दिल्ली में 23% आबादी तक कोरोना पहुंचा, इतने लोगों में एंटीबॉडी भी डेवलप हुई, 77% लोगों को अभी भी संक्रमण का खतरा

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए जो कदम उठाए गए, वे काफी हद तक सफल रहे। महामारी के 6 महीने में दिल्ली के सिर्फ 22.86% लोग संक्रमित हुए। ये दिखाता है कि दिल्ली के लोगों और सरकार ने जो मेहनत की, उससे संक्रमण सीमित रहा। 77% आबादी संक्रमण से बची हुई है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम लापरवाह हो जाएं। खतरा अभी भी बना हुआ है।

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने बताया कि दिल्ली में 27 जून से 10 जुलाई के बीच 30 हजार लोगों पर सर्वे किया गया। जनरल कम्युनिटी में कोविड-19 संक्रमण के प्रेवलेंस का अनुमान लगाने के लिए सीरो सर्विलांस किया गया। दिल्ली के 11 में से 8 जिलों में सीरो-प्रीवलेंस 20% से ज्यादा है। सेंट्रल, नॉर्थ-ईस्ट, नॉर्थ और शाहदरा जिलों में सीरो-प्रीवलेंस करीब 27% है।

टेस्टिंग बढ़ाकर संक्रमण रोकने पर जोर
स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण का पॉजिटिव रेट कम करने के लिए तेजी से टेस्टिंग की जरूरत है। टेस्टिंग के जरिए पॉजिटिविटी रेट 5% से नीचे लाने का लक्ष्य है। प्रति 10 लाख की आबादी में भारत में कोरोना से मौतों की संख्या दुनिया में सबसे कम है। 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पॉजिटिविटी रेट नेशनल एवरेज रेट से कम है।

वॉल्व वाले एन-95 मास्क पहनने वाले के लिए सेफ, लेकिन दूसरों के लिए नहीं
केंद्र सरकार ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर एन-95 मास्क के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी जारी की थी। केंद्र का कहना है कि यह वायरस को फैलने से नहीं रोकते। इस पर सफाई देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी ने मंगलवार को कहा कि एन-95 मास्क दो तरह के होते हैं- एक वॉल्व वाले और दूसरे बिना वॉल्व वाले। वॉल्व वाले मास्क पहनने वाला तो सेफ रहता है, लेकिन अगर वह एसिम्प्टोमैटिक है तो उससे दूसरों को संक्रमण का खतरा रहता है।

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सोमवार का फोटो दिल्ली के कोविड केयर सेंटर का है। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 11.50 लाख से ज्यादा पहुंच चुकी है।