लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों पर धोखे से वार के बाद सीमा पर भले ही कुछ तनाव कम हो गया हो, पर दिल्ली के लोगों का चीन की बनी समानों के प्रयोग को लेकर गुस्सा पुरी तरह से बरकरार है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली एनसीआर में जमकर पतंगबाजी होती है। पंतग और मांझो की पुरानी दिल्ली में सबसे बड़ी लालकुआं बजार में दशकों बाद दिल्ली के लोगों ने पुरी तरह से चीनी की बनी मांझाे को ठुकरा दिया है इस कारण इस बार इस बजार में स्वदेशी मांझे बरेली और जयपुर में बनी मांझों की धूम है। चीन की बनी मांझे लगभग पुरी तरह से गायब है। चाइनीज मांझों को लेकर समय-समय पर अभियान चलाकर धरपकड़ करने वाली टीम सुस्त बैठे है।
पतंग बाजार के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने बताया कि इस साल ग्राहकों के मांग नहीं होने के कारण चाइनीज मांझा बाजार में नहीं बेचा जा रहा है। इसके बदले स्वदेशी मांझों की लोग मांग कर रहे हैं जिन्हें यह दिया जा रहा है। कुछ लोग ऐसे भी है कि जो चीनी मांझे की मांग कर रहे हैं पर दिल्ली सरकार के द्वारा चीनी मांझे को धड़-पकड़ करने वाली टीम के कारण दुकानदार चीनी मांझो को नहीं ला रहे है।
पंतग विक्रेता सलीम अहमद ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस साल ग्राहक कम हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल 30 फीसद तक मांझों का कारोबार कम हुआ है।
भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर धरना-प्रदर्शन
भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ पर कारोबारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की है। सदर बाजार के बारा टूटी चौक पर व्यापारियों ने धरना-प्रदर्शन किया और दुकानदारों और खरीदारों से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की अपील की। कोरोना के मद्देनजर शारीरिक दूरी व बचाव के अन्य इंतजामों के साथ कारोबारियों ने चीनी समानों के विरोध को लेकर तरह-तरह संदेश वाले प्ले कार्ड धरना-प्रदर्शन किया। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि इस तरह के विरोध-प्रदर्शन देश के 600 से अधिक स्थानों पर हुए हैं। उन्होंने बताया कि कैट के चीनी उत्पादों के बहिष्कार का यह अभियान 10 जून से पूरे देश में चल रहा है और इसका असर हर जगह देखने को मिल रहा है।