तारीख: 15 फरवरी 2025
जगह: दिल्ली का LNJP अस्पताल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के करीब 2 घंटे बाद रात करीब साढ़े 11 बजे दैनिक भास्कर की टीम लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (LNJP) पहुंची। अस्पताल के गेट नंबर-4 से सायरन बजाते हुए केवल एम्बुलेंस की ही एंट्री हो रही थी। सामने की ओर चारों तरफ बैरिकेड्स लगाकर दिल्ली पुलिस की तैनाती थी। यहां से मीडिया की एंट्री पूरी तरह बैन कर रखा था, न सिर्फ मीडिया बल्कि इस गेट से मरीजों की भी एंट्री बंद थी। LNJP में भर्ती मरीज को देखने के लिए आने वाले तीमारदार को भी एंट्री नहीं थी। थोड़ी देर बाद ही वहां पैरा मिलिट्री फोर्स भी तैनात हो गई। काफी संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्स को अस्पताल के अंदर भी तैनात किया गया। पूरा अस्पताल के चप्पे-चप्पे पर पुलिस और फोर्स तैनात हो गई। इसी बीच रात के करीब 1 बज चुके थे। अस्पताल के गेट नंबर-4 से थोड़ी दूर परेशान हालत में एक युवक दिखे। उन्होंने अपना नाम मोहम्मद उमैर बताया। हमने पूछा क्या हुआ। उमैर ने बताया… उमैर से बात करने के बाद हम आगे निकले। अस्पताल में जाने के लिए रास्ता खोज रहे थे। गेट नंबर-2 के पास एक छोटी सी जगह दिखी। वहां से हम किसी तरह अंदर दाखिल हुए। अस्पताल का बैक साइड… रात 12-3 बजे तक एम्बुलेंस से लाशें निकालीं गईं, हर लाश के साथ एक पुलिसवाले की तैनाती उमैर से करीब 20 मिनट तक बात करने के बाद हम इमरजेंसी वॉर्ड की तरफ बढ़े। तुरंत एक गार्ड ने रोक लिया। हाथ में दो फोन लिए हुए देखा। उसे शक हुआ कि हम कहीं मीडिया वाले तो नहीं। वीडियो तो नहीं बना रहे। तुरंत फोन चेक करने लगा। उस फोन में कोई वीडियो नहीं था। फिर मुझसे बोला कि तुरंत यहां से निकल जाइए। वहां से आगे निकलकर लॉबी में लगी लिफ्ट के पास रुक गए। थोड़ी देर बाद स्ट्रैचर पर एक डेडबॉडी लेकर कुछ लोग तेजी से बाहर निकल रहे थे। साथ में एक पुलिसकर्मी भी था। लेकिन मरने वाले का कोई परिजन नहीं दिखा। उसी के पीछे-पीछे हम अस्पताल के पिछले हिस्से में पहुंचे। वहां देखा कि दो से तीन एम्बुलेंस खड़ीं हैं। दो में पहले से सील डेडबॉडी रखीं थीं। जैसे ही स्ट्रैचर पर ये डेडबॉडी पहुंची तो वहां मौजूद एक पुलिसवाले ने देखा। अपने हाथ में लिए कागज से उसका मिलान कराया। किसी को फोन किया। बोला कि आप सीधे मोर्चुरी में पहुंचे। हम वहीं ला रहे हैं। इसके कुछ देर बाद ही 3-4 और एम्बुलेंस वहां आ पहुंची। अस्पताल कर्मचारी बोल रहे थे कि अब प्राइवेट एम्बुलेंस भी आ गईं हैं। इसके बाद पहले से खड़ी तीनों एम्बुलेंस तुरंत निकल गईं। थोड़ी देर बाद महज 25 मिनट के भीतर ही 6 डेडबॉडी आईं। हर डेडबॉडी के साथ एक पुलिसवाले की तैनाती होती थी। यहां मौजूद कुछ लोगों से बात हुई तब पता चला कि 12 बजे के बाद यहां से लाशें निकालनी शुरू हुईं। पुलिस कंट्रोल रूम जैसा बना इमरजेंसी वार्ड
