मार्स कंपनी के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) के मामले में सेबी ने कंपनी और इसके प्रमोटर्स पर 11.45 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है। सेबी ने आदेश में मार्स सॉफ्टवेयर इंटरनेशनल पर 10.25 करोड़ रुपए, प्रवीण चंपकलाल जैन पर एक करोड़ रुपए, हर्षवर्धन राठोड़ और निकुंज चोरडिया पर 10-10 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है।
कई तरह के नियमों का उल्लंघन किया गया
सेबी ने बुधवार को जारी 55 पेज के आदेश में कहा है कि मार्स ने 10 अगस्त 2007 को जीडीआर लाया था और यह पाया गया कि पैन एशिया एडवाइजर्स बुक रनिंग लीड मैनेजर थी। कंपनी के संस्थापक अरुण पंचारिया थे और उनकी 100 प्रतिशत होल्डिंग थी। सेबी के आदेश के मुताबिक अरुण पंचारिया किसी और कंपनी में भी एमडी थे जहां उनकी 100 प्रतिशत होल्डिंग थी। सेबी ने कहा कि जीडीआर को बाद में शेयरों में बदला गया और इसे भारतीय शेयर बाजार में बेचा गया।
इसके लिए कुछ घरेलू कंपनियों की भी मदद ली गई। इस पैसे का उपयोग कंपनी ने विंटेज के लोन का पेमेंट करने के लिए किया था।
बीएसई में लिस्ट थी बाद में डीलिस्ट हो गई कंपनी
सेबी की जांच में यह सामने आया कि भारतीय निवेशकों ने मार्स के इस तरह के जीडीआर इश्यू के लिए पेमेंट दिया था। मार्स बीएसई में लिस्ट थी और 11 मई 2018 को डीलिस्ट हो गई। सेबी ने जांच के आधार पर पाया कि मार्स और इसके एमडी, प्रवीण जैन ने पूरे मामले में नियमों का उल्लंघन किया। साथ ही मार्स बहुत सारी जानकारी सेबी को देने में भी असफल रही।
17.22 मिलियन डॉलर की राशि जुटाई थी
सेबी ने कहा कि इस मामले में उसने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस जीडीआर के जरिए कंपनी ने 17.22 मिलियन डॉलर की राशि जुटाई थी। इस जीडीआर को सब्सक्राइब करने में फिगुरा ग्रुप, रेक्सफ्लेक, ट्रेडटेक कॉर्प, इमेजिनेशन नेटवर्क, और ट्रेंडसेटर शामिल थी। यह पाया गया कि पूरा जीडीआर विंटेज ने सब्सक्राइब किया और उसी ने लोन एग्रीमेंट भी साइन किया। इस लोन एग्रीमेंट को अरुण पंचारिया ने साइन किया था।
जीडीआर में मेनिपुलेशन किया गया
सेबी ने जांच में पाया कि मार्स के शेयर होल्डर्स में विंटेज सबसे बड़ी शेयर होल्डर्स इसके जीडीआर में बनी। यही नहीं, अरुण पंचारिया इंडिया फोकस कार्डिनल फंड के 100 प्रतिशत शेयर होल्डर थे। इसमें उनके परिवार की मेजर होल्डिंग थी। हालांकि बाद में इस जीडीआर को कैंसल कर दिया गया। इस तरह सेबी ने इस जीडीआर के नियमों के उल्लंघन के मामले में कंपनी और उसके प्रमोटर्स पर 11.45 करोड़ रुपए की पेनाल्टी का आदेश दिया।