जरूरत की खबर- मलेरिया से हर साल 6-8 लाख मौतें:डॉक्टर से जानें सीवियर मलेरिया के लक्षण, बचाव के लिए 7 जरूरी सावधानियां

आज ‘वर्ल्ड मलेरिया डे’ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल पूरी दुनिया में मलेरिया के 30 से 50 करोड़ मामले दर्ज होते हैं और इनमें से करीब 6 से 8 लाख लोगों की मौत हो जाती है। मलेरिया का सबसे ज्यादा असर अफ्रीकी देशों में और दक्षिण एशियाई देशों में देखने को मिलता है। खासतौर पर भारत में हालात चिंताजनक हैं। दक्षिण एशिया में मलेरिया के कुल मामलों में 77% हिस्सेदारी भारत की है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 20 लाख लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं और इनमें से लगभग 1,000 लोगों की मौत हो जाती है। हालांकि, WHO के साउथ ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस के आंकड़े इससे अलग हैं। उनके अनुमान के अनुसार, भारत में हर साल 1.5 करोड़ लोग मलेरिया से बीमार पड़ते हैं और इनमें से करीब 20,000 मौतें होती हैं। आंकड़ों में यह फर्क इसलिए है कि क्योंकि मलेरिया के इलाज के लिए ज्यादातर लोग डॉक्टर के पास या हॉस्पिटल नहीं जाते हैं। इसलिए ‘जरूरत की खबर’ में आज मलेरिया की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. बृज वल्लभ शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर सवाल: मलेरिया क्या है? जवाब: मलेरिया एक खतरनाक और संक्रामक बीमारी है, जो एक खास तरह के पैरासाइट से होती है। यह पैरासाइट हमें मच्छर के जरिए संक्रमित करता है, लेकिन हर मच्छर यह बीमारी नहीं फैला सकते हैं। सिर्फ मादा एनाफिलिस मच्छर ही इस बीमारी को फैलाते हैं। जब यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चूसती है और फिर किसी दूसरे इंसान को काटती है, तो वो पैरासाइट उसके शरीर में पहुंच जाते हैं। ये पैरासाइट सबसे पहले लिवर में पहुंचते हैं और वहां चुपचाप बढ़ते रहते हैं। कुछ दिन बाद ये मैच्योर होकर खून में आते हैं और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। इसके कारण मलेरिया के लक्षण दिखने लगते हैं जैसे- बुखार, थकान, कंपकंपी और कमजोरी। अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो दिमाग पर असर पड़ सकता है, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सवाल: मलेरिया के क्या लक्षण हैं? जवाब: मलेरिया के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 7 दिन से लेकर एक महीने के अंदर दिखाई देने लगते हैं। हालांकि हर केस में ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार संक्रमित व्यक्ति को कोई लक्षण महसूस नहीं होते, लेकिन अंदर ही अंदर पैरासाइट शरीर को नुकसान पहुंचाता रहता है। यही वजह है कि मलेरिया की समय पर पहचान और इलाज बेहद जरूरी है। इसके सभी लक्षण ग्राफिक में देखिए- सवाल: मलेरिया कितने तरह का होता है? जवाब: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मलेरिया फैलाने वाले 5 तरह के पैरासाइट होते हैं: इनमें सबसे ज्यादा खतरा P. falciparum और P. vivax से होता है। यही दो पैरासाइट भारत में सबसे आम हैं और गंभीर लक्षण पैदा कर सकते हैं। P. vivax और P. ovale वाले मलेरिया में लक्षण तुरंत नहीं दिखते हैं। ये पैरासाइट शरीर में लिवर में छिपे रहते हैं और कुछ समय बाद एक्टिव होकर नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे मामलों में मलेरिया देर से डायग्नोज होता है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। सवाल: मलेरिया का इलाज क्या है? जवाब: अभी तक मलेरिया के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसलिए बचाव और शुरुआती इलाज ही सबसे अहम है। बीमारी होने पर डॉक्टर मलेरिया के पैरासाइट को खत्म करने के लिए एंटी मलेरिया दवाएं देते हैं। इसके साथ ही तेज बुखार को कम करने के लिए फीवर की दवाएं भी दी जाती हैं। हालांकि इन दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। हर किसी को ये नहीं होते, लेकिन अगर इलाज के दौरान नीचे दिए गए लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: सवाल: मलेरिया से बचाव के क्या उपाय हैं? जवाब: मलेरिया की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि हमें यह नहीं पता होता कि कौन-सा मच्छर संक्रमण फैला सकता है। खासतौर पर मादा एनोफिलीज मच्छर ही मलेरिया फैलाता है, लेकिन इसे पहचानना आम इंसान के लिए नामुमकिन है। ऐसे में ज़रूरी है कि हर मच्छर से बचाव करें, खासकर उन इलाकों में जहां मच्छर ज्यादा हों। सभी उपाय ग्राफिक में देखिए- मलेरिया से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: क्या मलेरिया की वैक्सीन उपलब्ध है? जवाब: नहीं, कुछ देशों में वैक्सीन ट्रायल में है, लेकिन फिलहाल यह उपलब्ध नहीं है। सवाल: मलेरिया और डेंगू में फर्क क्या है? जवाब: मलेरिया और डेंगू दोनों मच्छर से फैलने वाली बीमारियां हैं, लेकिन इनके कारण और लक्षण अलग हैं। सवाल: क्या मलेरिया दोबारा हो सकता है? जवाब: हां, मलेरिया एक बार ठीक होने के बाद भी दोबारा हो सकता है। खासकर P. vivax और P. ovale नाम के पैरासाइट्स लिवर में कई हफ्तों या महीनों तक सुप्त अवस्था (Dormant Stage) में छिपे रह सकते हैं। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, तो ये फिर से सक्रिय होकर बीमारी को दोबारा फैला सकते हैं। इसलिए इलाज के बाद डॉक्टर की सलाह से पूरी दवा को समय पर पूरा करना जरूरी होता है। सवाल: बच्चों में मलेरिया कितना खतरनाक है? जवाब: बच्चों में मलेरिया खासतौर पर खतरनाक होता है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है और वे लक्षणों को ठीक से समझा या बता नहीं पाते। अगर समय पर इलाज न हो तो बच्चों को सीवियर मलेरिया, ब्रेन डैमेज, सांस की समस्या या लिवर-किडनी फेल्योर जैसी जटिल स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों को मच्छरों से बचाना और बुखार होने पर तुरंत जांच करवाना जरूरी होता है। …………………….
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