ट्रम्प के टैरिफ ने रोकी दक्षिणपंथी पार्टियों की जीत:कनाडा के बाद ऑस्ट्रेलिया में बनी वामपंथी सरकार; सर्वे में पिछड़ने के बाद भी जीते अल्बनीज

ऑस्ट्रेलिया में हुए आम चुनाव में पीएम एंथनी अल्बनीज ने दोबारा जीत हासिल कर ली है। उनकी लेबर पार्टी को 150 में से 86 सीटों पर जीत मिली है। हालांकि चुनाव से पहले हुए सर्वे में लेबर पार्टी को 48% लोगों का ही समर्थन हासिल था, जबकि विपक्षी लिबरल और नेशनल पार्टी के गठबंधन को 52% लोगों ने अपनी पहली पसंद बताया था। लेकिन 2 महीने बाद ही स्थिति बदल गई। फेवरेट माने जा रहे विपक्षी गठबंधन के नेता पीटर डटन भी चुनाव हार गए हैं। वह देश में पहले ऐसे विपक्षी नेता बने जो अपनी ही सीट हार गए। इसे ऑस्ट्रेलिया के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक हार माना जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की तरह कनाडा में भी दक्षिणपंथी पार्टी की हार हुई। 28 अप्रैल को हुए चुनाव में लिबरल पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस साल की शुरुआत तक लिबरल पार्टी की स्थिति बेहद खराब थी, लेकिन ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद स्थिति बदल गई। ऑस्ट्रेलिया-कनाडा में दक्षिणपंथी पार्टियों की हार को ट्रम्प के टैरिफ से जोड़कर देखा जा रहा है। स्टोरी में जानेंगे कि दोनों देशों में सर्वे में पिछड़ने के बावजूद वामपंथी पार्टियां जीत कैसे गईं… कनाडा में पिछड़ी थी लिबरल पार्टी, ट्रूडो को इस्तीफा देना पड़ा
कनाडा में 6 दिसंबर को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस्तीफे का ऐलान किया। कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी थी। ट्रूडो पर उनकी लिबरल पार्टी के सांसदों की तरफ से कई महीनों से पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था। इस वजह से ट्रूडो अलग-थलग पड़ते जा रहे थे। पार्टी के 152 सांसद में से ज्यादातर ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बना रहे थे। ट्रूडो की पार्टी के 24 सांसदों ने अक्टूबर में उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने की मांग की थी। ट्रम्प के बयान से कनाडा में बढ़ी राष्ट्रवाद की लहर ट्रूडो के इस्तीफे के अगले ही दिन ट्रम्प ने कनाडा को अमेरिका में मिलने का ऑफर दे दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका अब कनाडा से और व्यापार घाटा नहीं सहन कर सकता और न ही उसे और ज्यादा सब्सिडी दे सकता है। अगर कनाडा को अपना अस्तित्व बचाए रखना है तो उसे अमेरिका का 51वां राज्य बनना होगा। ट्रम्प ने कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने की भी धमकी दी। इसे कनाडा की जनता और नेताओं ने देश की संप्रभुता पर हमले के तौर पर देखा। इसके जवाब में कनाडाई नागरिकों ने अमेरिकी सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। पब और बार में अमेरिकी शराब हटा दी गई। कई लोगों ने छुट्टियां बिताने के लिए अमेरिका जाना बंद कर दिया। कनाडाई लोगों के इस गुस्से को लिबरल पार्टी ने भुनाना शुरू किया। ट्रूडो की जगह कनाडा के पीएम बने मार्क कार्नी ने ट्रम्प को कनाडा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। कार्नी ने कहा कि कनाडा, ट्रम्प की धमकियों के आगे नहीं झुकेगा और टैरिफ को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। ट्रम्प के खिलाफ माहौल बना, वामपंथी पार्टी ने फायदा उठाया कार्नी ने ट्रम्प के बहाने अपने विरोधी पियरे पोइलवर पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि पोइलवर, ट्रम्प की पूजा करते हैं। अगर उनकी जीत होती है तो वे ट्रम्प के सामने घुटने टेक देंगे न कि उनका सामना करेंगे। पोइलवर को ‘कनाडा का ट्रम्प’ कहा जाता है। कार्नी के बयानों से कनाडा में विपक्षी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा। दिसंबर में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को 46% लोगों का समर्थन हासिल था, जबकि लिबरल पार्टी को 12% लोग पसंद कर रहे थे, लेकिन जल्द ही स्थिति बदलने लगी। 1 मार्च को हुए सर्वे में लिबरल पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी से आगे निकल गई। सिर्फ 6 सप्ताह में लिबरल पार्टी की लोकप्रियता में 26% का उछाल आ गया। चुनाव में भी लिबरल पार्टी को जीत मिल गई। पार्टी को 167 सीटों पर जीत हासिल हुई। ट्रम्प के टैरिफ से ऑस्ट्रेलिया की इकोनॉमी को नुकसान राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया के चुनाव पर भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों का गहरा असर रहा। दरअसल, जनवरी 2025 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की रेटिंग में भारी गिरावट देखी गई थी। द ऑस्ट्रेलिया न्यूजपेपर के सर्वे के मुताबिक अल्बनीज की रेटिंग माइनस 20 चली गई थी। करीब 53% वोटर देश में विपक्षी लिबरल नेशनल गठबंधन की जीत तय मान रहे थे। इसी बीच ट्रम्प ने दुनियाभर में टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। अमेरिका ने 5 अप्रैल से पूरी दुनिया पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया। इसके अलावा ट्रम्प एल्युमीनियम-स्टील पर 25% टैरिफ लगा चुके थे। ऑस्ट्रेलिया में कार और इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें बढ़ गईं। ट्रम्प के टैरिफ से ऑस्ट्रेलियाई इकोनॉमी को 27 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। यह देश की GDP का 1% है। ट्रम्प की नकल करने की कीमत चुकाई
