दुनिया में सबसे पहले आवंला शिकाकाई शैम्पू की शुरुआत हमारे ब्रांड ने की थी : मनमिंदर नारंग

महिलाएं न केवल घर गृहस्थी के काम के साथ प्रोफेशनल फील्ड में भी महिलाओं का मुकाबला करना किसी भी व्यक्ति के लिए चुनौती से कम नहीं हैं। क्योंकि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा संवेदनशील और सक्षम होती हैं। लेकिन अपनों और परिवार के बीच में अक्सर महिलाएं अपने प्रति लापरवाह भी हो जाती है और अपना ध्यान नहीं रख पाती हैं। ऐसे में भारतीय महिलाओं की स्किन और बॉडी से जुड़े बेहतर इंडियन प्रोडक्ट्स की रेंज के साथ अयूर हर्बल प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत हुई। ताकि इन प्रोडक्ट्स के ज़रिये महिलाएं अपने प्रति स्नेह जता पाएं।

अयूर 1976 से हर्बल सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसाय में है जिसकी स्थापना ग्राहकों की आवश्यकताओं को देखते हुए की गयी थी। अयूर द्वारा कई प्रकार के सौंदर्य और त्वचा की देखभाल के लिए विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जाता है। अयूर अपने ग्राहकों को ये आश्वासन दिलाती है कि इनके द्वारा बनाये गए सभी प्रोडक्ट्स हर्बल यानी प्राकर्तिक रूप से तैयार किये जाते हैं ताकि त्वचा पर इसका बुरा प्रभाव न पड़े। अयूर द्वारा आवंला शिकाकाई शैम्पू की अपार सफलता ने इस कंपनी को बाजार में हर्बल हेयर एंड स्किन केयर उत्पाद पेश करने के लिए प्रेरित किया। आपको बता दें कि घरेलू बाजार में अयूर की सफल स्थापना के बाद कंपनी ने अन्य देशों में भी अपने प्रोडक्ट्स का प्रसार किया है जो निरंतर सफल हो रहा है।

आइए ब्रांड टॉक की इस कड़ी में अयूर हर्बल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मनमिंदर नारंग से जानें ब्रांड जर्नी के बारे में। जिन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने भाइयों के साथ अयूर ब्रांड की बागडोर संभाली।

अयूर हर्बल्स की शुरुआत का विचार कहां से आया ?

देखा जाए तो हमने इसकी शुरुआत 1979 ये एक हाउस होल्ड इंडस्ट्री थी। ब्यूटी पार्लर से हमने अपने ब्रांड प्रोडक्ट्स की शुरुआत की। दुनिया में सबसे पहले आवंला शिकाकाई शैम्पू की शुरुआत हमारे ब्रांड ने की थी और उसी को बेस बना कर हमने ब्यूटी और कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स का निर्माण कर के उसे बाज़ार में उतरा ।

कैसे अपने सोचा की 1984 में अयूर नाम का ब्रांड लॉन्च करना चाहिए ?

ब्रांड नाम का हमारे पिताजी नें दिया जब हमने बताया कि हम ब्रांड का नाम रखने की सोच रहे हैं तो उन्होनें ही अयूर नाम बताया। सन 1979 से शुरुआत कर के सन 1982 तक हम प्रोपराइटरी में आए उसके बाद 1990 तक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गए।

होम ग्रोन ब्रांड होने से इंटरनेशनल मार्केट में आपको कोई दिक्कत आती है?

हम इंटरनेशनल ब्रांड शुरुआत में ही बन चुके थे । जैसा हम सब जानते हैं कि 1985 से 1990 के दौर में कई भारतीय लोगों ने विदेश की और पलायन किया. उस समय तक हमारा ब्रांड मार्किट में आ चुका था । इए में कई महिलाएं ऐसी थी जो हमारे ब्रांड को भलीभांति जानने लगी थी और विदेश जा कर भी ब्रांड से जुडी थी । यही कारण था कि हमारा ब्रांड एक इंटरनेशनल ब्रांड बन चुका था।

इसी चर्चा में दैनिक भास्कर द्वारा मनमिंदर जी से इनके ब्रांड के बारें में और भी कई सवाल पूछे गए जिनका जवाब उन्होनें बखूबी दिया। देखें ये पूरा वीडियो और जानें अयूर की जर्नी के बारे में-

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मनमिंदर नारंग