डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा हुए गोलबंद, देश की किसान सहायक नीतियों पर उठाया सवाल

अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा ने भारत की कृषि व्यापार नीतियों और किसान सहायक नीतियों पर सवाल उठाया है। ये सवाल विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के कमेटी ऑन एग्रीकल्चर (सीओए) की हाल की एक बैठक में उठाए गए। ये सवाल तब दागे गए हैं, जब भारत ने अपने कृषि व्यापार का ज्यादा उदारीकरण किया है और किसानों व कृषि व्यापारियों को आजादी दी है कि वे सरकारी अनुमति के बिना कृषि उपज का देश या विदेश में उत्पादन, खरीद, भंडारण और बिक्री कर सकते हैं।

अमेरिका ने पूछा कि भारत सरकारी भंडारण से वाणिज्यिक निर्यात पर रोक को कैसे लागू करता है

सीओए की बैठक 22-23 सितंबर को हुई थी। इस बैठक में अमेरिका ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) की एक घोषणा पर जवाब मांगा है। एफसीआई ने कहा था कि भारत ने 2016-17 में मिस्र को वाणिज्यिक तरीके से चावल का निर्यात किया था और 2017-18 में मानवीय उद्देश्य के लिए उसे चावल का निर्यात किया था। अमेरिका ने कहा कि यह भारत की इस नीति के उलट है कि वह सरकारी भंडारण से वाणिज्यिक तौर पर निर्यात नहीं करता है। अमेरिका ने यह जानना चाहा कि भारत सरकारी भंडारण से वाणिज्यिक निर्यात पर रोक को कैसे लागू करता है।

सरकारी भंडारण से घरेलू बिक्री के लिए निकाले गए अनाज के कीमत निर्धारण पर भी अमेरिका ने उठाया सवाल

अमेरिका ने यह भी जानना चाहा कि सरकारी भंडारण से घरेलू बिक्री के लिए अनाज निकालते समय उसकी कीमत कैसे तय की जाती है। अमेरिका ने भारत के इस पोजिशन का भी हवाला दिया कि सरकारी भंडारण से अनाज की ओपन मार्केट सेल की अनुमति तब दी जाती है, जब खरीदार यह गारंटी देता है कि उस अनाज का वह निर्यात नहीं करेगा। अमेरिका ने यह जानना चाहा कि खरीदार यह गारंटी किस तरह से देता है और सरकार इसे लागू कैसे करती है।

ईयू ने 24.18 अरब डॉलर के इनपुट सब्सिडी का ब्रेकअप मांगा

यूरोपीय संघ ने कृषि लोन माफी पर सवाल उठाया। उसने कहा कि भारत ने अनाज के वितरण और बफर स्टॉक के लिए 18 अरब डॉलर का आवंटन किया है। उसने पूछा कि इसमें से कितनी राशि वितरण पर और कितनी बफर स्टॉक के लिए खर्च होगी। ईयू ने भारत के 24.18 अरब डॉलर के इनपुट सब्सिडी का भी ब्रेकअप मांगा। ईयू ने यह जानना चाहा कि इसमें से सिंचाई, ऊर्वरक, बिजली और ईंधन (मुख्य रूप से डीजल) पर कितना-किना खर्च होगा।

मार्केट प्राइस सपोर्ट के लिए चावल की गुणवत्ता तय करने का तरीका पूछा

ईयू ने 2018-19 के लिए कुल 11.6 करोड़ टन मिल्ड राइस प्रोडक्शन के भारत के आधिकारिक आंकड़े का जिक्र किया और पूछा कि मार्केट प्राइस सपोर्ट के कैलकुलेशन के लिए सरकार ने 4.433 करोड़ टन का ही उपयोग क्यों किया। इस प्राइस का लाभ शेष 7.2 करोड़ टन को क्यों नहीं मिला? क्या ये चावल मार्केट प्राइस सपोर्ट वाले चावल के बराबर गुणवत्ता के नहीं थे? गुणवत्ता किस तरह से तय की जाती है?

कनाडा ने पीएम-किसान और पीएमएफबीवाई पर संदेह जताया

कनाडा ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) कार्यक्रम का ब्योरा मांगा। क्या सरकार बता सकती है कि इस कार्यक्रम के लाभार्थी कौन हैं? भुगतान के लिए योग्य लाभार्थी का निर्धारण कैसे किया जाता है? कनाडा ने ग्रीन बॉक्स या डब्ल्यूटीओ के तहत स्वीकृत सब्सिडी ट्रीटमेंट में शामिल होने के लिए भारत की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) पर भी संदेह उठाया।

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ये सवाल तब दागे गए हैं, जब भारत ने अपने कृषि व्यापार को ज्यादा उदार बनाया है और किसानों व कृषि व्यापारियों को आजादी दी है कि वे सरकारी अनुमति के बिना कृषि उपज का देश या विदेश में उत्पादन, खरीद, भंडारण और बिक्री कर सकते हैं