नदी का आभार जताने के लिए मनाया जाता है आदि पेरुक्कु, इस पर्व पर होती है मां कावेरी और बारीश की देवी वरुणा की पूजा

आदि पेरुक्कु दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसके साथ ही दक्षिण भारत में त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। ये त्योहार उफनती नदियों से आए पानी को लेकर मनाया जाता है। आदि पेरुक्कु त्योहार कावेरी नदी के प्रति श्रद्धाभाव और आभार जताने के उद्देश्य से मनाया जाता है, क्योंकि कावेरी नदी के कारण ही इस इलाके में संपन्नता आती है। तमिल कैलेंडर के अनुसार ये पर्व 2 अगस्त को मनाया जाएगा।

  • इस त्योहार पर ज्यादातर परिवार खाना बनाकर आसपास की झील या तालाब के किनारे पिकनिक करना पसंद करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं। ऐसा करने से लोग खुद को पर्यावरण के करीब महसूस करते हैं। महिलाएं और बच्चे शाम को इन जलाशयों के पास दीप जलाकर आभार जताते हैं। आदि पेरुक्कु उत्सव तिरुचरापल्ली के अलावा कावेरी नदी के किनारे बसे इरोड, तंजावुर और सलेम में भी धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं सांकेतिक तौर पर सरकार भी इस दिन बाढ़ के पानी को छोड़ने के आदेश जारी करती है।

कब और कैसे मनाया जाता है
आदि पेरुक्कु एक हिंदू तमिल महोत्सव है। जो तमिल महीने आदि के 18वें दिन मनाया जाता है।
यह एक मानसून आधारित उत्सव है, जो मुख्य रूप से खेती से जुड़े लोग मनाते हैं।
ये पर्व कावेरी नदी या किसी झील के किनारे मनाया जाता है।
इस दौरान मानसून के कारण नदी में पानी काफी होता है, जो कि स्थानीय लोगों सुख-समृद्धि लेकर आता है।
यह त्योहार किसानों और उन लोगों द्वारा विशेष तौर पर मनाया जाता है, जिनका जीवन पानी पर निर्भर है।
तमिलनाडु के कई मंदिरों में यह उत्सव मनाया जाता है। पूजा के दौरान लोग मां कावेरी और बारिश के लिए वरुणा देवी की पूजा करते हैं, ताकि बारिश अच्छी हो और उससे फसल की बढ़िया पैदावार हो।
इस दिन महिलाएं देवी पचई अम्मा की पूजा और आराधना करती हैं। जिन्हें शांति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है।

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Tamil Festival: Adi Perukku is Celebrated to Thank The River, on This Festival Worship of Kaveri And Goddess Varuna