परिसीमन पर तमिलनाडु समेत 5 राज्यों के CM की बैठक:स्टालिन बोले- हमारी पहचान खतरे में पड़ जाएगी, संसद में सीटें कम नहीं होनी चाहिए

राज्यों में लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर शनिवार को 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी CM की बैठक चेन्नई में हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने चेन्नई में ये मीटिंग बुलाई, जिसमें 5 राज्यों के 14 नेता शामिल हुए। BJD प्रमुख नवीन पटनायक और TMC भी इसमें शामिल हुई। इस दौरान स्टालिन के नेतृत्व में एक जॉइंट एक्शन कमेटी बनाई गई। जिसने परिसीमन पर प्रस्ताव पारित किया कि 1971 की जनगणना जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को अगले 25 साल तक बढ़ाया जाए। साथ ही कहा कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू किया है, वहां संवैधानिक संशोधन लागू किए जाएं। निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अगली बैठक हैदराबाद में होगी। बैठक में शामिल लोगों ने क्या-क्या कहा… आंध्र के पूर्व CM की PM से अपील- सीटें कम न हों आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्‌ठी लिखी। जगन ने PM से अपील करते हुए लिखा- परिसीमन प्रक्रिया इस तरह से हो कि किसी भी राज्य की लोकसभा या राज्यसभा में प्रतिनिधित्व में कोई कमी न आए, खासकर सदन में कुल सीटों की संख्या के मामले में। परिसीमन को लेकर क्या कहता है संविधान परिसीमन का अर्थ है निर्वाचन क्षेत्रों का सीमा निर्धारण या पुनर्निर्धारण, जिसे संविधान के अनुच्छेद 82 और अनुच्छेद 170 के तहत किया जाता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 82 के तहत हर जनगणना के बाद संसद परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है। इसके अलावा अनुच्छेद 170 भी राज्यों की विधानसभा सीटों के परिसीमन से संबंधित प्रावधान करता है। हालांकि संविधान संशोधन के माध्यम से संसद इसे स्थगित कर सकती है, जैसा कि 1976 और 2001 में किया गया। संविधान संशोधनों (42वें, 84वें और 87वें) के कारण परिसीमन प्रक्रिया को 2026 तक रोक दिया गया है। संसद चाहे तो संविधान संशोधन के जरिए इसे और आगे बढ़ा सकती है या इसे पुनः लागू कर सकती है। इसके अलावा 2002 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया, लेकिन लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या को 2026 तक स्थिर रखा गया। तमिलनाडु भाजपा ने काले झंडे दिखाए तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई और पार्टी के अन्य नेताओं ने परिसीमन को लेकर आयोजित बैठक का विरोध किया। इस दौरान उन्होंने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को काले झंडे दिखाए। अन्नामलाई ने कहा- डीएमके के सत्ता में आने के बाद पिछले 4 सालों में, राजनीतिक फायदे के लिए तमिलनाडु के हितों की लगातार बलि दी गई है। सीएम कभी भी केरल से बात करने और मुद्दों को हल करने के लिए नहीं गए, लेकिन आज उन्होंने केरल के सीएम को एक कृत्रिम मुद्दे पर बात करने के लिए आमंत्रित किया। हम तमिलनाडु के सीएम की निंदा करते हैं। 3 मार्च को स्टालिन ने मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी एमके स्टालिन ने 3 मार्च को परिसीमन मामले में अन्य राज्यों के मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने 22 मार्च को होने वाली JAC की पहली बैठक में अपने प्रतिनिधि भेजने का अनुरोध किया था। स्टालिन ने लिखा- 2026 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन दो तरीकों से हो सकता है। पहले में मौजूदा लोकसभा की 543 सीटों को राज्यों के बीच फिर से बांटा जा सकता है। वहीं, दूसरे में सीटों की संख्या बढ़कर 800 से ज्यादा हो सकती है। दोनों स्थितियों में जनसंख्या कंट्रोल करने वाले राज्यों को नुकसान होगा। परिसीमन का आधार 1971 की जनगणना हो
सर्वदलीय बैठक में स्टालिन ने कहा था कि अगर संसद में सीटें बढ़ती है तो 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाए। उन्होंने भी मांग की- 2026 के बाद अगले 30 साल तक लोकसभा सीटों के बाउंड्री करते समय 1971 की जनगणना को ही मानक माना जाए। इस बैठक में AIADMK, कांग्रेस, वाम दल (लेफ्ट पार्टी) और एक्टर विजय की पार्टी TVK समेत कई दलों ने हिस्सा लिया था। वहीं, भाजपा, NTK और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन की तमिल माणिला कांग्रेस (मूप्पनार) ने बैठक का बहिष्कार किया। पूरी खबर पढ़ें… परिसीमन के बारे में सब-कुछ जानिए… परिसीमन क्या है
लोकसभा और विधानसभा सीट की सीमा नए तरह से तय करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं। इसके लिए आयोग बनता है। परिसीमन के लिए 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं। आखिरी बार परिसीमन आयोग अधिनियम, 2002 के तहत साल 2008 में परिसीमन हुआ था। लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत 2026 से हो सकती है। इससे 2029 के चुनाव में करीब 78 सीटें बढ़ सकती हैं। दक्षिणी राज्य जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। इस वजह से सरकार समानुपातिक परिसीमन पर विचार कर रही है। समानुपातिक परिसीमन क्या है
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। वहीं, तमिलनाडु-पुडुचेरी में इसकी आधी यानी 40 सीटें हैं। अगर उत्तर प्रदेश की 14 सीटें बढ़ती हैं तो इसकी आधी यानी 7 सीटें तमिलनाडु-पुडुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्‌टी में बढ़ेंगी, उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। हिंदी पट्टी के किसी राज्य की सीट में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा तो दक्षिणी राज्य में 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा। अल्पसंख्यक बहुल सीटों का क्या होगा
देश की 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20%से 97%तक है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर जनसंख्या संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है। महिला आरक्षण के बाद क्या होगा
1976 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए इसे डिफ्रीज करना होगा। जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा। —————————————— परिसीमन विवाद से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…. आज का एक्सप्लेनर:CM स्टालिन बोले- जल्दी बच्चे पैदा करो, नायडू ने कहा- छुट्टियों की परवाह न करना; आखिर क्यों डरे हैं दक्षिण के राज्य? तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पिछले हफ्ते कहा था कि लोगों को अब तुरंत बच्चे पैदा करने की जरूरत है। 8 मार्च को आंध्र प्रदेश के CM ने भी कहा है कि महिला कर्मचारियों को बच्चों की संख्या की परवाह किए बिना मैटर्निटी लीव दी जाएगी। एक TDP सांसद ने तो तीसरा बच्चा लड़की होने पर 50 हजार रुपए और लड़का होने पर एक गाय देने का ऐलान कर दिया। पूरी खबर पढ़ें… तमिलनाडु CM बोले- हिंदी ने 25 भाषाओं को खत्म किया, यूपी-बिहार कभी हिंदी क्षेत्र नहीं थे तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने 27 फरवरी को कहा था कि जबरन हिंदी थोपने से 100 सालों में 25 नॉर्थ इंडियन भाषाएं खत्म हो गई। स्टालिन ने X पोस्ट में लिखा- एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन भाषाओं को खत्म कर रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे। अब उनकी असली भाषाएं अतीत की निशानी बन गई हैं। पूरी खबर पढ़ें…