दावा- एक देश-एक चुनाव बिल कैबिनेट से मंजूर:अगले हफ्ते संसद में लाया जाएगा, पास हुआ तो 2029 तक एक साथ देशभर में चुनाव

केंद्रीय कैबिनेट से एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। सूत्रों ने यह दावा करते हुए बताया कि अगले हफ्ते बिल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है, लिहाजा संसद से बिल को चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा जाएगा। JPC इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी। इससे पहले सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि ‘पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ होंगे। इसके बाद 100 दिन के भीतर दूसरे फेज में निकाय चुनाव साथ कराए जाएंगे।’ वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक पैनल बनाया गया था। इस पैनल ने स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च के बाद 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। बिल पास हुआ तो 2029 तक वन नेशन-वन इलेक्शन, 3 पॉइंट कोविंद पैनल के 5 सुझाव… क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।