सफाई और चेकिंग गर्मी में रैशेज का खतरा बढ़ता है, इसलिए डायपर समय पर बदलें और स्किन को सूखा रखें। नहलाने में सावधानी रोज हल्के गुनगुने या सामान्य ताजे पानी से नहलाएं। नहलाने के तुरंत बाद शरीर को सुखाकर कपड़े पहनाएं। साफ-सफाई का खास ध्यान रखें नवजात को गोद लेने से पहले हाथ जरूर धोएं। साथ ही बच्चे के आसपास साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। बुखार, सुस्ती या रोने पर डॉक्टर से संपर्क करें अगर न्यू बोर्न बेबी को पसीना ज्यादा आ रहा हो, वह दूध नहीं पी रहा हो, सुस्त हो या लगातार रो रहा हो तो ये डिहाइड्रेशन या इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सवाल- भीषण गर्मी में बच्चों के खान-पान और हाइड्रेशन को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब- गर्मी में बच्चे बहुत जल्दी थकते हैं, उन्हें पसीना ज्यादा आता है और शरीर में पानी की कमी जल्दी हो सकती है। ऐसे में उनका खान-पान और पानी पीने की आदत पर खास ध्यान देना जरूरी है। उसे छाछ, गन्ने का जूस, नारियल पानी जैसे हेल्दी ड्रिंक्स भी दे सकते हैं। हल्का और ताजा खाना दें बच्चों को गर्मियों में ऐसा खाना दें, जो आसानी से पच जाए। जैसे दाल-चावल, रोटी-सब्जी, खिचड़ी। बासी या बाहर का खाना बिल्कुल न दें। ताजे फल खिलाएं तरबूज, खरबूजा, पपीता, आम, खीरा, ककड़ी जैसे फल बच्चों के शरीर को ठंडक देते हैं। साथ ही शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते हैं। ज्यादा मसालेदार या तला-भुना खाना न दें बच्चों को तीखा, ज्यादा तला-भुना या तेल वाला खाना बिल्कुल नहीं देना चाहिए। इससे पेट खराब हो सकता है। हमेशा बच्चों की बोतल भरकर रखें अगर बच्चा स्कूल जाता है तो उसे साफ पानी की बोतल दें। उसे ये भी बताएं कि थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहना कितना जरूरी है। सवाल- किस स्थिति में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है? जवाब- अगर डायरिया के लक्षण दो दिन से ज्यादा दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अगर मल में खून दिखे, तेज बुखार हो, बार-बार उल्टी हो या बच्चा बहुत सुस्त लगे तो यह भी खतरे के संकेत हो सकते हैं। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर शरीर वाले लोगों में डायरिया जल्दी गंभीर हो सकता है। इसलिए उनके मामले में किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ……………….. ये खबर भी पढ़िए… आप भी हैं घमौरियों से परेशान, अपनाएं ये घरेलू नुस्खे:छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक इसके शिकार गर्मियों के मौसम में तेज धूप और उमस की वजह से लोगों की शरीर में घमौरियां हो जाती हैं। ये एक आम स्किन प्रॉब्लम है, जिससे बहुत से लोग परेशान रहते हैं। ये समस्या छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक किसी को भी हो सकती है। हालांकि कुछ बुनियादी देखभाल व हाइजीन से इससे काफी हद तक राहत पाया जा सकता है। पूरी खबर पढ़िए…