जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री पद से दे सकते है इस्तीफ ​​​​​​​:कनाडाई अखबार का दावा- ट्रूडो पर पार्टी के सांसदों की तरफ से पद छोड़ने का दबाव

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस हफ्ते अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। कनाडाई अखबार ग्लोब एंड मेल ने तीन लोगों के हवाले यह रिपोर्ट दी है। ट्रूडो पर अपनी पार्टी के सांसदों की तरफ से कई महीनों से पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है। पिछले महीने कनाडा की डिप्टी PM और वित्तमंत्री क्रिस्टिया ने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ट्रूडो पर दबाव और ज्यादा बढ़ गया। क्रिस्टिया का कहना था कि ट्रूडो ने उनसे वित्तमंत्री का पद छोड़ दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था। ट्रूडो की पार्टी के 20 से ज्यादा सांसद उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा पर्सनल मीटिंग में भी कई लोग उनसे कह चुके हैं कि ट्रूडो के पास इस्तीफे के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। ट्रूडो के पास बहुमत नहीं अभी कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। कनाडा के हाउस में कॉमन्स में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने अपना से समर्थन वापस ले लिया था। एनडीपी खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है। गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। कनाडा में अगले साल होने हैं चुनाव कनाडा में 2025 में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव होने हैं। ये चुनाव अक्टूबर से पहले कराए जाएंगे। वर्तमान प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि वह अगला चुनाव लड़ने के लिए लिबरल पार्टी का नेतृत्व करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, पार्टी के कई नेता ट्रूडो को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पसंद नहीं कर रहे हैं। ट्रूडो चौथी बार प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर रहे हैं। कनाडा में पिछले 100 सालों में कोई भी प्रधानमंत्री लगातार 4 बार चुनाव जीतकर नहीं आया है। ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास संसद में अकेले के दम पर बहुमत नहीं है। ट्रूडो पहली बार 2015 में प्रधानमंत्री चुनकर आए थे। उन्होंने अपनी पहचान उदारवादी नेता के तौर बनाने में कामयाबी हासिल की थी। हालांकि, पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।