शीतला सप्तमी पर आज सुबह 11 बजे के करीब में द्वारका के मेन गेट से शहर में दाखिल हुआ। द्वारका के तीन बत्ती चौक के बाजार से गुजरते होते हुए जगत मंदिर की तरफ आगे बढ़ा तो तीन से चार मिनट में ही द्वारकाधीश मंदिर तक पहुंच गया। मंदिर के शिखर पर लहराती ध्वजा के दर्शन से ही शांति महसूस हुई। साथ ही एक अजीब अहसास भी।

दरअसल, तीन बत्ती चौक से मंदिर तक पहुंचने में पहले करीब आधे घंटे लग जाते थे, अब सफर तीन से चार मिनट में ही पूरा हो गया और कारण था बाजार का खालीपन। कोरोना के चलते द्वारकाधीश मंदिर चार दिनों के लिए बंद है और यहां सन्नाटा पसरा है। जबकि, आम दिनों में ही यहां रोजाना 50 हजार से 1 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ रहती थी।

द्वारका का यह सूनापन ऐतिहासिक घटना
यहां के लोग बताते हैं कि जन्माष्टमी के लिए यहां महीनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती थीं। हफ्ते भर पहले से यहां चौबीसों घंटे द्वारकाधीश का नाद सुनाई देने लगता था। लेकिन, इस बार यहां का नजारा ऐसा है मानो किसी दूसरे शहर में आ गए हों। जन्माष्टमी के मौके पर यहां 1 लाख से श्रद्धालु पहुंचते हैं और यह शायद पहली ही ऐसी जन्माष्टमी है, जहां सिर्फ सन्नाटा पसरा हुआ है। हमने अपनी जिंदगी में ऐसा पहली बार ही देखा है।

सुबह से दोपहर तक दुकानदारों की बोअनी भी नहीं हुई
मंदिर के पास ही प्रसाद की ढेरों दुकानें हैं। इन्हीं में से एक दुकानदार हितेश भाई ने यहां का हाल बताया कि पहले यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती थी। अब समय है कि सुबह से दोपहर होने तक बोअनी तक नहीं हुई। गिनती के ही श्रद्धालु आते हैं और कई दुकानदारों ने तो दुकानें ही बंद कर रखी हैं। जन्माष्टमी पर सप्तमी और अष्टमी में बाजारों में पैर रखने की जगह नहीं होती थी। अब बाजार से लेकर सड़कें-गलियां सब सूना पड़ा है।

55 हजार आबादी वाले द्वारका में 11 कोरोना संक्रमित
द्वारका की आबादी करीब 55 हजार है और यहां अब तक कोरोना के 11 मामले सामने आए हैं। कोरोना संक्रमितों के मामले न बढ़ें, इसके लिए इस बार सप्तमी-अष्टमी से लेकर जन्माष्टमी तक यानी का चार दिन मंदिर बंद रखने का फैसला लिया गया है। यहां की आधी से ज्यादा आबादी का जीवन-यापन किसी न किसी तरह मंदिर से ही जुड़ा हुआ है। पूरे साल की कमाई की 50 फीसदी कमाई तो जन्माष्टमी के मौके पर ही हो जाया करती है। सप्तमी-अष्टमी से लेकर जन्माष्टमी तक के चार दिनों में ही यहां का व्यापार 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो जाता है, लेकिन इस बार सबकुछ ठप पड़ा हुआ है।

यहां आने वाले श्रद्धालुओं से ही घर चलता है
एक अन्य व्यापारी महेंद्र खख्खर ने बताया कि द्वारका धार्मिक नगरी होने के अलावा पर्यटन स्थल के रूप में भी जानी जाती है। यहां अन्य स्थलों पर जाने से पहले लोग सीधे द्वारकाधीश के दर्शन करने मंदिर पहुंचते हैं। इस बार जन्माष्टमी पर चार दिन के बंद के चलते सभी स्थलों पर सन्नाटा पसरा है। हमारे जैसे हजारों परिवार हैं, जिनका गुजर-बसर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से ही होता है। अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि वे हमारे लिए कोई राहत पैकेज जारी करें, क्योंकि हमारे पास कुछ नहीं बचा है।

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