नारनौल नांगल चौधरी के गांव कालबा की बहू मोना अग्रवाल को आज सरकार द्वारा दिया जाने वाला खेल रत्न पुरस्कार अर्जुन अवार्ड मिलेगा। वह अर्जुन अवार्ड पाने वाली जिले की पहली महिला होंगी। मोना को अर्जुन अवार्ड मिलने पर नांगल चौधरी ही नहीं बल्कि पूरे जिले में खुशी का माहौल है। जिले के पिछड़े क्षेत्र नांगल चौधरी के गांव कालबा की रहने वाली मोना अग्रवाल ने पेरिस में आयोजित पैरालिंपिक में निशानेबाजी में कांस्य पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया था। प्रतिभाशाली खिलाड़ी को प्रोत्साहित करते हुए सरकार ने उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित करने की सिफारिश भेजी है। मोना अग्रवाल की कहानी बेहद प्रेरणादायक मोना अग्रवाल को आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह अवार्ड मिलेगा। गांव वालों ने अर्जुन अवार्ड विजेता मोना को बधाई देने का फैसला किया है। मोना अग्रवाल के भतीजे मनीष पहलवान ने कहा कि पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली हमारे गांव की बहू मोना अग्रवाल की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। मोना ने एक साथ कई चुनौतियों का सामना करते हुए यह सफलता हासिल की है। बचपन में वह पोलियो से ग्रसित हो गई थी, परिवार ने उसका कई अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। खड़े होने और चलने में असमर्थ मोना ने जिंदगी से हार नहीं मानी और दिव्यांग युवाओं को एक प्रेरणादायक संदेश देने की ठानी। शूटिंग में किया तीन साल तक कड़ा अभ्यास उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी के प्रयास किए थे। लिखित परीक्षा पास करने के बाद बैंक में नौकरी भी लग गई, किंतु उन्होंने अशक्त बच्चों के आत्मिक विश्वास को मजबूत करने की ठान रखी थी। इसलिए खेलों में शूटिंग स्पर्धा का चयन किया तथा तीन साल तक कड़ा अभ्यास किया है। इसी बीच परिजनों ने कालबा गांव के रविंद्र कुमार के साथ शादी कर दी। रविंद्र भी शारीरिक रूप से पोलियोग्रस्त है, लेकिन इन्हें शुरू से ही खेलों के साथ लगाव रहा है। पति रविंद्र ने भी की निशानेबाजी आरंभ शादी होने के बाद 2021 में रविंद्र ने पत्नी मोना के साथ निशानेबाजी का अभ्यास करना आरंभ कर दिया। अभ्यास काल में ही मोना एक बेटी को जन्म दिया, दो साल बाद उन्होंने एक बेटा को जन्म दिया है। लेकिन मातृत्व की जिम्मेवारी मिलने के बावजूद उन्होंने खेलों के प्रति जुनून बनाए रखा। परिवार के साथ जयपुर में रहकर उन्होंने खेल प्रतिभा निखारी है। पूरे गांव में है उत्साह मोना के भतीजे संदीप पहलवान ने बताया कि मोना की कामयाबी से पूरे गांव में उत्साह का माहौल है। उनकी कहानी हमें बताती है कि किसी भी परिस्थिति में अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। संदीप ने जानकारी में बताया की मोना का पहली बार 2023 में क्रोएशिया के ओसिजेक में हुए डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में चयन हुआ था, यहां उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। सरकार की तरफ से अर्जुन पुरस्कार मिलने पर गांव में उत्साह का माहौल बना हुआ है। गांव के बहू का सार्वजनिक रूप से अभिनंदन किया जाएगा।