भारत की टेक कंपनी इंटेंट्स मोबी प्राइवेट लिमिटेड ने ऐसे ऐसा नेविगेशन ऐप तैयार किया है, जो आपको रास्ता दिखाने के साथ कई मौके पर अलर्ट भी करेगा। जी हां, ये ऐप सड़क पर आने वाले गड्ढों, जलभराव, ट्रैफिक, ब्रेकर, स्पीड कैमरों जैसी कई बातों का अलर्ट देगा।
इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। फिलहाल ये बीटा यूजर्स के लिए उपलब्ध रहेगा। कंपनी का दावा है कि डेली 9,000 नए गड्ढों और स्पीड ब्रेकर की पहचान करना है। कंपनी के पास 2 लाख स्काउट्स हैं।
गुड़गांव और कोयम्बटूर टीम ने तैयार किया ऐप
इंटेंट्स मोबी प्राइवेट लिमिटेड ने इंटेंट्स गो ने कुछ साल पहले एक पर्सनल प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था, लेकिन इस साल फरवरी से कंपनी ने इस पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया। इस प्रोडक्ट को गुड़गांव और कोयम्बटूर की टीम के बीच में बांटा गया है। हालांकि, अभी इसे बीटा यूजर्स के लिए तैयार किया गया है। इसे बीटा यूजर्स गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
स्काउट्स की मदद से मैप हो रहा अपडेट
कंपनी ने कहा है कि सड़क की कंडीशन और इंसीडेंट्स के बारे में डेटा रियल टाइम में अपडेट किए जाते हैं। यह अपने 2 लाख स्काउट्स के बढ़ते नेटवर्क के माध्यम से ऐसा करता है जो सड़कों को मैप करने के लिए अपने फोन सेंसर का उपयोग करते हैं। कोई भी इसे डाउनलोड करने और उपयोग करने के लिए शुरू करके आवेदन के लिए एक स्काउट बन सकता है। कंपनी हमें बताती है कि इसके स्काउट्स में प्रमुख रूप से कैब ड्राइवर, ट्रक, डिलीवरी एजेंट और अन्य लोग शामिल हैं जो अक्सर सड़क पर होते हैं।
20 लाख किमी की दूरी तय की
इंटेंट्स गो ने पहले ही 20 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने का दावा किया है। अब जबकि स्काउट्स की संख्या 2 लाख हो गई है, कंपनी का दावा है कि इसका मैप किया गया डेटा रोजाना 1.5 लाख किलोमीटर बढ़ता है। इंटेंट्स गो ने यह भी कहा है कि उसने 1.85 लाख से अधिक गड्ढों और स्पीड ब्रेकर की पहचान की है, और वर्तमान में प्रतिदिन लगभग ऐसी 9,000 पहचान कर रहा है। चूंकि यह एक रियल टाइम सिस्टम है, इसलिए कंपनी यह भी जानती है कि इनमें से कितने गड्ढों की मरम्मत हो रही है और यह संख्या लगभग 4,500 प्रतिदिन है।
ऐप का स्पेसिफिकेशन
इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 3 सितंबर को लॉन्च किया गया है। इसका साइज 91MB है। फिलहाल ऐप को 500 से ज्यादा यूजर्स ने डाउनलोड किया है। इसके इस्तेमाल कि लिए एंड्रॉयड 5.0 या उससे ऊपर का ऑपरेटिंग सिस्टम होना चाहिए।