तेज गेंदबाज ने इशांत ने कहा- 7 साल पहले फॉकनर ने मेरे एक ओवर में 30 रन बनाए थे, तब लगा कि देश से धोखा किया, गर्लफ्रेंड से बात कर बहुत रोया था

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने कहा कि 2013 में ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर जेम्स फॉकनर का उनके एक ओवर में 30 रन बनाना उनके करियर का टर्निंग पॉइंट रहा। इस मैच के बाद इशांत को लगा कि उन्होंने अपनी टीम के साथ धोखा किया। उन्होंने दीप दासगुप्ता के साथ ईएसपीएन क्रिकइंफो के शो ‘क्रिकेट बाजी’ में यह बातें कहीं।

इशांत ने बताया कि मोहाली में हुए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को जीतने के लिए आखिरी 18 गेंदों पर 44 रन चाहिए थे। तब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें गेंद थमाई और उनके एक ओवर में ही फॉकनर ने 30 रन बनाए। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ने उस ओवर में 4 छक्के लगाए थे। भारत वो मैच तो हारा ही और सीरीज में 2-1 से पिछड़ गया। इस मैच के बाद मुझे वनडे टीम से हटा दिया और मेरा आत्मविश्वास बहुत गिर गया था।

मुझे लगा कि मैंने देश से धोखा किया: इशांत

इस गेंदबाज ने आगे बताया कि इस मैच के बाद मुझे लगा कि मैंने अपने देश से धोखा किया। दो-तीन हफ्तों तक, मैंने किसी से बात नहीं की। मैं बहुत रोया। मैं बहुत सख्त हूं। मेरी मां कहती हैं, उन्होंने मुझसे सख्त व्यक्ति नहीं देखा। लेकिन तब मैं अपनी गर्लफ्रेंड को फोन कर बच्चों की तरह रोया था। मेरे लिए वो तीन हफ्ते किसी बुरे सपने की तरह थे। मैंने खाना तक छोड़ दिया था। मैं ठीक से सो नहीं पाता था।

गलती को स्वीकार करना सीखा: इशांत
उन्होंने बताया कि 2013 के बाद से मैंने चीजों को गंभीरता से लेना शुरू किया। इससे पहले, अगर मेरा प्रदर्शन खराब होता, तो लोग आते और मुझे कहते कि यह ठीक है, ऐसा होता है। लेकिन 2013 के बाद अगर कोई मेरे पास आया और उसने कहा कि मैच में ऐसा होता है, तो मैंने यह सुनना छोड़ दिया। मैदान पर मैंने अपने प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेनी शुरू कर दी। जब आप ऐसा करते हैं, तो हर मैच टीम के जीतने के लिए खेलते हैं।

टेस्ट में 300 विकेट से तीन कदम दूर
इशांत ने 97 टेस्ट में 32.39 की औसत से 297 विकेट हासिल किए हैं। उन्हें 300 विकेट क्लब में शामिल होने के लिए केवल 3 विकेट की जरूरत है। उन्होंने अपना पिछला वनडे 2016 में खेला था। अब तक खेले 80 मैच में इस गेंदबाज ने 30.98 की औसत से 115 विकेट लिए हैं।

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इशांत शर्मा ने अपने करियर के टर्निंग पॉइंट को लेकर कहा कि 2013 के बाद से मैंने मैदान पर अपने प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेनी शुरू की। इससे खेल में सुधार आया। -फाइल