रात के करीब 2 बज चुके थे। गेट नंबर-2 के अंदर से इमरजेंसी वॉर्ड की तरफ पहुंचे। रास्ते में चारों तरफ पुलिसकर्मी और सिक्योरिटी गार्ड तैनात थे। जैसे ही इमरजेंसी वॉर्ड के पास पहुंचा। वहां देखा दो से तीन स्ट्रेचर तैयार थे। सिक्योरिटी गार्ड बोल रहे थे कि यहां से कोई नहीं आएगा। आसपास जो खड़े थे उन्हें पहली मंजिल पर बने ब्लड बैंक की तरफ जाने का इशारा किया जा रहा था। यहां पर हमें 23 साल के एक युवक मिले। नाम अर्श। उनकी पूरा परिचय नहीं लिख रहे। क्योंकि वो काफी डरे भी हुए थे। उन्होंने हमें बताया… मेरी मां LNJP अस्पताल में दो दिन से भर्ती हैं। रात के साढ़े 8 बजे थे। तभी अचानक इमरजेंसी में चहलकदमी बढ़ गई। शोर-शराबा होने लगा। एंबुलेंस के सायरन की आवाजें आने लगीं। अस्पताल में लोग भर्ती होने लगे। हम वहीं पर खड़े थे। हमलोग को हटाया जाने लगा। 9 बजते-बजते पूरा अस्पताल ही इमरजेंसी वॉर्ड में तब्दील हो गया। और इमरजेंसी वॉर्ड तो पुलिस कंट्रोल रूम के जैसा। हमलोगों को इमरजेंसी के आसपास भी आने-जाने से रोक दिया गया। युवक ने कहा- पुलिस और सिक्योरिटी गार्ड वहां मौजूद एक-एक लोग से पूछताछ करने लगे। तब तक नहीं पता था कि क्या हुआ है। हमसे भी पूछा गया। तुम रेलवे स्टेशन से आए हो। हमने कहा नहीं। तब मुझे वहां से तुरंत हटा दिया गया। हम इमरजेंसी वॉर्ड के पास पहली मंजिल पर ब्लड बैंक जाने वाली सीढ़ी के पास खड़े हो गए। वहां से देखा कि एम्बुलेंस से घायल आ रहे हैं। अस्पताल में उन्हें ले जाया जा रहा है। चीख पुकार और स्ट्रेचर पर देख समझ आ गया कि कई लोगों की मौत हुई है। लाशें नहीं दिखाईं, उनकी तस्वीरें फोन में लेकर परिजनों से पहचान कराई गई जहां कई एम्बुलेंस खड़ी थीं वहीं पर एक युवक मिला। उम्र करीब 28 साल। अपनी भाभी को दिखाने अस्पताल आए थे। वो काफी देर तक इमरजेंसी वॉर्ड में रहे। उन्होंने हमें बताया कि पुलिसवालों के फोन में मरने वालों की तस्वीरें थीं। हमने पूछा कि कितनी फोटो थीं। इस पर वो बोले कि फोटो की तो गिनती ही नहीं थीं। लाशें कहीं दूसरी जगह रखी हुईं थीं। वो हम नहीं देख पाए थे। लेकिन पुलिस वालों के फोन में 20 से 25 लोगों की फोटो थी। पुलिसवाले फोन में लीं तस्वीरें दिखाकर पीड़ित परिवारों से लाश की पहचान करा रहे थे। पूछ रहे थे कि ये आपके साथ के हैं या नहीं युवक ने कहा कि यहां से दो से तीन अस्पतालों में डेडबॉडी ले जाई गईं हैं। अब रात के साढ़े 3 बज रहे हैं। शुरू में डेडबॉडी नहीं निकाल रहे थे। मामला मीडिया में थोड़ा ठंडा पड़ा तब बॉडी निकालने लगे। पत्नी की रेलिंग में दबकर मौत हुई, पुलिसवाले बोले- ज्यादा रोना-चीखना नहीं अब रात के करीब साढ़े 3 बजने वाले थे। स्ट्रैचर पर एक के बाद एक कुल 3 लाशें आईं। हम वहीं पर मौजूद थे। तभी देखा कि सील डेडबॉडी आने के कुछ देर बाद ही तीन लोग आ रहे थे। 