मानसून ने शनिवार को केरल पहुंच गया। यह अपने तय समय 8 दिन पहले पहुंचा है। मौसम विभाग के मुताबिक, 16 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून इतनी जल्दी आया है। 2024 में यह 30 मई को केरल पहुंचा था। मानसून चार दिन से देश से करीब 40-50 किलोमीटर दूर अटका था और शुक्रवार शाम आगे बढ़ा। इसके आज ही तमिलनाडु और कर्नाटक के कई इलाकों में भी पहुंचने की संभावना है। एक हफ्ते में देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों जबकि 4 जून तक मध्य और पूर्वी भारत को कवर कर सकता है। आम तौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास वापस लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, मानसून की शुरुआत की तारीख और सीजन के दौरान कुल बारिश के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। 1972 में सबसे देरी से केरल पहुंचा था मानसून
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 150 साल में मानसून के केरल पहुंचने की तारीखें काफी अलग रही हैं। 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को केरल पहुंच गया था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को केरल पहुंचा था। इस साल मानसून में अल नीनो की संभावना नहीं
मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि 2025 के मानसून सीजन के दौरान अल नीनो की संभावना नहीं है। यानी इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। कम बारिश की आशंका न के बराबर है। 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण मानसून सीजन में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई थी। अल नीनो और ला नीना क्लाइमेट (जलवायु) के दो पैटर्न होते हैं- राज्यों से मौसम की तस्वीरें… समुद्र में जाने पर 27 मई तक रोक
मौसम विभाग ने केरल के तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में आंधी की चेतावनी दी है। मछुआरों सहित आम लोगों को एहतियाती उपाय करने की सलाह दी है। केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप के तटों पर 27 मई तक मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने पर रोक लगा दी गई है। इस साल मानसून जल्दी क्यों पहुंचा? भारत में इस बार मानसून जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी है। समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुईं। पश्चिमी हवाओं और चक्रवातों की हलचल ने भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी मौसम के पैटर्न में बदलाव की एक बड़ी वजह बन रहा है। क्या मानसून जल्दी आना मतलब जल्दी खत्म होना है? मानसून का जल्दी आना यह नहीं तय करता कि वह जल्दी खत्म भी हो जाएगा। यह मौसम से जुड़ी कई जटिल प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री तापमान, हवा का दबाव और वैश्विक मौसम पैटर्न। अगर मानसून समय से पहले आ जाए लेकिन उसकी गति अच्छी बनी रहे, तो वह पूरे देश में सामान्य या अच्छी बारिश दे सकता है। लेकिन अगर मानसून जल्दी आकर धीरे पड़ जाए या कमजोर हो जाए, तो कुल मिलाकर कम बारिश हो सकती है। कभी-कभी मानसून देर से आता है लेकिन लंबे समय तक टिकता है और अच्छी बारिश देता है।
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 150 साल में मानसून के केरल पहुंचने की तारीखें काफी अलग रही हैं। 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को केरल पहुंच गया था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को केरल पहुंचा था। इस साल मानसून में अल नीनो की संभावना नहीं
मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि 2025 के मानसून सीजन के दौरान अल नीनो की संभावना नहीं है। यानी इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। कम बारिश की आशंका न के बराबर है। 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण मानसून सीजन में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई थी। अल नीनो और ला नीना क्लाइमेट (जलवायु) के दो पैटर्न होते हैं- राज्यों से मौसम की तस्वीरें… समुद्र में जाने पर 27 मई तक रोक
मौसम विभाग ने केरल के तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में आंधी की चेतावनी दी है। मछुआरों सहित आम लोगों को एहतियाती उपाय करने की सलाह दी है। केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप के तटों पर 27 मई तक मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने पर रोक लगा दी गई है। इस साल मानसून जल्दी क्यों पहुंचा? भारत में इस बार मानसून जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी है। समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुईं। पश्चिमी हवाओं और चक्रवातों की हलचल ने भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी मौसम के पैटर्न में बदलाव की एक बड़ी वजह बन रहा है। क्या मानसून जल्दी आना मतलब जल्दी खत्म होना है? मानसून का जल्दी आना यह नहीं तय करता कि वह जल्दी खत्म भी हो जाएगा। यह मौसम से जुड़ी कई जटिल प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री तापमान, हवा का दबाव और वैश्विक मौसम पैटर्न। अगर मानसून समय से पहले आ जाए लेकिन उसकी गति अच्छी बनी रहे, तो वह पूरे देश में सामान्य या अच्छी बारिश दे सकता है। लेकिन अगर मानसून जल्दी आकर धीरे पड़ जाए या कमजोर हो जाए, तो कुल मिलाकर कम बारिश हो सकती है। कभी-कभी मानसून देर से आता है लेकिन लंबे समय तक टिकता है और अच्छी बारिश देता है।