जरूरत की खबर- नौतपा में घर से बाहर न निकलें:इन लोगों को ज्यादा हेल्थ रिस्क, बरतें 13 सावधानियां, डॉक्टर से जानें बचने के उपाय

इस बार नौतपा 25 मई से शुरू हो रहा है, जो कि 2 जून, 2025 तक चलेगा। ये 9 दिन साल के सबसे गर्म दिन होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, नौतपा तब लगता है, जब ज्येष्ठ महीने में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। इस दौरान दिन के समय में घर से बाहर निकलना किसी खतरे से कम नहीं होता है। वहीं कुछ खास हेल्थ कंडीशन से जूझ रहे लोगों को नौतपा में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि उनका शरीर ज्यादा गर्मी झेलने के लिए सक्षम नहीं होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 2024 में भारत में हीट स्ट्रोक से 360 लोगों की मौत हुई थी। वहीं ‘हीट वॉच’ नामक संस्था की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि असल में यह आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से दोगुना यानी 733 है। हालांकि कुछ सुरक्षा उपायों से नौतपा की तेज गर्मी से बचा जा सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम नौतपा में भीषण गर्मी से बचने के उपायों के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अरविंद अग्रवाल, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन एंड इनफेक्शियस डिजीज, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली सवाल- नौतपा में गर्मी ज्यादा क्यों बढ़ जाती है? जवाब- नौतपा आमतौर पर मई के आखिरी और जून के पहले हफ्ते में होता है। इस समय हवाएं गर्म और शुष्क होती हैं, जो तापमान को और बढ़ा देती हैं। इस दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कम हो जाती है। इससे सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं और भीषण गर्मी महसूस होती है। सवाल- ज्यादा तापमान का सेहत पर कैसा असर पड़ता है? जवाब- नौतपा के दौरान जब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो शरीर पर इसका सीधा असर पड़ता है। तेज गर्मी और लगातार पसीना आने की वजह से शरीर में नमक-पानी की कमी हो जाती है। इससे व्यक्ति को कमजोरी महसूस होने लगती है, चक्कर आ सकते हैं और थकावट बनी रहती है। अगर शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाए तो बुखार, सिरदर्द, उल्टी और कभी-कभी बेहोशी भी हो सकती है। तेज गर्मी के कारण स्किन रैशेज और घमौरियां हो सकती हैं। इसके अलावा गर्मी में पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है। खाना जल्दी पचता नहीं है, जिससे दस्त या उल्टी की समस्या हो सकती है। सवाल- नौतपा में किन लोगों को ज्यादा रिस्क होता है? जवाब- वैसे तो नौतपा हर किसी के लिए खतरनाक है। लेकिन कुछ लोगों को इसका रिस्क अधिक रहता है। जैसेकि- इसके अलावा छोटे बच्चों, बुजुर्गों और प्रेग्नेंट वुमन को भी इसका रिस्क ज्यादा होता है। सवाल- किन हेल्थ कंडीशंस में गर्मी ज्यादा खतरनाक हो सकती है? जवाब- शरीर का तापमान बढ़ने पर हार्ट, लंग्स, लिवर और ब्रेन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। ऐसे में जो लोग पहले से इससे जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हैं, उनके लिए ज्यादा गर्मी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- आइए, अब ऊपर बताई गई हेल्थ कंडीशंस के बारे में विस्तार से बात करते हैं। हार्ट डिजीज गर्मी में जब शरीर का तापमान बढ़ता है तो उसे कंट्रोल करने के लिए ब्लड सर्कुलेशन तेज हो जाता है। इससे हार्ट को खून पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। सांस संबंधी समस्याएं तेज, गर्म और शुष्क हवा अस्थमा या अन्य सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल बना सकती है। इस मौसम में स्मोकिंग करने वालों को सांस संबंधी समस्या और इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। किडनी डिजीज तेज गर्मी किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है। जब शरीर डिहाइड्रेट होता है तो किडनी पर ज्यादा दबाव पड़ता है और वे शरीर से टॉक्सिन्स को ठीक से फिल्टर नहीं कर पातीं। इससे किडनी फेल्योर या सीवियर इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। किडनी का काम शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखना होता है। लेकिन गर्मी में यह संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे किडनी की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। डायबिटीज तेज तापमान का असर ब्लड शुगर लेवल पर भी पड़ता है। यह इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ा सकता है, जिससे शरीर शुगर को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता। ऐसे में डायबिटिक लोगों के लिए शुगर लेवल कंट्रोल में रखना मुश्किल हो सकता है और उनकी स्थिति बिगड़ सकती है। मेंटल हेल्थ कंडीशन तापमान बढ़ने के साथ ही स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशन और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी मेंटल कंडीशन के ट्रिगर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। मोटापा अधिक वजन वाले लोगों के शरीर में फैट की परत गर्मी को बाहर निकलने से रोकती है। इससे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ सकता है। ऐसे में उन्हें डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। हाइपरटेंशन तेज गर्मी हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों में ब्लड प्रेशर को अस्थिर कर सकती है और हार्ट पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सवाल- ऊपर बताई गई हेल्थ कंडीशन वाले लोगों को नौतपा से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब- इन हेल्थ कंडीशंस वालों के लिए सबसे जरूरी सावधानी है कि वे खुद को गर्मी से बचाएं और जितना हो सके ठंडी जगहों पर रहें। साथ ही अपने शरीर के संकेतों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। अगर चक्कर, कमजोरी या कोई अन्य लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सवाल- नौतपा के प्रभाव से कैसे बचा जा सकता है? जवाब- इसके लिए शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा दोपहर 12-4 बजे तक बाहर निकलने से बचें क्योंकि इस समय सूर्य की किरणें सबसे तेज होती हैं। अगर किसी जरूरी कार्य से बाहर जाना पड़े तो सिर को कपड़े या छाते से ढककर निकलें। साथ ही हल्के, सूती व सफेद रंग के कपड़े पहनें ताकि शरीर से हवा पास होती रहे। इसके साथ ही कुछ और बातों का ध्यान रखें। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- अगर तेज धूप में काम करते हुए बीमार पड़ जाएं तो क्या करें? जवाब- इसके लिए सबसे पहले छायादार स्थान पर जाएं। कुछ देर रेस्ट करने के बाद ORS का घोल या नींबू पानी पिएं। गीले कपड़े से शरीर पोंछें या ठंडे पानी से नहाएं। अगर चक्कर, उल्टी या तेज बुखार हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ………………… जरूरत की ये खबर भी पढ़िए क्या आप भी गर्मी में सिरदर्द से परेशान हैं: इन 7 लक्षणों को न करें नजरअंदाज, जानें हीट हेडेक से बचने के आसान घरेलू उपाय गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप, गर्म हवाएं और शरीर में पानी की कमी जैसे कारणों से सिरदर्द की समस्या आम हो जाती है। मेडिकल की भाषा में इसे ‘हीट हेडेक’ कहा जाता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मुताबिक, तेज गर्मी और कम वायुदाब सिरदर्द का खतरा बढ़ाते हैं। हालांकि सही जानकारी और कुछ सुरक्षा उपायों से इस समस्या से बचा जा सकता है। पूरी खबर पढ़िए…