45 साल के आसपास एक शख्स और दो उनसे थोड़े अधिक उम्र के। एक के हाथ में पानी की बोतल थी। आंखों में आंसू। पर बिल्कुल शांत थे। कोई चीख पुकार नहीं। उनके पास में हम बैठ गए। तभी दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी पहुंचे। उनके हाथ में कागजात थे। पूछने लगे कि आप लोग ममता झा के परिवार से हैं। उनके पति कौन हैं। एक ने हाथ में पानी की बोतल लिए शख्स की तरफ इशारा किया। बोले कि वो विपिन झा हैं। ममता के पति। हम रिश्तेदार हैं। पुलिसवाले ने उनसे घर का पता पूछा। उन्होंने बताया कि नांगलोई बी-ब्लॉक। विपिन झा के एक और रिश्तेदार से हमने बात की। उन्होंने बताया… विपिन अपनी पत्नी ममता के साथ बिहार के समस्तीपुर से स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन से दिल्ली आ रहे थे। रात करीब 8 बजे नई दिल्ली पहुंचे थे। एक-डेढ़ घंटे बाद भगदड़ मच गई। ये सीढ़ी की रेलिंग पर फंसकर दब गए। पत्नी दब गईं। उनकी मौत हो गई। यहां अस्पताल में काफी देर तक हमलोग को रोककर रखा गया। ये भी कहा गया कि ज्यादा चीखना-चिल्लाना नहीं है। मीडिया से बात नहीं करनी है। ऐसा करने से दिक्कत हो जाएगी। डेडबॉडी का जल्दी से जल्दी पोस्टमॉर्टम कराकर सौंप दिया जाएगा। अधिकारी बोले- 3 बजे तक सभी डेडबॉडी बाहर निकालो, 5 बजे तक पोस्टमॉर्टम कर परिजनों को सौंप दो जब हम बात कर रहे थे तभी अस्पताल से कोई सीनियर अधिकारी आए और एम्बुलेंस के पास पहुंचे। उस समय तक दो सील डेडबॉडी एम्बुलेंस में रखी हुई थी। लेकिन मॉर्च्युरी तक नहीं लाई गई थीं। अधिकारी आते ही सवाल करने लगे- बॉडी अभी तक यहां क्यों रखीं हैं। वहां मौजूद अस्पताल के जूनियर कर्मचारी और सिक्योरिटी गार्डों ने कहा- अभी चौकी इंचार्ज आएंगे तब बॉडी को एम्बुलेंस ले जाएंगी। इस बात पर अधिकारी ने नाराजगी दिखाई, बोले- अरे नहीं… अस्पताल से सभी बॉडी को 3 बजे तक हर हाल में मॉर्च्युरी तक पहुंच जाना है। अब आधे घंटे लेट हो चुके हैं। हमें 5-6 बजे तक पोस्टमॉर्टम भी पूरा कराना है। सुबह होने तक सभी बॉडी उनके घर तक पहुंचाना है। अधिकारी के ये बात कहने के के कुछ देर बाद ही ही एम्बुलेंस के जरिए सभी डेडबॉडी को अस्पताल से बाहर मॉर्च्युरी के लिए भेज दिया गया। चांदनी बोलीं- मां और भाई भगदड़ में फंस गए थे, मां की मौत हो गई दैनिक भास्कर की टीम सुबह करीब पौने 4 बजे LNJP के बैक साइड मौजूद मॉर्च्युरी के लिए निकली। करीब 10 मिनट तक पैदल चलने के बाद मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मॉर्च्युरी तक पहुंचे। वहां कई एम्बुलेंस खड़ीं थीं। अंदर सिर्फ पुलिस और मरने वाले लोगों के परिजन ही जा सकते थे। मॉर्च्युरी के बाद हमें चांदनी मिलीं, उनसे बात हुई। उन्होंने बताया… सुबह 5 बजे 10 से ज्यादा प्राइवेट एम्बुलेंस मॉर्च्युरी पहुंची, बोले पुलिसवालों ने बुलाया मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मॉर्च्युरी हाउस के आसपास सुबह के करीब 5 बजे एक के बाद करीब 10 एम्बुलेंस पहुंची। सभी प्राइवेट एम्बुलेंस थीं। इनके ड्राइवरों से हमने बात की। उन्होंने बताया- हमें पुलिस ने बताया था कि बहुत एम्बुलेंस की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए हम लोग आए हैं। ड्राइवर ने बिना कैमरे पर आए बताया कि कई लोग डेडबॉडी लेकर बिहार या अपने दूर दराज के घर तक सुबह में ही निकल जाएंगे। इसलिए हमलोग उनका इंतजार कर रहे हैं। पुलिसकर्मी बोले- मॉर्च्युरी में 15 लाशें देखीं सुबह के करीब साढ़े 5 बज चुके थे। