एक समय था जब दुनिया का पहला डिजिटल कैमरा कोडक का घर में होना किसी शान से कम नहीं माना जाता था। फोटोग्राफी और शूटिंग पर कोडक कैमरे का राज हुआ करता था। लेकिन कहते हैं ना वक्त की करवट कब पलटी मार जाए इसका अंदाज लगाना मुश्किल है। फोटोग्राफी कंपनी ईस्टमैन कोडक (Eastman Kodak Co.) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वर्ल्ड को पहला डिजिटल कैमरा देने वाली कंपनी खुद को डिजिटल नहीं रख पाई और हाइटेक के मामले में पिछड़ गई।
धीरे-धीरे लोगों के स्मार्टफोन्स में हाईटेक कैमरा टेक्नोलॉजी का इतना इस्तेमाल होने लगा कि कैमरा खरीदने वालों की तादाद घटती चली गई। कैमरे की सेल में गिरावट के चलते कंपनी को भारी नुकसान झेलना पड़ा। बाद में कोडक ने मेडिसिन कारोबार में उतरने का फैसला किया और अब कंपनी कोविड-19 महामारी को हथियार बनाकर जेनेरिक मेडिसिन बनाने का निर्णय लिया है।
कंपनी बनाएगी जेनेरिक मेडिसिन
हाल ही में कोडक को अमेरिकी सरकार से इस बदलाव को आसान बनाने के लिए पूरे 765 मिलियन डॉलर का लोन मिला। कंपनी अब कोरोनावायरस से निपटने वाली दवाइयों के बेसिक इंग्रीडिएंट्स (अवयव) बनाने के लिए तैयार है। खासतौर पर उसके लक्षणों को ठीक करने के लिए बनने वाली दवाईयों पर काम कर रही है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर, कंपनी ने जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करने का सौदा किया है।
यूएस सरकार ने एक नीलामी में लोन का ऐलान करते हुए कहा कि इसके चलते मेडिकल सप्लाइज की जरूरतों के लिए हम विदेशों पर अपनी निर्भरता कम कर पाएंगे। इसके बाद 29 जुलाई को ईस्टमैन कोडक का शेयर 2,441 फीसदी बढ़कर 25.26 डॉलर पर पहुंच गया। कंपनी की वैल्यू 1.99 अरब डॉलर बढ़ गई।
सन् 1975 में दुनिया को डिजिटल कैमरे से पहचान कराई थी
सन् 1880 के दशक में जार्ज ईस्टमैन ने कोडक कंपनी की शुरुआत की थी। लेकिन कीमत अधिक होने के कारण इसकी पहुंच कम ही थी। बाद में जॉर्ज ईस्टमैन ने साधारण कैटेगरी के कैमरों का प्रोडक्शन शुरू किया। 1940 के दशक में कंपनी के 35mm वाले कैमरे का फिल्मों में इस्तेमाल किया जाने लगा। दूसरे विश्व युद्ध के समय 35mm वाले कैमरे का इस्तेमाल बहुत से पत्रकारों ने किया था। इसी कैमरे की वजह से युद्ध की विभीषिका लोगों तक पहुंचाई गई थी।
साल 1975 में दुनिया को पहला डिजिटल कैमरा कोडक ने दिया था। ईस्टमैन कोडक के स्टीवन सैसन नाम के एक इंजीनियर ने दुनिया का सबसे पहला डिजिटल कैमरा बनाने का प्रयास किया था। स्टीवन सैसन के इस कैमरे को पहले डिजिटल स्टैन स्नैपर के रूप में पहचाना जाता था। कैमरे का वजन करीब चार किलोग्राम था। इस कैमरे मे ब्लैक एंड व्हाइट फोटो खींची जाती थी। कैमरा का रिजोल्यूशन 0.01 मेगा पिक्सेल था। कंपनी ने 1986 ने 1.4 मेगा पिक्सल का कैमरा सेंसर बनाया था।
वक्त के साथ खुद को बदलना जरूरी नहीं समझा!
बीबीसी की एक रिपोर्ट में सिमॉन फ्रेजर यूनिवर्सिटी की जी मे गोह ने बताया है कि कोडक पहली कंपनी थी जिसने डिजिटल कैमरा बनाया। फिर डिजिटल टेक्नोलॉजी में यह कंपनी पिछड़ गई। वजह इसने केमिस्ट्री रिसर्च पर ज्यादा ध्यान दिया जो कि फोटोग्राफी का एनालॉग प्रॉसेस था। उसके कर्मचारी पुराने व्यवसाय में इतने रमे हुए थे कि उन्होंने डिजिटल प्रोसेसिंग की क्षमताओं पर ध्यान ही नहीं दिया। गोह के मुताबिक, एक और वजह संस्थान का स्ट्रक्चर भी रहा है। कैश फ्लो और रेवेन्यू के लिए उसे ट्रेडिशनल व्यवसाय के साथ काम करना होता था। नतीजा यह हुआ कि कंपनी ने जोखिम नहीं लिया और दूसरी कंपनियां नई तकनीक में आगे निकल गईं। कोडक की कमाई ज्यादातर फिल्मों की शूटिंग से ज्यादा हो रही थी।