तमिलनाडु यौन उत्पीड़न केस में 9 दोषियों को आजीवन कारावास:मौत तक जेल में रहेंगे; 8 महिलाओं का रेप किया था, इनमें ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स

तमिलनाडु के पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर महिला अदालत ने मंगलवार को 9 लोगों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आज सुबह ही सभी को दोषी ठहराया था। जज आर नंदिनी देवी ने इन्हें गैंगरेप और बार-बार रेप का दोषी पाया। कोर्ट ने पीड़ित महिलाओं को कुल 85 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश भी दिया है। पोल्लाची में 2016 से 2018 के दौरान 9 लोगों ने करीब आठ महिलाओं का यौन शोषण किया था। पीड़ितों में ज्यादातर कॉलेज की छात्राएं थीं। दोषियों ने महिलाओं के वीडियो भी बनाए और उसकी आड़ में कई बार उनका रेप किया और पैसों के लिए ब्लैकमेल किया था। पीड़ित की शिकायत पर 2019 में नौ लोग गिरफ्तार हुए
यह घटना तब सामने आई जब एक पीड़ित छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दोषियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, रेप, गैंगरेप और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था। 2019 में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। तब से सभी सलेम सेंट्रल जेल में बंद है। दोषियों में सबरीराजन उर्फ ​​रिशवंत (32 साल), थिरुनावुकारसु (34 साल), टी वसंत कुमार (30 साल), एम सतीश (33 साल, आर मणि उर्फ ​​मणिवन्नन, पी बाबू (33 साल), हारोन पॉल (32 साल), अरुलानंथम (39 साल) और अरुण कुमार (33 साल) हैं। पोल्लाची की घटना से तमिलनाडु में आक्रोश फैल गया था। इसकी गूंज राज्य विधानसभा में भी उठी। शुरू मे स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन बाद में इसे CB-CID ​​को सौंप दिया गया। 2019 में मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया था। दोषियों ने रेप के वीडियो लीक करने की धमकी दी थी
CBI जांच के दौरान, सिस्टमेटिक तरीके से महिलाओं के साथ यौन शोषण का एक पैटर्न उजागर हुआ था। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनकी बात मानने से इनकार किया तो वे उनके वीडियो परिवारों और रिश्तेदारों को लीक कर देंगे। CBI के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर सुरेंद्र मोहन ने बताया कि दोषियों ने अपनी कम उम्र और बुजुर्ग माता-पिता का हवाला देते हुए सजा में नरमी की मांग की थी। हालांकि, एजेंसी ने आरोपियों के लिए कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की थी। CBI ने पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा भी मांगा था। सुरेंद्र मोहन ने बताया कि जांच के दौरान कुल 48 गवाहों से पूछताछ की गई थी। उनमें से कोई भी अपने बयान से पलटा नहीं। इलेक्ट्रॉनिक सबूतों ने आरोपों को साबित करने में अहम भूमिका निभाई, क्योंकि वे साइंटिफिक तौर पर साबित किए गए थे।