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पास ही डॉ. पद्मावती गर्ल्स हॉस्टल है। हम वहां पहुंचे। हॉस्टल के सिक्योरिटी गार्ड ने ठंड से बचने के लिए आग जलाई हुई थी। हमें वहां एक पुलिसकर्मी मिले। हमने उनसे बातचीत की। उन्होंने कहा- मेरे रिटायरमेंट में एक महीना ही बचा है। मैं मॉर्च्युरी के अंदर से आया हूं। वहां करीब 15 लाशें थीं। सबसे कम उम्र का एक जवान लड़का था। उम्र 30 साल के आसपास होगी। महिलाएं और बच्चों की लाशें थीं। देखकर बड़ा दुख हुआ। ………………………………………. दिल्ली भगदड़ ये जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… महाकुंभ जा रहे 18 की मौत, मृतकों के सीने-पेट में चोट; हादसे की जांच के लिए कमेटी बनीं दिल दहलाने वाले 5 VIDEO, 2 ट्रेनों के लेट होने से प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ी, ब्रिज पर लोग गिरे, भीड़ कुचलती चली गई भगदड़ की कहानी 15 तस्वीरों में, फुटओवर ब्रिज पर बेहोश पड़े लोग, अपनों को खोजते रहे; हर तरफ बिखरे जूते-चप्पल और सामान
जगह: दिल्ली का LNJP अस्पताल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के करीब 2 घंटे बाद रात करीब साढ़े 11 बजे दैनिक भास्कर की टीम लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (LNJP) पहुंची। अस्पताल के गेट नंबर-4 से सायरन बजाते हुए केवल एम्बुलेंस की ही एंट्री हो रही थी। सामने की ओर चारों तरफ बैरिकेड्स लगाकर दिल्ली पुलिस की तैनाती थी। यहां से मीडिया की एंट्री पूरी तरह बैन कर रखा था, न सिर्फ मीडिया बल्कि इस गेट से मरीजों की भी एंट्री बंद थी। LNJP में भर्ती मरीज को देखने के लिए आने वाले तीमारदार को भी एंट्री नहीं थी। थोड़ी देर बाद ही वहां पैरा मिलिट्री फोर्स भी तैनात हो गई। काफी संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्स को अस्पताल के अंदर भी तैनात किया गया। पूरा अस्पताल के चप्पे-चप्पे पर पुलिस और फोर्स तैनात हो गई। इसी बीच रात के करीब 1 बज चुके थे। अस्पताल के गेट नंबर-4 से थोड़ी दूर परेशान हालत में एक युवक दिखे। उन्होंने अपना नाम मोहम्मद उमैर बताया। हमने पूछा क्या हुआ। उमैर ने बताया… उमैर से बात करने के बाद हम आगे निकले। अस्पताल में जाने के लिए रास्ता खोज रहे थे। गेट नंबर-2 के पास एक छोटी सी जगह दिखी। वहां से हम किसी तरह अंदर दाखिल हुए। अस्पताल का बैक साइड… रात 12-3 बजे तक एम्बुलेंस से लाशें निकालीं गईं, हर लाश के साथ एक पुलिसवाले की तैनाती उमैर से करीब 20 मिनट तक बात