अमेरिका जल्द ही टिकटॉक पर बैन के बारे में आखिरी फैसला ले सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इसके खिलाफ एड कैम्पेन चला रहे हैं। इसमें कहा जा रहा है कि चीन का यह ऐप अमेरिकी नागरिकों की जासूसी कर रहा है। कुछ दिन पहले ट्रम्प ने टिकटॉक पर बैन के बारे में विचार करने की बात कही थी।
भारत ने पिछले महीने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगा दिया था। अमेरिकी एनएसए रॉबर्ट ओ’ब्रायन और विदेश मंत्री भारत के सख्त कदम की तारीफ कर चुके हैं।
क्या है ट्रम्प के ऐड कैम्पेन में
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टर टेलर लॉरेंज ने सबसे पहले ट्रम्प के एंटी टिकटॉक कैम्पेन की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की। कैम्पेन की टैगलाइन है- टिकटॉक आपकी जासूसी कर रहा है। इसमें आगे कहा कि अमेरिकी नागरिकों को प्राइवेसी यानी निजता का अधिकार है।
Trump now running anti-TikTok Facebook/Instagram ads accusing the company of spying on users pic.twitter.com/dfHuSVpciL
— Taylor Lorenz (@TaylorLorenz) July 17, 2020
एक तीर से दो निशाने
जब यूजर इस एड के साथ एक लिंक पर जाता है तो वहां उसे एक सर्वे भी मिलता है। इसमें पूछा गया है- क्या आपको लगता है कि ट्रम्प को अमेरिका में टिकटॉक पर बैन लगा देना चाहिए? इस सवाल के साथ ही यूजर्स से यह गुजारिश भी की गई है कि वो ट्रम्प के इलेक्शन कैम्पेन के लिए डोनेशन यानी चंदा दें।
क्या ये डोनेशन पाने का खेल है
अमेरिकी वेबसाइट माशाबेल के मुताबिक, टिकटॉक सिर्फ एक नयी सोशल मीडिया कंपनी है, जिसके जरिए ट्रम्प डोनेशन हासिल करना चाहते हैं। इसके पहले स्नैपचैट और ट्विटर पर आरोप लगाए गए थे कि वे 2020 के प्रेसिडेंट इलेक्शन में दखलंदाजी की कोशिश कर रही हैं। सोशल मीडिया कंपनियां ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के निशाने पर पहले से रही हैं।
फिर, टिकटॉक के मामले में नया क्या?
एक्सपर्ट्स टिकटॉक के मामले को अलग तरह से देखते हैं,क्योंकिसिर्फ अमेरिका या भारत नहीं बल्कि, दुनिया के कई देशों में यह शक और संदेह गहराता जा रहा है कि टिकटॉक के जरिए चीन इन देशों की जासूसी कर रहा है। लिहाजा, इसे नेशनलिज्म या राष्ट्रवाद से जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि टिकटॉक या दूसरे चीनी ऐप यूजर डाटा चीन भेज रहे हैं और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
सच्चाई छिपा रही है टिकटॉक
भारत में जब इस ऐप को बैन किया गया तो कंपनी ने कहा था कि वो यूजर डाटा शेयर नहीं करती,लेकिनमाशाबेल की रिपोर्ट में दावा इसके बिल्कुल उलट है। इसके मुताबिक, अमेरिका में टिकटॉक ऑपरेटर्स ने कहा है कि वे यूजर डाटा कहीं और किसी से शेयर नहीं करते और उनको ऐसा करने के लिए कहा गया है। दूसरी तरफ, 2017 के एक चीनी कानून में कहा गया है- अगर चीनी सरकार चाहे तो वो राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर इन कंपनियों से यूजर डाटा देने को कह सकती है। यानी टिकटॉक दो बातें कर रही है।
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