भारतीय रेसलर और ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले सुशील कुमार ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। उसके लिए कड़ी मेहनत और परिश्रम करना पड़ता है। सुशील मानव रचना शैक्षणिक संस्थान की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बतौर अतिथि संबोधन दे रहे थे। उन्होंने इस दौरान अपने जीवन की कई महत्वपूर्ण बातें छात्रों के साथ साझा कीं। उन्होंने कहा कि जो छात्र रेसलिंग में भविष्य बनाना चाहते हैं वे 12 साल की उम्र से ही प्रैक्टिस करना शुरू कर दें, क्योंकि छोटी उम्र में दांव सीखना बेहद आसान होता है।
15-16 साल की उम्र में रेसलिंग के दांव सीखने में थोड़ी मुश्किल आती है। लगातार प्रैक्टिस के कारण इंजरी होने पर उन्होंने कहा कि रिहैब और ट्रेनिंग सेशन लेने चाहिए। जिससे चोट गहरी न हो और शरीर को नुकसान न पहुंचाए। उन्होंने कहा कि ओवर प्रैक्टिस भी शरीर को नुकसान पहुंचाती है। खिलाड़ियों को इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में विनेश फौगाट, बजरंग पूनिया समेत कई यंग पहलवान हैं जो देश की झोली ओलंपिक मेडल से भरेंगे। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के वीपी डॉ. अमित भल्ला ने सुशील कुमार का कैंपस में आने के लिए धन्यवाद किया। ऑनलाइन इस कार्यक्रम में काफी छात्रों ने भाग लिया।