जानें अपने अधिकार- FIR दर्ज कराना आपका कानूनी हक:पुलिस FIR दर्ज करने से मना करे तो क्या करें, जानें कहां-कैसे करें शिकायत

न्याय की पहली सीढ़ी FIR (फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) होती है। इसी के बाद पुलिस आगे की प्रक्रिया पूरी करती है। लेकिन कई बार पीड़ित को इसी पहले कदम पर अड़चनों का सामना करना पड़ता है, जब पुलिस किसी कारणवश FIR दर्ज करने से इनकार कर देती है। भारतीय कानून के मुताबिक, अपराध की सूचना मिलने पर FIR दर्ज करना पुलिस की जिम्मेदारी है, लेकिन प्रभाव, दबाव या लापरवाही के कारण कई बार पुलिस FIR नहीं दर्ज करती है। ऐसे में जरूरी है कि हर नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो। साथ ही यह समझे कि अगर पुलिस FIR दर्ज करने से मना कर दे तो वह किन कानूनी विकल्पों का सहारा लेकर न्याय की दिशा में आगे बढ़ सकता है। तो चलिए, ‘जानें अपने अधिकार’ कॉलम में आज बात करेंगे कि पुलिस FIR दर्ज करने से मना करे तो क्या करें? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: सरोज कुमार सिंह, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट सवाल- FIR और शिकायत (Complaint) में क्या अंतर है? जवाब- FIR और शिकायत दोनों ही अलग-अलग होती हैं। चोरी, लड़ाई-झगड़ा या धमकी जैसे अपराध के मामलों में पहले शिकायत दर्ज की जाती है। इसके बाद पुलिस जांच-पड़ताल करती है। जांच सही पाए जाने के बाद पुलिस FIR दर्ज करती है। शिकायत को पुलिस अपने स्तर पर ही खत्म कर सकती है। लेकिन FIR दर्ज होने के बाद पुलिस को उस केस को कोर्ट में लेकर जाना ही पड़ेगा। उस केस का पूरा ट्रायल चलेगा। इसलिए किसी भी मामले को पुलिस के पास ले जाने के बाद यह जरूर देखें कि पुलिस ने शिकायत दर्ज की है या FIR। इसे इस उदाहरण से समझिए- मान लीजिए कि किसी ने पुलिस से कहा कि ‘मेरा मोबाइल चोरी हो गया है।’ इसके बाद पुलिस ने जांच की, लेकिन उसे कोई सबूत नहीं मिला तो वह शिकायत बंद की जा सकती है। वहीं अगर पुलिस को चोरी के सबूत मिले हैं और FIR दर्ज हो गई, फिर चाहे बाद में दोनों पक्षकार समझौता भी कर लें, फिर भी केस को कोर्ट की अनुमति से ही खत्म किया जा सकता है। सवाल- अगर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार करे तो नागरिकों के क्या कानूनी अधिकार हैं? जवाब- एडवोकेट सरोज कुमार सिंह बताते हैं कि- ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी गंभीर अपराध की शिकायत मिलने के बाद पुलिस को बिना किसी देरी के FIR दर्ज करनी होगी। सवाल- क्या पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है? जवाब- अगर कोई पुलिस अधिकारी FIR दर्ज करने से इनकार करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अगर कोई अधिकारी इस कर्तव्य से बचता है तो उसके खिलाफ कुछ कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। जैसेकि- विभागीय शिकायत और अनुशासनात्मक कार्रवाई नागरिक पुलिस अधीक्षक (SP) या अन्य उच्च अधिकारियों से पुलिसकर्मी की शिकायत कर सकता है। इस शिकायत के आधार पर संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। न्यायालय में मामला दर्ज भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत, अगर कोई सरकारी अधिकारी (जैसे पुलिसकर्मी) अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता तो उसे 6 महीने से 2 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। पीड़ित मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कर सकता है, जो पुलिसकर्मी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दे सकता है। सवाल- क्या ऑनलाइन भी FIR दर्ज की जा सकती है? जवाब- भारत में कई राज्यों में ऑनलाइन FIR दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है। यह सुविधा मुख्य रूप से ई-एफआईआर (e-FIR) के रूप में दी जाती है, जो नॉन-कॉग्निजेबल (गैर-संज्ञेय) अपराधों के लिए होती है, जैसे चोरी, गुमशुदगी, साइबर अपराध आदि। हालांकि गंभीर अपराधों (जैसे हत्या, बलात्कार, डकैती) के लिए आपको पुलिस स्टेशन जाना जरूरी होता है। सवाल- अगर पुलिस केस की सही तरीके से जांच नहीं कर रही है या जांच में लापरवाही कर रही है तो क्या करें? जवाब- ऐसी स्थिति में संबंधित थाना प्रभारी (SHO) से बात करें और उन्हें समस्या बताएं। अगर समाधान न मिले तो पुलिस अधीक्षक (SP) या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) से संपर्क करें। राज्य के डीजीपी (Director General of Police) को लिखित शिकायत भेज सकते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) या राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर सकते हैं। सवाल- FIR दर्ज हो जाने के बाद क्या उसे रद्द किया जा सकता है? जवाब- FIR दर्ज होने के बाद उसे सीधे पुलिस नहीं हटा सकती है। इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होती है, खासकर अगर मामला गंभीर अपराध से जुड़ा हो। सवाल- क्या FIR कॉपी के लिए कोई फीस लगती है? जवाब- FIR दर्ज होने के बाद पीड़ित को उसकी एक कॉपी मुफ्त में मिलनी चाहिए। यह नागरिक का अधिकार है और इसमें कोई शुल्क नहीं लगता है। सवाल- अगर केस किसी दूसरी जगह (जैसे दूसरे राज्य में) हुआ हो तो FIR कहां दर्ज करें? जवाब- FIR उसी जगह के पुलिस थाने में दर्ज करनी होती है जहां अपराध हुआ है, लेकिन कई मामलों में जीरो FIR (Zero FIR) की सुविधा होती है, जो किसी भी थाने में दर्ज की जा सकती है और बाद में संबंधित थाने में ट्रांसफर हो जाती है। ………………….. ये खबर भी पढ़िए… जानें अपने अधिकार- बिना टिकट पकड़े जाने पर घबराएं नहीं:ट्रेन में TTE नहीं कर सकता गिरफ्तार हम सभी ट्रेन से यात्रा करते हैं। सफर के दौरान अक्सर ही हमारा सामना TTE और RPF से होता रहता है। कई बार हम अनजाने में या किसी मजबूरी में बिना टिकट या गलत टिकट लेकर यात्रा करते हैं और पकड़े जाने पर घबरा जाते हैं। जबकि हमारे भी कुछ कानूनी अधिकार होते हैं। पूरी खबर पढ़िए…