पहाड़ी गांव की फूड साइंटिस्ट कीर्ति कुमारी, अपने 10 स्व सहायता समुहों द्वारा 1000 महिलाओं को फूड इंटरप्रेन्योरशिप की ट्रेनिंग दे रहीं हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बनें

क्या कभी आपने आयरन लड्‌डू, रागी बर्फी या रेडी टू यूज एनर्जी पाउडर जिसे ‘ऊर्जा’ कहा जाता है, इन चीजों के बारे में सुना है? अगर नहीं तो कीर्ति कुमारी से जान लीजिए। कीर्ति उत्तराखंड के तेहरी गांव की कृषि विज्ञान केंद्र में एक फूड साइंटिस्ट हैं।

कीर्ति ने इस गांव की महिलाओं को आयरन रिच रागी और बाजरे के लड्‌डू आदि बनाना सिखाएं हैं। इन लड्‌डू को आंगनवाड़ी में काम करने वाली कार्यकर्ताओं के बीच बांटा जाता है।

यहां की रागी बर्फी को गांव के कुपोषित बच्चों को दिया जा रहा है ताकि उनका विकास हो सके। तेहरी की रागी बर्फी इतनी प्रसिद्ध है जिसे राज्य सरकार ने जीआई टैग देने की सिफारिश की है।

28 साल की कीर्ति ने फूड टेक्नोलॉजी में बी टेक और प्रोसेसिंग एंड फूड इंजीनियरिंग में एम टेक किया है। वे राजस्थान में भरतपुर की रहने वाली हैं।

वे तेहरी गढ़वाल की वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री में टीचर हैं। उनका स्व सहायता समुह ग्रामीण महिलाओं को फूड इंटरप्रेन्योरशिप की ट्रेनिंग देता है।

कीर्ति की मदद से जिस ब्लॉक लेवल प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत हुई है, फिलहाल उसका टर्नओवर 1 करोड़ है। वे ग्रामीण महिलाओं को फल, सब्जियों और फूलों से जैम, आटा और अन्य एडिबल आइटम्स बनाना सीखाती हैं। इन महिलाओं द्वारा बनाई गई खाने की चीजें देश से बाहर भी जाती हैं।

फिलहाल कीर्ति के 10 स्व सहायता समुहों द्वारा बनाई गई खाद्य सामग्री पौष्टिक होने की वजह से गर्भवती महिलाओं, बच्चों और टीनएज लड़कियों को दी जाती है। गांव की महिलाएं इन चीजों को बेचकर अच्छी कीमत पा लेती हैं। इस तरह इन महिलाओं के रहन-सहन के स्तर को ऊंचा उठाने में भी कीर्ति ने मदद की है।

पहाड़ी महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए प्रयास करने वाली कीर्ति को पिछले महीने ‘वीरांगना’ और ‘तीलू रौतेली अवार्ड’ से सम्मानित किया जा चुका है। वे महिला सशक्तिकरण को बल देने और लैंगिक असमानता दूर करने के लिए भी काम कर रही हैं।

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Kirti Kumari, food scientist from Pahari village, is training food entrepreneurship to 1000 women through her 10 self help groups to make them self-reliant