साल 2030 तक देश की संपूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ‘पढ़ना लिखना अभियान’ नाम की एक नई योजना शुरू करने जा रही है। इस बारे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि, सरकार का ‘पढ़ना लिखना अभियान’ 2030 तक कुल साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा।’
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने किया ऐलान
शिक्षा मंत्री ने 54वें अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर कहा कि, ‘अभियान का मुख्य लक्ष्य 15 साल और उससे ज्यादा उम्र के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के 57 लाख गैर-साक्षर और गैर- योग्य वयस्कों को साक्षरता प्रदान करना है।’ उन्होंने बताया कि इस योजना में ज्यादातर महिलाएं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और दूसरे वंचित समूह शामिल हैं। इसके तहत उन जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां वर्तमान में महिलाओं की साक्षरता दर 60% से नीचे है।
‘साक्षर भारत-आत्मनिर्भर भारत’ बनाना लक्ष्य
इस दौरान उन्होंने सभी राज्य सरकारों, सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन, कॉरपोरेट बॉडी, बुद्धिजीवियों और नागरिकों से भारत को एक पूर्ण साक्षर समाज बनाने में मदद करने की अपील की है, ताकि देश ‘साक्षर भारत-आत्मनिर्भर भारत’ बन पाए। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए कि सभी को साक्षरता और फॉर्मल एजुकेशन के क्षेत्र में लाया जाए, जिससे हम राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ सकें।’
करीब 77.7 प्रतिशत देश की कुल साक्षरता
इससे पहले हाल ही में NSO की तरफ से किए गए सर्वे में देश की कुल साक्षरता दर करीब 77.7 प्रतिशत आंकी गई। इसके अलावा देश में एक फिर महिलाओं और पुरुषों की साक्षरता दर में बड़ा अंतर देखने को मिला। रिपोर्ट में जहां पुरुष साक्षरता दर 84.7 फीसदी है तो वहीं, महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों से 14.4 फीसदी कम यानी 70.3 प्रतिशत है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में, साक्षरता दर 73.5 प्रतिशत रहीं, जो शहरी क्षेत्रों (87.7 प्रतिशत) की तुलना में 14.2 फीसदी कम रही।