जरूरत की खबर- बच्चे को है अंगूठा चूसने की आदत:ये आदत कब हो सकती है नुकसानदायक, कैसे छुड़ाएं और पेरेंट्स क्या करें

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस इन दिनों अपने परिवार के साथ चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं। उनके साथ उनकी पत्नी उषा वेंस और तीनों बच्चे इवान, विवेक और मिराबेल भी आए हैं। मिराबेल, जो सबसे छोटी हैं, उन्होंने अपनी मासूमियत से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, वहीं दौरे के दौरान वायरल हुईं कुछ तस्वीरों में मिराबेल अंगूठा चूसते हुए नजर आईं। बच्चों का अंगूठा या उंगली चूसना एक सामान्य आदत मानी जाती है, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि यह आदत एक छोटे से आराम के संकेत के तौर पर शुरू होती है, लेकिन अगर लंबे समय तक बनी रहे तो यह बच्चे की शारीरिक और मानसिक सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकती है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि अंगूठा चूसना बच्चों के लिए कब खतरनाक हो सकता है? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. ऋतु प्रिया सिंह, एमडी, पीडियाट्रिशियन एंड नियोनेटोलॉजिस्ट रिद्धि दोषी पटेल, चाइल्ड एंड पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट, मुंबई सवाल- बच्चे अंगूठा क्यों चूसते हैं? जवाब- बच्चों में जन्म से ही रूटिंग और सकिंग रिफ्लेक्स होते हैं। यही नेचुरल रिफ्लेक्स उन्हें अपने अंगूठा या उंगलियां मुंह में डालने के लिए प्रेरित करते हैं। कई बार तो यह आदत जन्म से पहले ही (गर्भ में) शुरू हो जाती है। इसके अलावा जब बच्चा किसी बात को लेकर तनाव, डर या बेचैनी महसूस करता है तो वह खुद को शांत करने और सुरक्षित रखने के लिए अंगूठा चूसने लगता है। यह व्यवहार एक तरह का सेल्फ-सूथिंग बिहेवियर होता है। यही वजह है कि कुछ बच्चे थोड़े परेशान, थके हुए या नींद में होने पर खुद को शांत करने के लिए अंगूठा चूसने लगते हैं। सवाल- बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत कितने समय तक रहती है? जवाब- अंगूठा चूसना बच्चों की सबसे आम आदतों में से एक है। करीब 90% नवजात शिशु जन्म के दो घंटे के भीतर किसी-न-किसी रूप में हाथ चूसने का व्यवहार दिखाते हैं। अधिकतर बच्चे 6-7 महीने की उम्र में या फिर 2 से 4 साल की उम्र के बीच स्वाभाविक रूप से यह आदत छोड़ देते हैं। यह एक सामान्य विकास प्रक्रिया का हिस्सा होता है और इस उम्र तक यह आदत कोई स्थायी नुकसान नहीं करती है। सवाल- अगर बच्चा लंबे समय तक अंगूठा चूसता रहे तो क्या इससे किसी तरह की परेशानी हो सकती है? जवाब- पीडियाट्रिक एंड नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. ऋतु प्रिया सिंह बताती हैं कि यह आदत छोटे बच्चों में सामान्य है, लेकिन 5 साल की उम्र के बाद या स्थायी दांत (adult teeth) निकलने के समय यह आदत समस्या बन सकती है। खासकर जब बच्चा बहुत देर तक और लंबे समय तक अंगूठा चूसता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए- आइए, ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। अंगूठा चूसने से ओपन बाइट अंगूठा चूसने से दांतों की सही तरह से जुड़ने में समस्या हो सकती है, जिसे ‘डेंटल मालोक्लूजन’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि जब मुंह बंद होता है तो दांत ठीक से नहीं मिलते हैं। इस स्थिति में बोलने या खाने में परेशानी हो सकती है। ओवरबाइट की समस्या ओवरबाइट भी मालोक्लूजन का एक प्रकार है, जिसमें ऊपरी सामने के दांत बाहर की ओर झुक जाते हैं और निचले दांतों को ढक लेते हैं। इससे बच्चे के चेहरे की बनावट और मुस्कान पर असर पड़ सकता है। स्किन संबंधी समस्याएं लंबे समय तक अंगूठा चूसने से अंगूठे की स्किन पर असर पड़ सकता है। ज्यादा नमी की वजह से स्किन कमजोर हो सकती है और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। कुछ बच्चों की स्किन मोटी और कठोर (कैलीस) हो सकती है। इसके अलावा