जरूरत की खबर- भारत में मिले कोरोना के नए सब-वैरिएंट:जानें ये कितने खतरनाक, WHO कर रहा निगरानी, क्या फिर से फैलेगी महामारी

दुनिया में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भारत में अब तक कोविड-19 के 4 नए सब-वैरिएंट्स मिले हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, इनमें LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 सब-वैरिएंट्स शामिल हैं। वहीं LF.7 और NB.1.8.1 अभी बिल्कुल नए हैं। इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के मुताबिक, तमिलनाडु में NB.1.8.1 के एक और गुजरात में LF.7 के चार मामले मिले हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में देश में कोविड-19 के 787 नए मामले सामने आए, जबकि 11 लोगों की मौत हुई है। साथ ही भारत में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 1,000 पार हो गई है। इनमें अधिकांश मामले JN.1 और ओमिक्रॉन वैरिएंट्स के हैं, जो कि भारत में सबसे आम हैं। ऐसे में कोरोना के खतरे से बचने लिए अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम कोविड-19 के नए वैरिएंट्स LF.7 और NB.1.8.1 के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. थरनाथ एस, कंसल्टेंट फिजिशियन एंड इंफेक्शियस डिजीज स्पेशलिस्ट, स्पर्श हॉस्पिटल, बेंगलुरु सवाल- कोरोना के नए सब-वैरिएंट कितने खतरनाक हैं? जवाब- NB.1.8.1 और LF.7 दोनों ही ओमिक्रॉन फैमिली के सब-वैरिएंट हैं, जिनमें कुछ नए स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन पाए गए हैं। इन म्यूटेशन (बदलाव) की वजह से ये वैरिएंट लोगों को तेजी से संक्रमित कर सकते हैं और ये कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी काे भी चकमा दे सकते हैं। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट्स दिख रहे हैं। सवाल- नए वैरिएंट से सबसे अधिक खतरा किसे है? जवाब- ICMR के मुताबिक, अभी तक इन दोनों सब-वैरिएंट के ज्यादातर मामले हल्के ही दिखाई दे रहे हैं। इसके बावजूद कुछ खास लोगों के लिए ये वैरिएंट ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- क्या कोविड-19 के नए वैरिएंट से महामारी की स्थिति पैदा हो सकती है? जवाब- नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 और LF.7 को ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ की कैटेगरी में रखा है, न कि ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ या ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ में। इसका मतलब है कि फिलहाल इन वैरिएंट्स से महामारी जैसी स्थिति का खतरा नहीं है, लेकिन इसकी संक्रमण दर और प्रभाव पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। हालांकि इन वैरिएंट्स में कुछ ऐसे म्यूटेशन हैं, जिससे ये तेजी से फैल सकते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि अभी तक इनमें गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत अधिक नहीं देखी गई है और रिकवरी रेट भी अच्छा है। सवाल- कोविड-19 के नए वैरिएंट पुराने वैरिएंट से कितने अलग हैं? जवाब- NB.1.8.1 और LF.7 दोनों कोरोना के JN.1 वैरिएंट में बदलाव होने से बने हैं। यानी ये सब-वैरिएंट ओमिक्रॉन फैमिली के ही मेंबर हैं। इनके लक्षण भी लगभग एक जैसे ही हैं। सवाल- भारत से पहले किन देशों में इन नए वैरिएंट्स के केस मिल चुके हैं? जवाब- अब तक 22 अलग-अलग देशों के ग्लोबल जीनोम डेटाबेस में NB.1.8.1 कोविड-19 वैरिएंट के 58 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और सिंगापुर शामिल हैं। अमेरिका में इस वैरिएंट की पहचान कैलिफोर्निया, वाशिंगटन, वर्जीनिया और न्यूयॉर्क जैसे राज्यों में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के जरिए की गई। सवाल- कोविड के नए वैरिएंट के लक्षण क्या हैं? जवाब- इसके अधिकांश लक्षण कोरोना के पिछले वैरिएंट जैसे ही हैं। इसमें भी गले में खराश, खांसी जैसे लक्षण दिखते हैं। सभी लक्षण ग्राफिक में देखिए- सवाल- क्या कोविड के नए वैरिएंट के लिए वैक्सीन उपलब्ध है? जवाब- डॉ. थरनाथ एस. बताते हैं कि अभी इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं बनी है और इसकी कोई खास जरूरत भी नहीं है। हालांकि ये सच है कि नए सब-वैरिएंट्स कई उपलब्ध वैक्सीन को चकमा दे सकते हैं, पर इसके प्रभाव इतने गंभीर नहीं है कि वैक्सीन की जरूरत पड़े। सवाल- अगर कोरोना के लक्षण दिखें तो क्या करें? जवाब- इसके लिए सबसे पहले कोविड-19 टेस्ट करवाएं। दूसरों से दूर रहें ताकि इन्फेक्शन न फैले। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर से संपर्क करें और उनके निर्देशों का पालन करें। घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में कोविड के मामले अभी काफी कम हैं। हालांकि सतर्क रहना और सभी एहतियाती उपायों का पालन करना जरूरी है। सवाल 2- अगर पहले कोविड हो चुका है या वैक्सीन लगी है, तब इन वैरिएंट्स से कितना खतरा है? जवाब- ये दोनों सब-वैरिएंट्स वैक्सीन या पहले हो चुके कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी को चकमा दे सकते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आपने वैक्सीन लगवाया है या पहले कोविड से उबर चुके हैं तो भी संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन अस्पताल में भर्ती का जोखिम बहुत कम है। हालांकि जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें इन वैरिएंट्स के खतरे से बचने के लिए बूस्टर डोज लेने की जरूरत पड़ सकती है। सवाल- क्या RT-PCR टेस्ट से इन वैरिएंट्स का पता चल सकता है? जवाब- डॉ. थरनाथ एस. बताते हैं कि RT-PCR टेस्ट से यह पता चल सकता है कि व्यक्ति को कोविड-19 हुआ है या नहीं। लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि संक्रमण किस वैरिएंट से हुआ है। इन वैरिएंट्स की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग की जरूरत होती है, जो संक्रमित व्यक्ति के सैंपल के DNA के जरिए की जाती है। भारत में यह काम INSACOG जैसे संस्थान करते हैं। सवाल- कोविड के नए वैरिएंट से बचने के क्या उपाय हैं? जवाब- कोविड-19 के ये नए सब-वैरिएंट भी कोरोनावायरस परिवार का ही हिस्सा है। इसलिए इनसे बचाव के लिए कोई नई तरकीब अपनाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए पुराने और आजमाए हुए तरीके ही कारगर हैं। जैसेकि- इन आसान सावधानियों को अपनाकर खुद को और दूसरों को इस नए वैरिएंट से सुरक्षित रख सकते हैं। …………… जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- हेयर ट्रांसप्लांट के बाद 2 की मौत: क्या ये सर्जरी वाकई सेफ, कब हो सकती है खतरनाक, ये 7 सावधानियां जरूरी आज के समय में बालों का झड़ना, टूटना और गंजापन एक आम समस्या बन चुकी है, जिसे दूर करने के लिए लोग हेयर ट्रांसप्लांट का विकल्प अपना रहे हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया तब तक सुरक्षित नहीं मानी जा सकती, जब तक इसे सही तरीके से, उचित जांच और एक्सपर्ट की देखरेख में न किया जाए। पूरी खबर पढ़िए…