करने के बाद हम इमरजेंसी वॉर्ड की तरफ बढ़े। तुरंत एक गार्ड ने रोक लिया। हाथ में दो फोन लिए हुए देखा। उसे शक हुआ कि हम कहीं मीडिया वाले तो नहीं। वीडियो तो नहीं बना रहे। तुरंत फोन चेक करने लगा। उस फोन में कोई वीडियो नहीं था। फिर मुझसे बोला कि तुरंत यहां से निकल जाइए। वहां से आगे निकलकर लॉबी में लगी लिफ्ट के पास रुक गए। थोड़ी देर बाद स्ट्रैचर पर एक डेडबॉडी लेकर कुछ लोग तेजी से बाहर निकल रहे थे। साथ में एक पुलिसकर्मी भी था। लेकिन मरने वाले का कोई परिजन नहीं दिखा। उसी के पीछे-पीछे हम अस्पताल के पिछले हिस्से में पहुंचे। वहां देखा कि दो से तीन एम्बुलेंस खड़ीं हैं। दो में पहले से सील डेडबॉडी रखीं थीं। जैसे ही स्ट्रैचर पर ये डेडबॉडी पहुंची तो वहां मौजूद एक पुलिसवाले ने देखा। अपने हाथ में लिए कागज से उसका मिलान कराया। किसी को फोन किया। बोला कि आप सीधे मोर्चुरी में पहुंचे। हम वहीं ला रहे हैं। इसके कुछ देर बाद ही 3-4 और एम्बुलेंस वहां आ पहुंची। अस्पताल कर्मचारी बोल रहे थे कि अब प्राइवेट एम्बुलेंस भी आ गईं हैं। इसके बाद पहले से खड़ी तीनों एम्बुलेंस तुरंत निकल गईं। थोड़ी देर बाद महज 25 मिनट के भीतर ही 6 डेडबॉडी आईं। हर डेडबॉडी के साथ एक पुलिसवाले की तैनाती होती थी। यहां मौजूद कुछ लोगों से बात हुई तब पता चला कि 12 बजे के बाद यहां से लाशें निकालनी शुरू हुईं। पुलिस कंट्रोल रूम जैसा बना इमरजेंसी वार्ड
रात के करीब 2 बज चुके थे। गेट नंबर-2 के अंदर से इमरजेंसी वॉर्ड की तरफ पहुंचे। रास्ते में चारों तरफ पुलिसकर्मी और सिक्योरिटी गार्ड तैनात थे। जैसे ही इमरजेंसी वॉर्ड के पास पहुंचा। वहां देखा दो से तीन स्ट्रेचर तैयार थे। सिक्योरिटी गार्ड बोल रहे थे कि यहां से कोई नहीं आएगा। आसपास जो खड़े थे उन्हें पहली मंजिल पर बने ब्लड बैंक की तरफ जाने का इशारा किया जा रहा था। यहां पर हमें 23 साल के एक युवक मिले। नाम अर्श। उनकी पूरा परिचय नहीं लिख रहे। क्योंकि वो काफी डरे भी हुए थे। उन्होंने हमें बताया… मेरी मां LNJP अस्पताल में दो दिन से भर्ती हैं। रात के साढ़े 8 बजे थे। तभी अचानक इमरजेंसी में चहलकदमी बढ़ गई। शोर-शराबा होने लगा। एंबुलेंस के सायरन की आवाजें आने लगीं। अस्पताल में लोग भर्ती होने लगे। हम वहीं पर खड़े थे। हमलोग को हटाया जाने लगा। 9 बजते-बजते पूरा अस्पताल ही इमरजेंसी वॉर्ड में तब्दील हो गया। और इमरजेंसी वॉर्ड तो पुलिस कंट्रोल रूम के जैसा। हमलोगों को इमरजेंसी के आसपास भी आने-जाने से रोक दिया गया। युवक ने कहा- पुलिस और सिक्योरिटी गार्ड वहां मौजूद एक-एक लोग से पूछताछ करने लगे। तब तक नहीं पता था कि क्या हुआ है। हमसे भी पूछा गया। तुम रेलवे स्टेशन से आए हो। हमने कहा नहीं। तब मुझे वहां से तुरंत हटा दिया गया। हम इमरजेंसी वॉर्ड के पास पहली मंजिल पर ब्लड बैंक जाने वाली सीढ़ी के पास खड़े हो गए। वहां से देखा कि एम्बुलेंस से घायल आ रहे हैं। अस्पताल में उन्हें