नाखून टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं या उखड़ भी सकते हैं। बोलने में दिक्कत अंगूठा चूसने से दांतों, जबड़े और तालु(Palate) की बनावट पर असर पड़ता है, जिससे बच्चे के बोलने और खाने में मुश्किल हो सकती है। इससे लिस्पिंग (तुतलाना) और स, ज, D, T जैसे शब्दों को सही से बोलने में परेशानी हो सकती है। अगर समय रहते दांतों की स्थिति ठीक न की गई तो स्पीच थेरेपी से भी पूरी तरह सुधार नहीं हो पाता है। सोशल इश्यू अगर 5 साल की उम्र के बाद भी बच्चा सार्वजनिक रूप से अंगूठा चूसता है तो उसे अपने साथियों से मजाक या उपहास का सामना करना पड़ सकता है। इससे बच्चे का आत्म-सम्मान प्रभावित हो सकता है और वह सामाजिक रूप से असहज महसूस कर सकता है। तनाव की वजह से उसकी शारीरिक वृद्धि में रुकावट आ सकती है। सवाल- क्या अंगूठा चूसना बच्चे के इमोशनल या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा संकेत हो सकता है? जवाब- हां, अंगूठा चूसना बच्चों के मानसिक और इमोशनल स्वास्थ्य से जुड़ा हो सकता है, खासकर अगर यह आदत लंबे समय तक बनी रहती है। चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट रिद्धि दोशी पटेल बताती हैं कि जब बच्चा मां का दूध पीता है तो उसे सुरक्षा और अपनापन महसूस होता है। इसी तरह अंगूठा चूसते वक्त भी बच्चा वही भावनाएं महसूस करने की कोशिश करता है। बच्चे अक्सर तनाव, अकेलापन या किसी बड़े बदलाव जैसे नए स्कूल जाना, माता-पिता का कम ध्यान देना या घर में कोई परेशानी आने पर अंगूठा चूसने लगते हैं। अगर यह आदत बहुत देर तक बनी रहती है तो यह चिंता, असुरक्षा या मानसिक परेशानी का संकेत हो सकता है। सवाल- अगर बच्चा 5 साल की उम्र के बाद भी अंगूठा चूस रहा है तो पेरेंट्स को क्या करना चाहिए? जवाब- चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट रिद्धि दोशी पटेल बताती हैं कि सबसे पहले माता-पिता को यह समझना चाहिए कि यह केवल एक आदत नहीं, बल्कि बच्चे के भीतर की किसी इमोशनल जरूरत या परेशानी का संकेत भी हो सकता है। इसलिए उसे एक नॉन-जजमेंटल और सपोर्टिव माहौल दें। इसके अलावा ग्राफिक में दिए यह तरीके अपना सकते हैं। सवाल- इस आदत को छुड़वाने के लिए चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट किन-किन पॉजिटिव और व्यवहारिक उपायों की सलाह देते हैं? जवाब- चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट बच्चों की आदतों को बदलने के लिए हमेशा सकारात्मक और संवेदनशील तरीके अपनाने की सलाह देते हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के लिए वे कुछ व्यावहारिक उपायों की सिफारिश करते हैं। जैसेकि- आदत को धीरे-धीरे कम करें: एकदम से रोकने के बजाय कुछ घंटों के लिए ‘डिटॉक्स’ करें यानी दिन में कुछ समय के लिए बच्चा अंगूठा न चूसे, इसकी कोशिश करें। तारीफ करें: जब बच्चा अंगूठा न चूसे तो उसकी तारीफ करें या उसे छोटे-छोटे रिवॉर्ड दें। इससे उसे मोटिवेशन मिलेगा। सुरक्षा का एहसास दिलाएं: जब बच्चे को भावनात्मक रूप से सुरक्षा और अपनापन महसूस होगा, उसकी यह आदत कम हो जाएगी। नींद का पैटर्न ठीक करें: अगर बच्चा 5 साल से बड़ा है तो उसके सोने के आदत में थोड़ा बदलाव करने की कोशिश करें। नींद से पहले रिलैक्सिंग रूटीन, जैसे कहानी सुनाना या गले लगाना मददगार हो सकता है। बच्चे को समझें, डांटे नहीं: सबसे जरूरी बात बच्चे की इस आदत के पीछे की भावनात्मक जरूरत को समझने की कोशिश करें। उसे डांटना या शर्मिंदा गलत है। ……..…………… ये खबर भी पढ़ें… सेहतनामा- नाखून भी देता है बीमारी का संकेत:रंग और आकार में बदलाव को न करें इग्नोर, डॉक्टर से जानें हर जरूरी सवाल का जवाब नाखूनों की बनावट, रंग और उनकी स्थिति हमारी सेहत के बारे में संकेत भी देती है। आमतौर नाखूनों का रंग हल्का गुलाबी होना चाहिए। इसके बजाय अगर वे सफेद, पीले, नीले या काले हैं या उनकी बनावट असामान्य है तो ये कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। पूरी खबर पढ़िए…