अमेरिका केदो नेवी एयरक्राफ्ट कैरियर ने एक महीने में दूसरी बारसाउथ चाइना सी यानी दक्षिण चीन सागरमें एक्सरसाइज शुरू की है। यह इसलिए खास हो जाती है कि चीन इसका लगातार विरोध कर रहा है और अमेरिका ने उसकी नाराजगी को नजरअंदाज कर दिया है।
प्रशांत महासागर में तैनात अमेरिकी बेड़ेने एक बयान में कहा- शुक्रवार से शुरू हुईएक्सरसाइज में यूएसएस रोनाल्ड और यूएसएस निमित्ज कैरियर के स्ट्राइक ग्रुप्स शामिल हैं। इसमें दो एयरक्राफ्ट कैरियर और 12 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक अपने तमाम सैन्य साजोसामान के साथ मौजूद हैं। दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर पर 120 से ज्यादा फाइटर जेट्स हैं।
इस महीने की शुरुआत में दोनों युद्धपोतों को दक्षिण चीन सागर में तैनात किया गया था। इससे पहले साउथ चइना सी में निमित्ज और रीगन को 2014 और 2001 में एक साथ तैनात किया गया था। बाद में ये यहां से हटा लिए गए थे। 4 जुलाई को विवादित जल क्षेत्र में एयरक्राफ्ट कैरियर ने एक्सरसाइज की थी। अमेरिका यहां चीन को सीधी चुनौती दे रहा है।
चीन ने मिसाइल हमले की धमकी दी थी
अमेरिकी युद्धपोतों की इस क्षेत्र में मौजूदगी से चीन तिलमिला गया है। उसने कुछ दिनों पहले अमेरिका को मिसाइल हमले की धमकी दी थी। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस अभ्यास का मकसद कुछ और है। इसके जरिए अमेरिका यहां हालात खराब कर रहा है।
चीन ने भी इस महीने मिलिट्री एक्सरसाइज की थी
चीन साउथ चाइना सी के लगभग 13 करोड़ वर्ग मील क्षेत्र में अपना दावा करता है। उसने भी इस महीने 1 से 5 जुलाई तक इस क्षेत्र में मिलिट्री एक्सरसाइज की थी। वहीं, कुछ दिनों पहले अमेरिका ने साउथ चाइना सी पर चीन के दावों को पूरी तरह खारिज किया था। अमेरिका ने दो टूक कहा था- 21वीं सदी में चीन की ‘दादागिरी’ की कोई जगह नहीं है। उसके दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है। चीन इस क्षेत्र को अपनी जागीर समझता है। दुनिया ऐसा नहीं होने देगी।
क्या है साउथ चाइना सी विवाद
साउथ चाइना सी का यह इलाका इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच है। करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहांप्राकृतिक संसाधनों की बहुलता है। चीन ने यहांदबदबा बनाने के लिए बंदरगाह बनाए। एक आर्टिफिशियल द्वीप बनाकर सैन्य अड्डा तैयार किया। चीनअंतरराष्ट्रीय कानूनों को मानने से इनकार करता है।
चीन, ताइवान समेत 6 देशों का दावा
साउथ चाइना सी एशिया के दक्षिण-पूर्व का इलाका है। इस क्षेत्र में चीन के अलावा फिलीपींस, ताइवान, मलेशिया, वियतनाम और ब्रूनेई भी अपना दावा करते हैं।चीन इसके दक्षिण हिस्से में है, वहीं ताइवान दक्षिण-पूर्वी भाग पर अपना दावा करता है। इसके पश्चिमी तट पर फिलीपींस है, जबकि पूर्वी तट वियतनाम और कंबोडिया से सटा है। वहीं, उत्तरी हिस्से में इंडोनेशिया है।
साउथ चाइना सी इतना जरूरी क्यों?
कई देशों से जुड़े होने के चलते इस इलाके में जहाजों की आवाजाही भी ज्यादा है। यह दुनिया के सबसे बिजी जलमार्गों में से एक है। जानकारी के मुताबिक, हर साल इस मार्ग से पांच ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का बिजनेस होता है, जो दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का 20% है। यहां पारसेल द्वीप पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैसों का भंडार है। साथ ही इस क्षेत्र में कई प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। वर्ल्ड ट्रेडके लिहाज से यह इलाका बेहद अहम है।
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