ले जाया जा रहा है। चीख पुकार और स्ट्रेचर पर देख समझ आ गया कि कई लोगों की मौत हुई है। लाशें नहीं दिखाईं, उनकी तस्वीरें फोन में लेकर परिजनों से पहचान कराई गई जहां कई एम्बुलेंस खड़ी थीं वहीं पर एक युवक मिला। उम्र करीब 28 साल। अपनी भाभी को दिखाने अस्पताल आए थे। वो काफी देर तक इमरजेंसी वॉर्ड में रहे। उन्होंने हमें बताया कि पुलिसवालों के फोन में मरने वालों की तस्वीरें थीं। हमने पूछा कि कितनी फोटो थीं। इस पर वो बोले कि फोटो की तो गिनती ही नहीं थीं। लाशें कहीं दूसरी जगह रखी हुईं थीं। वो हम नहीं देख पाए थे। लेकिन पुलिस वालों के फोन में 20 से 25 लोगों की फोटो थी। पुलिसवाले फोन में लीं तस्वीरें दिखाकर पीड़ित परिवारों से लाश की पहचान करा रहे थे। पूछ रहे थे कि ये आपके साथ के हैं या नहीं युवक ने कहा कि यहां से दो से तीन अस्पतालों में डेडबॉडी ले जाई गईं हैं। अब रात के साढ़े 3 बज रहे हैं। शुरू में डेडबॉडी नहीं निकाल रहे थे। मामला मीडिया में थोड़ा ठंडा पड़ा तब बॉडी निकालने लगे। पत्नी की रेलिंग में दबकर मौत हुई, पुलिसवाले बोले- ज्यादा रोना-चीखना नहीं अब रात के करीब साढ़े 3 बजने वाले थे। स्ट्रैचर पर एक के बाद एक कुल 3 लाशें आईं। हम वहीं पर मौजूद थे। तभी देखा कि सील डेडबॉडी आने के कुछ देर बाद ही तीन लोग आ रहे थे। 45 साल के आसपास एक शख्स और दो उनसे थोड़े अधिक उम्र के। एक के हाथ में पानी की बोतल थी। आंखों में आंसू। पर बिल्कुल शांत थे। कोई चीख पुकार नहीं। उनके पास में हम बैठ गए। तभी दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी पहुंचे। उनके हाथ में कागजात थे। पूछने लगे कि आप लोग ममता झा के परिवार से हैं। उनके पति कौन हैं। एक ने हाथ में पानी की बोतल लिए शख्स की तरफ इशारा किया। बोले कि वो विपिन झा हैं। ममता के पति। हम रिश्तेदार हैं। पुलिसवाले ने उनसे घर का पता पूछा। उन्होंने बताया कि नांगलोई बी-ब्लॉक। विपिन झा के एक और रिश्तेदार से हमने बात की। उन्होंने बताया… विपिन अपनी पत्नी ममता के साथ बिहार के समस्तीपुर से स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन से दिल्ली आ रहे थे। रात करीब 8 बजे नई दिल्ली पहुंचे थे। एक-डेढ़ घंटे बाद भगदड़ मच गई। ये सीढ़ी की रेलिंग पर फंसकर दब गए। पत्नी दब गईं। उनकी मौत हो गई। यहां अस्पताल में काफी देर तक हमलोग को रोककर रखा गया। ये भी कहा गया कि ज्यादा चीखना-चिल्लाना नहीं है। मीडिया से बात नहीं करनी है। ऐसा करने से दिक्कत हो जाएगी। डेडबॉडी का जल्दी से जल्दी पोस्टमॉर्टम कराकर सौंप दिया जाएगा। अधिकारी बोले- 3 बजे तक सभी डेडबॉडी बाहर निकालो, 5 बजे तक पोस्टमॉर्टम कर परिजनों को सौंप दो जब हम बात कर रहे थे तभी अस्पताल से कोई सीनियर अधिकारी आए और एम्बुलेंस के पास पहुंचे। उस समय तक दो सील डेडबॉडी एम्बुलेंस में रखी हुई थी। लेकिन मॉर्च्युरी तक नहीं लाई गई थीं। अधिकारी आते ही सवाल करने लगे- बॉडी अभी तक