ऑस्ट्रेलिया में इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा जीवन यापन से जुड़ी चीजों की कीमतों का बढ़ना था। ट्रम्प के टैरिफ ने इस डर को और बढ़ा दिया। पहले महंगाई न रोक पाने के लिए लेबर पार्टी की आलोचना हो रही थी। टैरिफ विवाद के बाद लोगों को लगा कि लेबर पार्टी ही इस संकट से निपट सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ट्रम्प की नीतियों की वजह से ऑस्ट्रेलियाई जनता में अमेरिका के लिए यकीन घट गया। सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने लिखा है कि ट्रम्प के फैसलों ने ऑस्ट्रेलियाई चुनाव पर काफी असर डाला। वोटर्स अल्बनीज के शांत रवैये से प्रभावित हुए। विपक्षी उम्मीदवार पीटर डटन का ट्रम्प की नकल करने की रणनीति उन पर ही भारी पड़ गई। डटन ने देश में अमेरिका की तर्ज पर कल्चरल वॉर शुरू करने की कोशिश की। उन्होंने स्कूलों में ‘वोक’ एजेंडा और विविधता कार्यक्रमों का विरोध किया। उन्होंने इलॉन मस्क के DOGE प्रोग्राम की तरह सरकारी नौकरियों में भारी छंटनी का समर्थन किया। वोटर्स इससे चिढ़ गए। उन्होंने सोशल मीडिया पर पीटर डटन को ट्रोल किया। ‘कंजर्वेटिव पार्टियों के लिए घातक साबित हो रहे ट्रम्प’
चुनाव के नतीजों पर पूर्व ऑस्ट्रेलियाई PM मैलकम टर्नबुल ने कहा, “ट्रम्प हमारे कंजर्वेटिव गठबंधन के लिए एक विनाशक बम साबित हुए हैं।” ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रेस सचिव एंड्रयू कार्सवेल ने कहा कि न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया बल्कि पूरी दुनिया के कंजर्वेटिव गठबंधन के लिए ट्रम्प घातक साबित हो रहे हैं। एमिटी यूनिवर्सिटी में विदेश मामलों के प्रोफेसर श्रीश कुमार पाठक कहते हैं कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में हालिया सत्ता परिवर्तन वैश्विक राजनीति में एक बड़े बदलाव को दर्शाते हैं। यह बदलाव काफी हद तक ट्रम्प की विघटनकारी नीतियों से प्रभावित है। ट्रम्प की आक्रामक टैरिफ पॉलिसी, विदेश नीति और सहयोगी देशों की संप्रभुता को चुनौती देने वाली बयानबाजी ने इन उदार लोकतंत्र में राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत किया है। दोनों देशों की आगे क्या रणनीति हो सकती है? कनाडा और ऑस्ट्रेलिया दोनों जगहों पर नई सरकारों ने मजबूत जनादेश के साथ सत्ता में वापसी की है। ऐसे में ट्रम्प की आक्रामक नीतियों से निपटने के लिए कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की सरकारें कई रणनीतिक कदम उठा सकती हैं। WTO जा सकते हैं
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी के खिलाफ WTO में शिकायत कर सकते हैं, जैसा चीन ने किया था। दूसरे देशों से साझेदारी बढ़ाने पर जोर
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया टैरिफ का असर कम करने के लिए भारत, चीन और यूरोप के साथ अपनी व्यापारिक साझेदारी बढ़ा सकते हैं। लोकल इंडस्ट्री को बढ़ावा
दोनों देश अपने घरेलू उद्योगों, रिन्यूएबल एनर्जी और बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ा सकते हैं ताकि टैरिफ का असर कम किया जा सके। डिफेंस सेक्टर को बढ़ावा
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया दोनों अमेरिका के साथ फाइव आइज ग्रुप के मेंबर हैं। दोनों देश अब अमेरिका पर अपनी सुरक्षा निर्भरता कम करने के लिए ग्रुप के अन्य देश ब्रिटेन और न्यूजीलैंड के साथ तालमेल बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा यूरोपीय देशों के साथ अपनी स्ट्रैटजिक साझेदारी मजबूत कर सकते हैं। ……………………………………… ऑस्ट्रेलिया और कनाडा चुनाव से जुड़ी ये खबरें पढ़ें… ऑस्ट्रेलिया चुनाव में लेबर पार्टी जीती:21 साल में दूसरी बार PM बनने वाले पहले नेता होंगे अल्बनीज; खुद की सीट हार गए विपक्षी उम्मीदवार ऑस्ट्रेलिया में लेबर पार्टी दोबारा चुनाव गई है। चुनाव आयोग के मुताबिक अब तक 60% वोटों की गिनती हो चुकी है। लेबर पार्टी को 86 सीटों पर जीत हासिल हुई है, वहीं विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन 36 सीटों पर जीती है। चुनाव जीतने के लिए 76 सीटों की जरूरत होती है। पूरी खबर यहां पढ़ें… कनाडा चुनाव-खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह अपनी सीट हारे:नतीजा आने पर रो पड़े; PM मार्क कार्नी बहुमत से 5 सीटें पीछे, पद पर बने रहेंगे कनाडा में लिबरल पार्टी के मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बने रहेंगे। कनाडा में सोमवार को हुए आम चुनावों में पार्टी की जीत हो गई है। पार्टी को 167 सीटों पर जीत हासिल हुई है। हालांकि पार्टी 172 का बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है। पूरी खबर यहां पढ़ें…