जूलरी इंडस्ट्री को खल रही प्रवासी मजदूरों की कमी; जबरदस्त मांग के बावजूद डिमांड पूरा करने में असमर्थ, वापस बुलाने के लिए ज्यादा पैसे और फ्लाइट टिकट भी देने को हैं तैयार

कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण लगभग सभी इंडस्ट्री इस समय अपने सर्वाइवल स्टेज पर हैं। इंडस्ट्री कैश संकट, कारीगरों की कमी समेत तमाम तरह की समस्याओं से गुजर रही हैं। ऐसे में जूलरी इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित हुई है। जबरदस्त मांग होने के बावजूद लेबर नहीं होने के चलते कामकाज प्रभावित हो रहा है। डिमांड पूरा नहीं कर पा रही है। जेम ऐंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) ने कहा कि स्किल्ड लेबर फोर्स के अभाव में जेम्स ऐंड जूलरी इंडस्ट्री चुनौतियों का सामना कर रहा है।

तेजी से बढ़ रहे हैं एक्सपोर्ट ऑर्डर

जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा है कि संकट के समय में भी मांग में बढ़ोतरी हुई है। एक्सपोर्ट ऑर्डर बढ़ रहे हैं। बावजूद डिमांड पूरा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हमारे पास मैनपावर की कमी है। बता दें कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अन्य सेक्टर की तरह ही जूलरी इंडस्ट्री से भी बड़ी संख्या में मजदूर पलायन किए हैं। इसका खामियाजा अब इंडस्ट्री को भुगतना पड़ रहा है।

केवल 25% मैनपावर पर काम हो रहा है

उन्होंने कहा, ‘एक्सपोर्ट को अपने कर्मचारियों को आश्वस्त करने की जरूरत है कि कारखानों में कर्मचारी पूरी तरह से सुरक्षित होंगे। आज काम ज्यादा है लेकिन कार्यबल नहीं है। यह अजीब स्थिति है।’ फिलहाल सरकारी आदेश के अनुसार केवल 25 प्रतिशत कर्मचारियों को ही एक बार में काम करने की अनुमति है।
शाह ने कहा कि जूलरी इंडस्ट्री में ज्यादातर कुशल कारीगर परंपरागत रूप से पश्चिम बंगाल, गुजरात और उत्तर प्रदेश के हैं। वे सब महामारी के दौरान मुंबई से अपने घरों को चले गए।

पिछले साल की तरह ही है निर्यात मांग

शाह ने बताते हैं कि इस साल पिछले साल की तरह ही 50-60 प्रतिशत निर्यात की मांग है। लेकिन ज्यादातर कारखाने अपनी कुल क्षमता के एक चौथाई हिस्से में काम कर रहे हैं। इस तरह मांग और प्रोडक्शन में भारी गैप बन गया है।

50% भी मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं

रामकृष्ण एक्सपोर्ट के प्रबंध निदेशक राहुल ढोलकिया ने कहा कि कंपनी केवल एक शिफ्ट में काम कर रही है। जबकि उनके प्रोडक्ट्स की मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के साथ अन्य देशों से अच्छी मांग है। लेकिन हम 50 प्रतिशत मांग को भी पूरा नहीं कर सकते क्योंकि कर्मचारियों की संख्या कम होने से उत्पादन केवल 25 प्रतिशत है।

लॉकडाउन के दौरान कारीगरों को सैलरी दी गई थी

राहुल बताते हैं कि मुंबई और सूरत से आने वाले हर कर्मचारी को मार्च में लॉकडाउन घोषित होने के बाद से सैलरी दी गई है। बाकी जो काम पर आने में असमर्थ थे उन्हें भी मासिक आधार पर घर चलाने के लिए पैसे दिया जा रहा है। हम मजदूरों पर वापस आने को लेकर कोई दबाव नहीं बनाना चाहते है।

हवाई टिकट भी देने को है तैयार

प्रायोरिटी ज्वैल्स के संस्थापक शैलेस सांगानी ने कहा की इंडियन जूलरी एक्सपोर्ट सेक्टर मैनपावर की कमी से जूझ रही है। वे कहते हैं कि हम मजूदरों वापस लौटने के लिए अधिक पैसे और यहां तक कि हवाई टिकट भी देने को तैयार हैं। लेकिन वे इतने लंबे समय तक घर पर रहने के बाद अपने परिवार को छोड़ने से हिचकिचा रहे हैं। उनमें लगातार डर बना हुआ है। मुंबई में चल रही महामारी के चलते वे वापस नहीं आना चाह रहे हैं।

ऑर्डर पूरा नहीं करने पर खो सकते हैं विदेशी मार्केट

शैलेस बताते हैं कि अगर एक्सपोर्ट ऑर्डर पूरा करने में असमर्थ रहे तो हम थाईलैंड, वियतनाम और चीन जैसे देशों के मुकाबले अपना कारोबार खो सकते हैं। फिलहाल ये सभी इंडियन कारखानों की तुलना में ज्यादा मैनपावर के साथ काम कर रहे हैं। बता दें कि ज्यादातर निर्यातकों का कहना है कि वे आमतौर पर 4-5 सप्ताह लगने वाले 6-7 सप्ताह तक दे पा रहे हैं।

किसी कीमत पर नहीं खोना चाहते बिजनेस

जसानी इंडिया के डायरेक्टर मुकेश शाह ने कहा की उनकी कंपनी को अमेरिका से जूलरी की जबरदस्त ऑर्डर मिल रहे हैं। कुछ कैटेगरी के लिए पॉलिश किए गए सामान के लिए ऑर्डर मिले हैं। ऐसे में कम किसी भी कीमत पर बिजनेस को खोना नहीं चाहते हैं। इस समय हम बेहद कम मैनपावर में काम कर रहे हैं। हालांकि, काम का प्रेशर ज्यादा हुआ है।
बता दें कि लगभग सभी कारखानों में जहां काम हो रहा है वहां सुरक्षा के कड़े प्रोटोकॉल बनाया गया है और सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल भी रखा जा रहा है।

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जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा है कि संकट के समय में भी मांग में बढ़ोतरी हुई है। एक्सपोर्ट ऑर्डर बढ़ रहे हैं। बावजूद डिमांड पूरा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हमारे पास मैनपावर की कमी है।