दिल्ली के वसंत वैली स्कूल और संस्कृति स्कूल के तीन बच्चों ने बेहद सस्ता एयर प्यूरीफायर बनाया है। यह एयर प्यूरीफायर कम दाम पर हवा को साफ करेगा। इसकी खास बात यह है कि यह प्यूरीफायर ऐसा फिल्टर है, जिसे किसी भी टेबल या वॉल फैन पर लगाया जा सकेगा। इस फिल्टर को प्रोजेक्ट वायु नाम दिया गया है। यह फिल्टर सिर्फ 120 रुपए का है और सिर्फ एक घंटे में यह 200 स्क्वायर फीट के कमरे में प्रदूषण वाले PM2.5 कणों को 90% तक कम कर सकता है। सामान्य प्रदूषण वाले दिनों में एक फिल्टर रोजाना 12 घंटे के इस्तेमाल में तीन हफ्ते तक वल सकता है। वहीं, सर्दियों में, जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है, तब एक फिल्टर 10 दिन काम कर सकता है। 16 साल के सव्य हैं प्रोजेक्ट हेड
इस प्रोजेक्ट को हेड कर रहे हैं वसंत वैली स्कूल के 12वीं क्लास के स्टूडेंट सव्या। उन्होंने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक है। बाजार में मौजूद एयर प्यूरीफायर्स की कीमत हजारों में रहती है। ऐसे में सभी लोगों के लिए इन्हीं खरीद पाना आसान नहीं होता है। सव्या ने कहा कि एयर पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। एयर पॉल्यूशन की वजह से बच्चों की औसत उम्र 12 साल तक घट रही है। ऐसे में हमें लगा कि स्कूलों में एयर प्यूरीफायर होने से बच्चों को पॉल्यूशन से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था। उन्होंने ट्रायल के तौर पर दिल्ली के चार स्कूलों के 295 क्लासरूम में 602 फिल्टर इंस्टॉल किए हैं। इसका सीधा फायदा 8 हजार से ज्यादा स्कूल स्टूडेंट्स को मिल रहा है। क्या होता है PM 2.5?
PM यानी पार्टिकुलेट मैटर जो हवा में मौजूद छोटे कण होते हैं। ये वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण होते हैं, जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करके पता लगाया जा सकता है। PM2.5 के संपर्क में आने से कई बीमारियां हो सकती हैं। इनमें अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारी शामिल है। वहीं इन सूक्ष्म कणों के ऊंचे स्तर के संपर्क में आने से बच्चों की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है। उनमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रदूषित हवा से हर साल 70 लाख लोग जान गंवा रहे
स्विस ऑर्गेनाइजेशन IQ एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 के मुताबिक भारत 2023 में तीसरा सबसे प्रदूषित हवा वाला देश रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1.33 अरब यानी 96% लोग ऐसी हवा में रहते हैं, जिसमें PM 2.5 का स्तर WHO के एनुअल स्टैंडर्ड से 7 गुना ज्यादा है। वहीं देश के 66% शहरों में एनुअल PM 2.5 का स्तर 35 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रहा। WHO ने भी एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि दुनिया में हर साल प्रदूषित हवा की वजह से 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। वहीं मरने वाले हर 9 लोगों में से 1 की मौत खराब हवा के कारण हो रही है।
इस प्रोजेक्ट को हेड कर रहे हैं वसंत वैली स्कूल के 12वीं क्लास के स्टूडेंट सव्या। उन्होंने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक है। बाजार में मौजूद एयर प्यूरीफायर्स की कीमत हजारों में रहती है। ऐसे में सभी लोगों के लिए इन्हीं खरीद पाना आसान नहीं होता है। सव्या ने कहा कि एयर पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। एयर पॉल्यूशन की वजह से बच्चों की औसत उम्र 12 साल तक घट रही है। ऐसे में हमें लगा कि स्कूलों में एयर प्यूरीफायर होने से बच्चों को पॉल्यूशन से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था। उन्होंने ट्रायल के तौर पर दिल्ली के चार स्कूलों के 295 क्लासरूम में 602 फिल्टर इंस्टॉल किए हैं। इसका सीधा फायदा 8 हजार से ज्यादा स्कूल स्टूडेंट्स को मिल रहा है। क्या होता है PM 2.5?
PM यानी पार्टिकुलेट मैटर जो हवा में मौजूद छोटे कण होते हैं। ये वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण होते हैं, जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करके पता लगाया जा सकता है। PM2.5 के संपर्क में आने से कई बीमारियां हो सकती हैं। इनमें अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारी शामिल है। वहीं इन सूक्ष्म कणों के ऊंचे स्तर के संपर्क में आने से बच्चों की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है। उनमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रदूषित हवा से हर साल 70 लाख लोग जान गंवा रहे
स्विस ऑर्गेनाइजेशन IQ एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 के मुताबिक भारत 2023 में तीसरा सबसे प्रदूषित हवा वाला देश रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1.33 अरब यानी 96% लोग ऐसी हवा में रहते हैं, जिसमें PM 2.5 का स्तर WHO के एनुअल स्टैंडर्ड से 7 गुना ज्यादा है। वहीं देश के 66% शहरों में एनुअल PM 2.5 का स्तर 35 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा रहा। WHO ने भी एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि दुनिया में हर साल प्रदूषित हवा की वजह से 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। वहीं मरने वाले हर 9 लोगों में से 1 की मौत खराब हवा के कारण हो रही है।