महाभारत में श्रीकृष्ण पांडवों के पक्ष में थे, इस वजह से दुर्योधन श्रीकृष्ण को पसंद नहीं करता था। वह श्रीकृष्ण को शत्रु मानता था। दुर्योधन की पुत्री नाम लक्ष्मणा और श्रीकृष्ण के पुत्र का नाम सांब था। लक्ष्मणा और सांब एक-दूसरे से प्रेम करते थे। श्रीकृष्ण और दुर्योधन एक-दूसरे के शत्रु थे, लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र का विवाह दुर्योधन की बेटी से करवा दिया।
श्रीकृष्ण दुर्योधन को धर्म और शांति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा मानते थे। इसके बाद भी श्रीकृष्ण के पुत्र का विवाह दुर्योधन की पुत्री करवाया, ताकि दोनों बच्चों को उनका प्रेम मिले और वे सुखी जीवन जी सके।
दुर्योधन था इस रिश्ते के खिलाफ
दुर्योधन इस रिश्ते के खिलाफ था, इसलिए उसने लक्ष्मणा का स्वयंवर आयोजित किया, लेकिन उसमें यादवों को आमंत्रित नहीं किया। जब सांब को ये बात मालूम हुई तो वह भरी सभी से लक्ष्मणा का अपहरण करके ले गया। दुर्योधन ने सेना के साथ उसका पीछा किया और सांब को बंदी बना लिया। तब बलराम वहां पहुंचे। बलराम ने सांब और लक्ष्मणा के विवाह के लिए दुर्योधन को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना।
उस समय श्रीकृष्ण भी वहां पहुंच गए थे। उन्होंने दुर्योधन और अन्य कौरवों को समझाया कि हमारी आपसी मतभिन्नता अलग है और बच्चों का प्रेम अलग। श्रीकृष्ण ने कहा कि अगर ये दोनों साथ रहना चाहते हैं तो हमें आपसी दुश्मनी को भूला कर इनके प्रेम को स्वीकार करना चाहिए, इनका सम्मान करना चाहिए। हमारी दुश्मनी का इनके प्रेम पर बुरा असर नहीं पड़ना चाहिए।
श्रीकृष्ण की बातें मानकर दुर्योधन लक्ष्मणा और सांब का विवाह करवाने के लिए तैयार हो गया।