नगर निगम में विकास कार्यों के नाम पर 50 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। जब पार्षदों ने इसकी शिकायत निगम कमिश्नर से की तो अचानक अकाउंट विभाग में आग लग गई। एक माह से इस अग्निकांड की जांच चल रही है। निगम कर्मचारी आलमारियों में रखी फाइलों को खंगाल रहे हैं लेकिन आरोपी ठेकेदार की फाइल ही नहीं मिल रही है। पार्षदों का आरोप है कि अकाउंट विभाग में आग तो दिखाने के लिए लगाई गई है।
भ्रष्टाचार की फाइल तो पहले ही गायब कर दी गई। फिर फाइल मिलने का सवाल ही नहीं उठता। उधर नगर निगम के चीफ इंजीनियर टीएल शर्मा अकाउंट विभाग के कर्मचारियों से कैसबुक के रिकार्ड से ठेकेदार को किए गए भुगतान का मिलान करने का आदेश दिया है। एक सप्ताह से अकाउंट विभाग के आग लगने वाले आफिस में कर्मचारी फाइलों की तलाश में जुटे हैं। सैकड़ों फाइलें खंगाल ली गईं लेकिन अभी तक जांच टीम को कोई सबूत नहीं मिल पाया है। माना जा रहा है इस पूरे गोरखधंधे में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से संबंधित ठेकेदार को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
यह है भ्रष्टाचार का पूरा मामला: वार्ड 37 के पार्षद दीपक चौधरी, सुरेंद्र अग्रवाल, महेंद्र सरपंच, बिल्लू यादव समेत अन्य पार्षदों ने अकाउंट विभाग से वर्ष 2017 से 2019 तक ठेकेदारों को विकास कार्यों के बदले की गई भुगतान राशि के बारे में जानकारी मांगी थी। महीनों बाद अकाउंट विभाग ने पार्षदों को आधी अधूरी जानकारी देकर पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद पार्षदों ने निगम कमिश्नर डॉ. यश गर्ग से शिकायत कर बताया कि बल्लभगढ़ समेत अन्य वार्डों में हुए विकास कार्य व उसके बदले भुगतान की जानकारी अकाउंट विभाग ने दी है वे काम वार्ड में हुए ही नहीं। पार्षदों ने आरोप लगाया कि निगम अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर करीब 50 करोड़ रुपए का घोटाला किया है।
कमिश्नर ने जांच बैठाई तो ऑफिस में लग गई आग
पार्षदों की शिकायत के बाद निगम कमिश्नर डॉ. यश गर्ग ने चीफ इंजीनियर टीएल शर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर अकाउंट विभाग से सारे रिकार्ड को लेकर जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कमेटी ने अकाउंट विभाग के अधिकारियों से वर्ष 2017 से 2019 तक के सभी विकास कार्यों और उनके बदले किए गए भुगतान का रिकार्ड उपलब्ध कराने के लिए कहा। लेकिन एक माह बाद भी अकाउंट विभाग कमेटी को कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं करा पाया। अभी यह मामला चल ही रहा था कि अचानक 16 अगस्त की सुबह छुट्टी के दिन अकाउंट विभाग के रिकार्ड रूम में आग लग गई। पार्षदों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार को बचाने के लिए रिकार्ड रूम में जान बूझकर आग लगाई गई।
रिकार्ड रूम खोलकर ढूंढी जा रही फाइल: अग्निकांड की जांच के लिए एडीशनल कमिश्नर की शिकायत पर एसजीएम नगर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी और रिकार्ड रूम को सील कर दिया। पुलिस ने जांच में पाया कि रिकार्ड रूम में जान बूझकर आग लगाई गई थी। शार्ट सर्किट से आग लगने का साक्ष्य नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने रिकार्ड रूम को निगम अधिकारियों के हवाले कर दिया। अब निगम अधिकारी फाइलों की तलाश में जुटे हैं।
आरोपी ठेकेदार के कामों के 30 से 35 बाउचर ही मिले
अग्निकांड की जांच करने वाली कमेटी के अध्यक्ष एवं चीफ इंजीनियर टीएल शर्मा ने रिकार्ड रूम से आग में बची फाइलों को अलग-अलग छंटवाना शुरू कर दिया। इसके तीन बंडल बनाए गए। एक बंडल में ऐसी फाइलें रखी गईं जो पूरी तरह से सुरक्षित हैं। दूसरी में ऐसी फाइलें हैं जो पढ़ने लायक तक है और तीसरे बंडल में आग से जली फाइलों को रखा गया है। चीफ इंजीनियर ने जब इन फाइलों की जांच की तो उसमें आरोपी ठेकेदार की कोई फाइल ही नहीं मिली। रिकार्ड रूम में उक्त ठेकेदार और उसके काम से संबंधित 30 से 35 वाउचर मिले हैं।