जरूरत की खबर- दिल्ली-श्रीनगर फ्लाइट में भारी टर्बुलेंस:ऐसे में पैनिक न हों, न करें ये गलतियां, बरतें 13 जरूरी सावधानियां

21 मई को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 2142 खराब मौसम के कारण टर्बुलेंस में फंस गई। फ्लाइट में तेज झटके लगने शुरू हो गए, जिससे यात्रियों में डर पैदा हो गया और लोग चीखने-चिल्लाने लगे। फ्लाइट में 227 यात्री और क्रू मेंबर्स थे। हालात इतने खराब हो गए कि पायलट को पाकिस्तान से एयरस्पेस इस्तेमाल करने की इजाजत तक मांगनी पड़ी, लेकिन वहां से मना कर दिया गया। जैसे-तैसे पायलट ने श्रीनगर में फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग कराई। ऐसे हादसे बताते हैं कि फ्लाइट के दौरान हवा में झटके (एयर टर्बुलेंस) थोड़ी बड़ी मुसीबत भी बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि हम न सिर्फ टर्बुलेंस को समझें, बल्कि इससे जुड़े सुरक्षा निर्देशों को समझें। तो चलिए, जरूरत की खबर आज में बात करेंगे कि प्लेन टर्बुलेंस क्या है? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: मोहम्मद फरहान हैदर रिजवी, असिस्टेंट मैनेजर, एयरपोर्ट ऑपरेशन एंड कस्टमर सर्विस, नई दिल्ली सवाल- फ्लाइट टर्बुलेंस क्या है और ये क्यों होता है? जवाब- जब प्लेन हवा में उड़ रहा होता है और अचानक हवा की रफ्तार या दिशा बदल जाती है, तो प्लेन हिलने लगता है। इसी हिलने-डुलने को ‘टर्बुलेंस’ कहा जाता है। ये तब होता है जब प्लेन के रास्ते में तेज, उलझी हुई या बहाव वाली हवा आ जाती है। इससे प्लेन थोड़ा ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं झटकने लगता है। ये झटके कई बार डरावने लग सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में ये खतरनाक नहीं होते हैं क्योंकि एयरक्राफ्ट को ऐसे हालात का सामना करने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है। पायलट भी इसके लिए पूरी तरह ट्रेंड होते हैं। सवाल- टर्बुलेंस कब-कब बड़े हादसों की वजह बना है? जवाब- टर्बुलेंस हवाई यात्रा के दौरान मौसमी खराबी की वजह से होता है। कुछ मामलों में यह गंभीर हादसों की वजह भी बन चुका है। नीचे ग्राफिक में कुछ प्रमुख हादसों की लिस्ट देख सकते हैं। सवाल- किस स्थिति में फ्लाइट में टर्बुलेंस की घटनाएं ज्यादा होती हैं? जवाब- टर्बुलेंस यात्रियों के लिए डराने वाले अनुभव बन जाते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि यह तकनीकी खराबी है, लेकिन असल में यह एक सामान्य मौसम से जुड़ी प्रक्रिया है। यह झटके कभी हल्के होते हैं तो कभी इतने तीव्र कि विमान थोड़ी देर के लिए कंट्रोल से भी बाहर हो सकता है। यह जानना जरूरी है किस मौसम या हालात में टर्बुलेंस ज्यादा होता है, ताकि सफर के दौरान मानसिक रूप से तैयार रहा जा सके। सवाल- फ्लाइट में टर्बुलेंस की स्थिति कब खतरनाक हो सकती है? जवाब- एयरक्राफ्ट को इस तरह की स्थिति झेलने के लिए डिजाइन किया जाता है। हालांकि कुछ परिस्थितियों में यह खतरनाक भी हो सकता है। जैसेकि- सवाल- फ्लाइट में टर्बुलेंस के दौरान पैसेंजर्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जवाब- हवाई यात्रा के दौरान आने वाले झटके अचानक होते हैं और कई बार डरावने भी लग सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में ये सामान्य होते हैं और विमान के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं होते हैं। विमान और क्रू ऐसे हालात से निपटने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित होते हैं, लेकिन यात्रियों की सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। ऐसे में घबराने के बजाय कुछ सरल सावधानियां अपनाकर आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। सवाल- टर्बुलेंस की स्थिति में पायलट के पास क्या विकल्प होते हैं? जवाब- टर्बुलेंस के दौरान पायलट के पास कई विकल्प होते हैं, जिससे वे यात्रियों और विमान की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। ये विकल्प इस बात पर निर्भर करते हैं कि टर्बुलेंस की तीव्रता कितनी है। अधिकांश मामलों में पायलट इस विकल्पों को अपनाते हैं। ऊंचाई बदलना अगर टर्बुलेंस किसी खास लेवल पर हो तो पायलट ऊपर या नीचे की ओर फ्लाइट लेकर उसे अवॉइड करने की कोशिश करते हैं। रूट डायवर्जन मौसम रडार या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की मदद से पायलट अपना रास्ता थोड़ा मोड़ सकते हैं, ताकि खराब मौसम या तूफान से बचा जा सके। स्पीड कंट्रोल टर्बुलेंस के समय पायलट एयरक्राफ्ट की स्पीड घटाकर ‘टर्बुलेंस पेनिट्रेशन स्पीड’ पर ला देते हैं, जिससे झटकों का असर कम होता है। सीट बेल्ट साइन ऑन करना पायलट सीट बेल्ट का संकेत ऑन करके यात्रियों और क्रू को सावधान कर देते हैं, ताकि कोई खड़े न हों और चोट न लगे। ATC से सूचना साझा करना अगर किसी खास रास्ते में झटके लगते है तो पायलट ATC को रिपोर्ट देते हैं ताकि पीछे आने वाली फ्लाइट्स को समय रहते अलर्ट किया जा सके। साथ ही इमरजेंसी की स्थिति में लैंडिंग भी कराई जाती है। जेट स्ट्रीम और विंड शीयर से बचाव पायलट हाई स्तरीय जेट स्ट्रीम और तेज हवा की दिशा-परिवर्तन (wind shear) की रिपोर्ट को देखकर पहले से बचने की योजना बनाते हैं। सवाल- क्या पायलट को पहले से पता होता है कि टर्बुलेंस आने वाला है? जवाब- कई बार पायलट को पहले से संकेत मिल जाता है कि आगे टर्बुलेंस हो सकता है, लेकिन यह हर बार संभव नहीं होता है। ऐसे में पायलट टर्बुलेंस का इन तरीकों से पता लगाते हैं। उड़ान से पहले मौसम रिपोर्ट (Pilot Briefings): फ्लाइट से पहले पायलट मौसम से जुड़ी पूरी जानकारी लेते हैं, जिसमें संभावित टर्बुलेंस जोन का भी जिक्र होता है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल से अलर्ट: अगर किसी और फ्लाइट को रास्ते में टर्बुलेंस का सामना हुआ है तो वो एयर ट्रैफिक कंट्रोल के जरिए बाकी पायलटों को चेतावनी देते हैं। जेट स्ट्रीम और विंड शीयर डेटा: पायलट अपने फ्लाइट प्लान में ऊंचाई और दिशा के साथ हवा की स्पीड और दिशा का एनालिसिस करते हैं, जिससे टर्बुलेंस के अनुमान लगाया जा सके। लेकिन, Clear Air Turbulence (CAT) जैसी स्थितियां बिना किसी चेतावनी के आ सकती हैं क्योंकि ये बादलों के बिना होती हैं और कई बार रडार में नहीं दिखतीं हैं। ………………… ये खबर भी पढ़िए… सड़क हादसे में घायल को अब मिलेगा तुरंत इलाज:सरकार उठाएगी 1.5 लाख रुपए तक का खर्च, कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम हुई लागू भारत सरकार ने 5 मई 2025 से ‘कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम 2025’ की शुरुआत की है, जो सड़क हादसों के शिकार लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनेगी। इस स्कीम के तहत घायल व्यक्ति को 1.5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त मिलेगा। वह भी बिना किसी कागजी झंझट, एडवांस या इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट के। पूरी खबर पढ़िए…