वीडियो गेम्स के लिए ग्राफिक चिप बनाने वाली कंपनी निविडिया ने सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प की ब्रिटिश चिप डिजाइनर कंपनी आर्म होल्डिंग को खरीद लिया है। यह सौदा 40 बिलियन डॉलर यानी 2.93 लाख करोड़ रुपए में हुआ है। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में यह सबसे बड़ा डील है। इस डील के साथ निविडिया दुनिया की सबसे बड़ी चिप मेकर कंपनी बन गई है। निविडिया ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी है।
सॉफ्टबैंक को 12 बिलियन डॉलर नकद देगा निविडिया
निविडिया और सॉफ्टबैंक के बीच यह सौदा कैश एंड स्टॉक ट्रांसफर के आधार पर हुआ है। बयान के मुताबिक, निविडिया 21.5 बिलियन डॉलर की वैल्यू के स्टॉक सॉफ्टबैंक को देगी। इसके अलावा 12 बिलियन डॉलर नकद दिए जाएंगे। इसमें से 2 बिलियन डॉलर का भुगतान समझौते के समय दिया जाएगा। आर्म के लिए निश्चित किए गए लक्ष्यों के प्रदर्शन के आधार पर सॉफ्टबैंक को 5 बिलियन डॉलर की राशि कैश या स्टॉक के रूप में दी जाएगी। आर्म होल्डिंग्स के कर्मचारियों को 1.5 बिलियन डॉलर की वैल्यू के निविडिया के स्टॉक दिए जाएंगे।
सौदे के बाद सॉफ्टबैंक के शेयरों में आया उछाल
निविडिया के साथ सौदे की खबरें सामने आने के बाद सॉफ्टबैंक ग्रुप के शेयरों में 10 फीसदी से ज्यादा का उछाल दर्ज किया गया है। आर्म होल्डिंग्स फोन और टेबलेट्स जैसी मोबाइल डिवाइस को चिप तकनीक उपलब्ध कराती है। इसके अलावा कंपनी कार, डाटा सेंटर सर्विसेज और अन्य डिवाइस के लिए प्रोसेसर भी उपलब्ध कराती है। हालांकि, यह ब्रिटिश कंपनी चिप का निर्माण नहीं करती है। सालाना 1 बिलियन से ज्यादा स्मार्टफोन में आर्म होल्डिंग्स की तकनीक का इस्तेमाल होता है।
सॉफ्टबैंक ग्रुप ने 2016 में खरीदी थी आर्म होल्डिंग
जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प ने 2016 में आर्म होल्डिंग को खरीदा था। यह खरीदारी 31.4 बिलियन डॉलर में हुई थी। यह उस समय का सबसे बड़ा सौदा था। सॉफ्टबैंक ग्रुप ने अपने इंटरनेट कारोबार के विस्तार के लिए इस कंपनी को खरीदा था। सॉफ्टबैंक ग्रुप इस कारोबार में ग्रोथ के लिए जूझ रहा है। ऐसे में यह सौदा कंपनी के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। बयान के मुताबिक, इस सौदे के पूरा होने के बाद निविडिया में करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी।
18 महीने में सौदा पूरा होने की उम्मीद
इस सौदे को पूरा होने के लिए चीन, यूके, यूरोपीयन यूनियन और अमेरिकी रेगुलेटरी से मंजूरी लेनी होगी। इस प्रक्रिया में 18 महीने का समय लग सकता है। टोक्यो एडवाइजरी फर्म के प्रमुख कोजी हिराई का कहना है कि इस सौदे के बाद आर्म होल्डिंग अमेरिकी कंपनी बन जाएगी। आर्म होल्डिंग की चीनी इकाई का संचालन चीन करता है। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को लेकर अमेरिका और चीन तनाव बना हुआ है। ऐसे में चीन से मंजूरी लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।