यहां क्यों रखीं हैं। वहां मौजूद अस्पताल के जूनियर कर्मचारी और सिक्योरिटी गार्डों ने कहा- अभी चौकी इंचार्ज आएंगे तब बॉडी को एम्बुलेंस ले जाएंगी। इस बात पर अधिकारी ने नाराजगी दिखाई, बोले- अरे नहीं… अस्पताल से सभी बॉडी को 3 बजे तक हर हाल में मॉर्च्युरी तक पहुंच जाना है। अब आधे घंटे लेट हो चुके हैं। हमें 5-6 बजे तक पोस्टमॉर्टम भी पूरा कराना है। सुबह होने तक सभी बॉडी उनके घर तक पहुंचाना है। अधिकारी के ये बात कहने के के कुछ देर बाद ही ही एम्बुलेंस के जरिए सभी डेडबॉडी को अस्पताल से बाहर मॉर्च्युरी के लिए भेज दिया गया। चांदनी बोलीं- मां और भाई भगदड़ में फंस गए थे, मां की मौत हो गई दैनिक भास्कर की टीम सुबह करीब पौने 4 बजे LNJP के बैक साइड मौजूद मॉर्च्युरी के लिए निकली। करीब 10 मिनट तक पैदल चलने के बाद मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मॉर्च्युरी तक पहुंचे। वहां कई एम्बुलेंस खड़ीं थीं। अंदर सिर्फ पुलिस और मरने वाले लोगों के परिजन ही जा सकते थे। मॉर्च्युरी के बाद हमें चांदनी मिलीं, उनसे बात हुई। उन्होंने बताया… सुबह 5 बजे 10 से ज्यादा प्राइवेट एम्बुलेंस मॉर्च्युरी पहुंची, बोले पुलिसवालों ने बुलाया मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मॉर्च्युरी हाउस के आसपास सुबह के करीब 5 बजे एक के बाद करीब 10 एम्बुलेंस पहुंची। सभी प्राइवेट एम्बुलेंस थीं। इनके ड्राइवरों से हमने बात की। उन्होंने बताया- हमें पुलिस ने बताया था कि बहुत एम्बुलेंस की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए हम लोग आए हैं। ड्राइवर ने बिना कैमरे पर आए बताया कि कई लोग डेडबॉडी लेकर बिहार या अपने दूर दराज के घर तक सुबह में ही निकल जाएंगे। इसलिए हमलोग उनका इंतजार कर रहे हैं। पुलिसकर्मी बोले- मॉर्च्युरी में 15 लाशें देखीं सुबह के करीब साढ़े 5 बज चुके थे। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पास ही डॉ. पद्मावती गर्ल्स हॉस्टल है। हम वहां पहुंचे। हॉस्टल के सिक्योरिटी गार्ड ने ठंड से बचने के लिए आग जलाई हुई थी। हमें वहां एक पुलिसकर्मी मिले। हमने उनसे बातचीत की। उन्होंने कहा- मेरे रिटायरमेंट में एक महीना ही बचा है। मैं मॉर्च्युरी के अंदर से आया हूं। वहां करीब 15 लाशें थीं। सबसे कम उम्र का एक जवान लड़का था। उम्र 30 साल के आसपास होगी। महिलाएं और बच्चों की लाशें थीं। देखकर बड़ा दुख हुआ। ………………………………………. दिल्ली भगदड़ ये जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… महाकुंभ जा रहे 18 की मौत, मृतकों के सीने-पेट में चोट; हादसे की जांच के लिए कमेटी बनीं दिल दहलाने वाले 5 VIDEO, 2 ट्रेनों के लेट होने से प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ी, ब्रिज पर लोग गिरे, भीड़ कुचलती चली गई भगदड़ की कहानी 15 तस्वीरों में, फुटओवर ब्रिज पर बेहोश पड़े लोग, अपनों को खोजते रहे; हर तरफ बिखरे जूते-चप्पल और सामान