नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) ने कहा कि कर्ज में डूबी कंपनी के लिए आए किसी रिजॉल्यूशन प्लान को यदि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) स्वीकार कर लेती है, तो सफल बिडर को अपना ऑफर वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। एनक्लैट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि रिजॉल्यूशन प्रक्रिया के महत्व को कायम रखना जरूरी है। सफल बिडर यदि अपने ऑफर को वापस लेते हैं, तो कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) की पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाती है।
दिल्ली की एक कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए एनक्लैट के कार्यवाहक चेयरमैन न्यायमूर्ति बीएल भट्ट की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आईबीसी) में सफल रिजॉल्यूशन आवेदकों को यू-टर्न लेने की अनुमति देने का स्पष्ट प्रावधान भी नहीं है। आईबीबीआई (इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस ऑफ कॉरपोरेट पर्संस) रेगुलेशन 2016 के संशोधित प्रावधानों के तहत रिजॉल्यूशन योजना पेश करते समय आवेदकों के लिए एक परफॉर्मेंस बैंक गारंटी जमा करने की व्यवस्था इसी उद्देश्य के लिए की गई है। हालांकि हो सकता है कि यह सफल रिजॉल्यूशन आवेदकों को यू-टर्न लेने से रोकने में पूरी तरह कारगर नहीं हो।
एनक्लैट ने कुंदर केयर प्रॉडक्ट्स की याचिका खारिज की
एनक्लैट ने दिल्ली की कंपनी कुंदन केयर प्रॉडक्ट्स की याचिका को खारिज करते हुए यह बातें कहीं। एस्टनफील्ड सोलर (गुजरात) प्राइवेट लिमिटेड के लिए सफल बिडर के रूप में उभरी कुंदन केयर प्रॉडक्ट्स ने अपनी याचिका में कहा था कि सीआईआरपी का फैसले में देरी होने से उसका ऑफर अब वाणिज्यिक तौर पर व्यावहारिक नहीं रह गया है। इसलिए उसे ऑफर वापस लेने से रोका नहीं जा सकता है।
एनसीएलटी से अनुमति नहीं मिलने के बाद कुंदन केयर ने एनक्लैट में याचिका दाखिल की थी
कुंदन केयर प्रॉडक्ट्स ने पहले एनसीएलटी की दिल्ली पीठ में अपनी याचिका दाखिल की थी। एनसीएलटी ने यह कहकर 3 जुलाई को यह कहकर आदेश देने से इंकार कर दिया कि यह मुद्दा अभी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। इसके बाद कंपनी ने एनक्लैट में याचिका दाखिल की थी।