रामायण में श्रीराम ने कई ऐसे सूत्र बताए हैं, जिन्हें अपनाने पर हमारे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और विपरीत समय भी हम अशांत नहीं होते हैं। जानिए रामायण की 3 बातें जो हमारा तनाव दूर कर सकती हैं… धैर्य और सकारात्मकता के गुण अपनाएं
अयोध्या में श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थीं। जिस दिन राज्याभिषेक होना था, उससे ठीक पहले वाली रात में कैकयी ने दशरथ से दो वर मांग लिए।
पहला, भरत को राज और दूसरा, राम को 14 वर्ष का वनवास। बहुत समझाने के बाद भी कैकयी अपनी बात पर टिक रहीं।
अगले दिन राम को वनवास जाना पड़ा, लेकिन इस बात से भी श्रीराम ने अपना धैर्य नहीं खोया। माता की इच्छा पूरी करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ वे वनवास जाने के लिए तैयार हो गए।
मुश्किल परिस्थितियों को भी धैर्य और सकारात्मकता के साथ अपनाएंगे तो जीवन में कभी भी तनाव नहीं आएगा। अपनी संगत के लिए सतर्क रहें
हमारे आसपास जो लोग रहते हैं, उनका हमारी सोच और जीवन पर गहरा असर होता है।
सुग्रीव ने धर्म के मार्ग पर चलने वाले श्रीराम से मित्रता की और श्रीराम ने सुग्रीव की परेशानी दूर करके उसे किष्किंधा का राजा बनाया। सुग्रीव ने भी सीता की खोज में पूरी वानर सेना लगा दी।
हमें ऐसे लोगों की संगत में रहना चाहिए जो धर्म के अनुसार काम करते हैं और अपने साथियों की मदद के लिए हर पल तैयार रहते हैं। अच्छे लोगों की संगत में रहेंगे तो सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं। जब तक काम पूरा न हो आराम न करें
हनुमान सीता की खोज में लंका जा रहे थे, वे आकाश उड़ रहे थे, उस समय रास्ते में मैनाक पर्वत ने हनुमान से कहा था कि आप थक गए होंगे, कुछ देर मुझ पर विश्राम कर लीजिए।
मैनाक पर्वत की बात सुनकर हनुमान ने कहा था कि जब तक राम का पूरा नहीं हो जाता, मैं विश्राम नहीं कर सकता। हनुमान लंका पहुंचे और देवी की सीता की खोज की रावण की लंका जलाई और श्रीराम के पास लौट आए।
हमें अपने लक्ष्य पर ही ध्यान लगाना चाहिए। काम करते समय बीच-बीच में थकान हो सकती है, आराम करने का मन हो सकता है, लेकिन हमें इन बातों में नहीं उलझना चाहिए। जब तक काम पूरा न हो जाए, हमें विश्राम नहीं करना चाहिए। काम समय पर पूरा हो जाएगा तो जीवन में कोई तनाव नहीं रहेगा।
अयोध्या में श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थीं। जिस दिन राज्याभिषेक होना था, उससे ठीक पहले वाली रात में कैकयी ने दशरथ से दो वर मांग लिए।
पहला, भरत को राज और दूसरा, राम को 14 वर्ष का वनवास। बहुत समझाने के बाद भी कैकयी अपनी बात पर टिक रहीं।
अगले दिन राम को वनवास जाना पड़ा, लेकिन इस बात से भी श्रीराम ने अपना धैर्य नहीं खोया। माता की इच्छा पूरी करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ वे वनवास जाने के लिए तैयार हो गए।
मुश्किल परिस्थितियों को भी धैर्य और सकारात्मकता के साथ अपनाएंगे तो जीवन में कभी भी तनाव नहीं आएगा। अपनी संगत के लिए सतर्क रहें
हमारे आसपास जो लोग रहते हैं, उनका हमारी सोच और जीवन पर गहरा असर होता है।
सुग्रीव ने धर्म के मार्ग पर चलने वाले श्रीराम से मित्रता की और श्रीराम ने सुग्रीव की परेशानी दूर करके उसे किष्किंधा का राजा बनाया। सुग्रीव ने भी सीता की खोज में पूरी वानर सेना लगा दी।
हमें ऐसे लोगों की संगत में रहना चाहिए जो धर्म के अनुसार काम करते हैं और अपने साथियों की मदद के लिए हर पल तैयार रहते हैं। अच्छे लोगों की संगत में रहेंगे तो सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं। जब तक काम पूरा न हो आराम न करें
हनुमान सीता की खोज में लंका जा रहे थे, वे आकाश उड़ रहे थे, उस समय रास्ते में मैनाक पर्वत ने हनुमान से कहा था कि आप थक गए होंगे, कुछ देर मुझ पर विश्राम कर लीजिए।
मैनाक पर्वत की बात सुनकर हनुमान ने कहा था कि जब तक राम का पूरा नहीं हो जाता, मैं विश्राम नहीं कर सकता। हनुमान लंका पहुंचे और देवी की सीता की खोज की रावण की लंका जलाई और श्रीराम के पास लौट आए।
हमें अपने लक्ष्य पर ही ध्यान लगाना चाहिए। काम करते समय बीच-बीच में थकान हो सकती है, आराम करने का मन हो सकता है, लेकिन हमें इन बातों में नहीं उलझना चाहिए। जब तक काम पूरा न हो जाए, हमें विश्राम नहीं करना चाहिए। काम समय पर पूरा हो जाएगा तो जीवन में कोई तनाव नहीं रहेगा।