आपने अक्सर देखा होगा कि वर्कआउट की शुरुआत में मसल्स में तेज दर्द होता है। हर एक कदम भारी लगता है, सीढ़ियां चढ़ना तो जंग जीतने जैसा लगता है और बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता है। आमतौर पर ये दर्द संकेत है कि मसल्स मेहनत कर रही हैं और धीरे-धीरे मजबूत हो रही हैं। लेकिन अगर दर्द लंबे समय तक बना रहता है तो ये किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। हालांकि इसे ठीक करने के लिए कुछ आसान तरीके आजमाए जा सकते हैं। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि वर्कआउट के बाद मसल्स पेन क्यों होता है। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. मिहिर थानवी, कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, जयपुर सवाल- वर्कआउट के बाद मसल्स में दर्द क्यों होता है? जवाब- जब आप कोई हार्ड वर्क या हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करते हैं तो मसल्स पर ज्यादा लोड पड़ता है। इससे मसल फाइबर में माइक्रो-टियर यानी छोटे-छोटे घाव बनते हैं। ये शरीर की नेचुरल हीलिंग प्रक्रिया से रिपेयर होते हैं और इस दौरान मसल्स मजबूत होती हैं। इस रिपेयर प्रोसेस में मसल्स में हल्की सूजन, अकड़न और दर्द होता है। इसे DOMS (Delayed Onset Muscle Soreness) कहा जाता है। यह आमतौर पर वर्कआउट के 12 से 24 घंटे बाद शुरू होता है। सवाल- आमतौर पर मसल्स में दर्द कितने समय तक रहता है? जवाब- ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट डॉ. मिहिर थानवी बताते हैं कि- हैवी वर्कआउट से होने वाला मसल्स पेन आमतौर पर 2-3 दिन तक रहता है। शुरुआत में दर्द ज्यादा हो सकता है, लेकिन धीरे-धीरे ये कम हो जाता है। अगर दर्द बहुत ज्यादा है या हर बार वर्कआउट के बाद होता है तो ट्रेनिंग का तरीका या वॉर्मअप ठीक से नहीं हो रहा है, उस पर ध्यान देने की जरूरत है। सवाल- वर्कआउट के बाद होने वाले मसल्स पेन से राहत पाने के लिए क्या करना चाहिए? जवाब- इसके लिए सबसे जरूरी चीज है, मसल्स को रिकवर होने का समय देना। इस दौरान हल्की स्ट्रेचिंग और वॉक जैसी लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज इसमें मदद कर सकती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और रिकवरी तेज होती है। इसके अलावा गर्म पानी से स्नान या गर्म पानी की बोतल से सिंकाई करने से भी मसल्स रिलैक्स होते हैं। साथ ही पर्याप्त मात्रा में नींद लेना और पानी पीना भी बहुत जरूरी है। इससे मसल्स रिकवरी में मदद मिलती है। प्रोटीन और एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स (जैसे हल्दी वाला दूध, फल, नट्स) लेने से भी मसल्स रिपेयर में सपोर्ट मिलता है। हल्की मसाज भी मसल पेन कम करने में मददगार है। इसके अलावा कुछ और आसान तरीके अपना सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- क्या मसल्स पेन के बावजूद वर्कआउट करना सही है? जवाब- इसके लिए सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि दर्द किस तरह का है। अगर दर्द वर्कआउट के एक-दो दिन बाद शुरू हुआ है और हल्का सा खिंचाव या थकावट जैसा महसूस हो रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसमें आप वर्कआउट कर सकते हो, लेकिन ज्यादा हैवी एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए। हल्का कार्डियो, स्ट्रेचिंग या उस मसल ग्रुप को आराम देकर बाकी बॉडी का वर्कआउट किया जा सकता है। लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा है या किसी एक पॉइंट पर सूजन भी है और मूवमेंट करने में परेशानी हो रही है तो फिर ये कोई चोट हो सकती है। ऐसे में वर्कआउट करना ठीक नहीं होगा। शरीर को आराम देना जरूरी है। सवाल- रोजाना कितनी देर तक वर्कआउट करना चाहिए? जवाब- यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका फिटनेस गोल क्या है। यानी आप वजन कम करना चाहते हैं, फिट रहना चाहते हैं या फिर बॉडी बनाना चाहते हैं। जो लोग फिट रहने के लिए अभी शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए 20-30 मिनट का वर्कआउट पर्याप्त है। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, वे 30-45 मिनट तक वर्कआउट कर सकते हैं। वहीं जो बॉडी बनाना चाहते हैं, वे 45 मिनट से 1 घंटे तक वर्कआउट कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि कभी भी लगातार पांच दिन से ज्यादा वर्कआउट न करें। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, हर हफ्ते 150 मिनट की मीडियम या 75 मिनट की हाई इंटेंसिटी वर्कआउट पर्याप्त है। सवाल- वर्कआउट से पहले, उस दौरान और बाद में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? जवाब- वर्कआउट करने वालों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। इससे वे चोटों से बच सकते हैं और अपनी फिटनेस जर्नी को सुरक्षित बना सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- मसल्स पेन होने पर किस स्थिति में डॉक्टर से मिलना चाहिए? जवाब- आमतौर पर हल्का मसल्स पेन वर्कआउट या थकान के कारण होता है और 1-2 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ स्थिति में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। जैसेकि- ………………….. जरूरत की ये खबर भी पढ़िए स्विमिंग से प्री-मेच्योर डेथ का खतरा 28% कम: वजन कंट्रोल से लेकर जोड़ों के दर्द तक, जानिए स्विमिंग के 8 फायदे और जरूरी सावधानियां इंग्लैंड के सबसे बड़े स्विमिंग ऑर्गेनाइजेशन ‘स्विम इंग्लैंड’ की एक स्टडी के मुताबिक, गैर-तैराकों के मुकाबले तैरने वालों में हार्ट डिजीज/स्ट्रोक से मौत का खतरा 41% और प्री-मेच्योर डेथ का खतरा 28% कम होता है। पूरी खबर पढ़िए…